अब ‘Prime Minister of Bharat’ से विवाद और बढ़ा

जी20 के लिए राष्ट्राध्यक्षों को भेजे गए आमंत्रण में ‘President of Bharat’ लिखने के बाद से नाम बदलने को लेकर हुआ विवाद अब और बढ़ गया है। अब एक नया दस्तावेज सामने आया है जिसमें ‘Prime Minister of India’ के लिए ‘Prime Minister of Bharat’ का इस्तेमाल किया गया है।
20वें आसियान-इंडिया शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए बुधवार और गुरुवार को प्रधानमंत्री की इंडोनेशिया यात्रा को लेकर एक नोट में ‘Prime Minister of Bharat’ शब्द लिखा गया है। इसको रेखांकित करते हुए बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट किया है।
‘The Prime Minister Of Bharat’ pic.twitter.com/lHozUHSoC4
— Sambit Patra (@sambitswaraj) September 5, 2023
Sir फिर ASEAN-INDIA में भारत क्यों नहीं है। pic.twitter.com/dVsEuqkFS4
— विनीता जैन (@Vinita_Jain7) September 6, 2023
#Bharat 🇮🇳
President of Bharat 🇮🇳
Prime minister of Bharat 🇮🇳#भारत 💕🤞 pic.twitter.com/Bt9poJArfZ— Aakash Sharma 𝕏 (@Being_Skysharma) September 5, 2023
#भारत करना ठीक है लेकिन#India कहां कहां से हटाएंगे 🧐#भारत_माता_की_जय #भारत #भाजपा_की_विजययात्रा pic.twitter.com/OgCa82ub5q
— Kamlesh Pandey🇮🇳 (@KPPost_Live) September 5, 2023
विशेष सत्र के लिए संसद की बैठक शुरू होने से बमुश्किल दो सप्ताह पहले देश के नाम को लेकर नयी बहस शुरू हो गई है। सबसे पहले मंगलवार को यह राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ जब सरकार ने जी20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज का निमंत्रण भेजा।
कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार आगामी 18 से 22 सितंबर के दौरान आयोजित किए जाने वाले संसद के विशेष सत्र में इस प्रस्ताव से जुड़े बिल को पेश कर सकती है। हालाँकि विशेष सत्र का एजेंडा अभी भी गुप्त रखा गया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने उन अटकलों को खारिज किया है जिसमें कहा जा रहा है कि सदन का विशेष सत्र इंडिया से भारत नाम करने के लिए बुलाया गया। अनुराग ठाकुर ने इसको अफवाह बताते हुए द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मुझे लगता है कि ये सिर्फ अफवाहें हैं जो हो रही हैं। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि जो कोई भी भारत शब्द पर आपत्ति जताता है, वह स्पष्ट रूप से उसकी मानसिकता को दर्शाता है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं भारत सरकार में मंत्री हूं। इसमें नया कुछ भी नहीं है। G20-2023 (ब्रांडिंग, लोगो) पर भारत और इंडिया दोनों लिखा होगा। तो फिर भारत नाम पर आपत्ति क्यों? भारत से किसी को आपत्ति क्यों है?’
अनुराग ठाकुर की टिप्पणी तब आई है जब विपक्षी दलों के नेता देश के नाम को लेकर भाजपा की आलोचना कर रहे हैं। Prime Minister of Bharat वाला नोट सामने आने के बाद जयराम रमेश ने लिखा, ‘देखो मोदी सरकार कितनी भ्रमित है! 20वें आसियान-इंडिया शिखर सम्मेलन में Prime Minister of Bharat। यह सब ड्रामा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि विपक्ष एकजुट हो गया और इसने खुद को INDIA बताया है।’
Look at how confused the Modi government is! The Prime Minister of Bharat at the 20th ASEAN-India summit.
All this drama just because the Opposition got together and called itself INDIA 🤦🏾♂️ pic.twitter.com/AbT1Ax8wrO
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 5, 2023
इससे पहले ‘President of Bharat’ के इस्तेमाल पर भी जयराम रमेश ने आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, ‘तो ये ख़बर वाकई सच है। राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए सामान्य ‘President of India’ की जगह ‘President of Bharat’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है। अब, संविधान में अनुच्छेद 1 में पढ़ा जाएगा: ‘भारत, जो India था, राज्यों का एक संघ होगा।’ लेकिन अब इस ‘राज्यों के संघ’ पर भी हमला हो रहा है।
बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है “इंडिया, डैट इज भारत, शैल बी यूनियन ऑफ़ स्टेट्स”। इसे 18 सितंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक ट्वीट में कहा, ‘भारत गणराज्य – खुश और गौरवान्वित है कि हमारी सभ्यता साहसपूर्वक अमृत काल की ओर आगे बढ़ रही है।’
हाल ही में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने लोगों से इंडिया की जगह भारत नाम इस्तेमाल करने की अपील की थी।
हाल ही में अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में 1860 में बने आईपीसी,1898 में बने सीआरपीसी और 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट को गुलामी की निशानी बताते हुए इन तीनों विधेयकों की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों – भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को पेश किया था। बीजेपी के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने राज्यसभा में इंडिया नाम को औपनिवेशिक दासता का प्रतीक बताते हुए इंडिया दैट इज भारत हटाकर केवल भारत शब्द का उपयोग करने की मांग की थी।
माना जाता है कि सरकार इसी के तहत शिक्षा नीति से लेकर प्रतीक चिन्हों, सड़कों एवं जगहों के नाम, औपनिवेशिक सत्ता से जुड़े लोगों की मूर्तियों को हटाकर भारतीय महापुरुषों की मूर्तियों को स्थापित करने जैसे कई काम कर रही है।