मंडावा विधायक रीटा चौधरी बनीं झुंझुनूं कांग्रेस की नई अध्यक्ष:पार्टी ने गुटबाजी के बीच महिला नेतृत्व पर जताया भरोसा
मंडावा विधायक रीटा चौधरी बनीं झुंझुनूं कांग्रेस की नई अध्यक्ष:पार्टी ने गुटबाजी के बीच महिला नेतृत्व पर जताया भरोसा
झुंझुनूं : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने झुंझुनूं जिले में बड़ा संगठनात्मक बदलाव करते हुए मंडावा विधायक कुमारी रीटा चौधरी को पार्टी का नया जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। पार्टी आलाकमान ने 2023 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने वाली तेजतर्रार नेता रीटा चौधरी पर भरोसा जताते हुए उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है।
बता दें कि उनके स्वर्गीय पिता राजस्थान कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रामनारायण चौधरी थे, जिन्हें दिग्गज नेता माना जाता था। उन्होंने कई बार मंत्री पद भी संभाला।
विधायक होने के साथ-साथ अब रीटा चौधरी जिले में कांग्रेस पार्टी की गतिविधियों और संगठन की मजबूती का केंद्र भी होंगी। पार्टी ने जिले में एक मजबूत, अनुभवी और जनाधार वाली महिला नेतृत्व पर दांव लगाया है। जिला अध्यक्ष पद के लिए कई दिग्गज दावेदार थे, जिनमें सांसद बृजेन्द्र ओला गुट के खलील बुडाना और पूर्व जिला प्रमुख सुमन रायला भी शामिल थे। इन्होंने आवेदन भी किए थे। हालांकि, पार्टी ने सभी को दरकिनार करते हुए रीटा चौधरी के राजनीतिक कौशल और जनाधार पर विश्वास व्यक्त किया है।
3 बार हासिल की निर्णायक जीत
- 2008: पहली बार मंडावा से चुनाव जीता और विधायक बनीं।
- 2013: कांग्रेस से टिकट न मिलने पर बागी होकर चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान पर रहीं।
- 2018: भाजपा के नरेंद्र कुमार से मात्र 2,346 वोटों के करीबी अंतर से हारीं।
- 2019 (उपचुनाव): 2018 की हार के बाद शानदार वापसी करते हुए 33,704 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की।
- 2023: भाजपा के नरेंद्र कुमार को 17,509 वोटों के निर्णायक अंतर से हराकर लगातार दूसरी बार विधायक बनीं।
उन्होंने मंडावा सीट से अब तक तीन बार (2008, 2019, और 2023) जीत हासिल की है। उपचुनाव और 2023 के चुनाव में उनकी निर्णायक जीत ने उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक कौशल को साबित किया, जिसके आधार पर उन्हें अब जिला अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है।
यह रहेंगी चुनौती:
जिला अध्यक्ष के रूप में रीटा चौधरी की प्राथमिक चुनौती जिले में कांग्रेस संगठन को मजबूत करना होगा। सबसे बड़ी चुनौती जिले में कांग्रेस के विभिन्न गुटों को एक साथ लेकर चलना और आपसी मनमुटाव को दूर कर संगठनात्मक एकता स्थापित करना होगा।
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