नेवी की नौकरी और बिजनेस छोड़ साइबर ठग बने:200 करोड़ की ठगी; 30 मिनट में विदेश भेज देते हैं पैसा; 8 राज्यों में नेटवर्क
नेवी की नौकरी और बिजनेस छोड़ साइबर ठग बने:200 करोड़ की ठगी; 30 मिनट में विदेश भेज देते हैं पैसा; 8 राज्यों में नेटवर्क
झुंझुनूं : पिछले डेढ़ साल में झुंझुनूं साइबर ठगों का गढ़ बन चुका है। आंकड़े बताते हैं- 18 महीनों में 3918 बैंक खातों में 200 करोड़ से ज्यादा का साइबर ठगी के रुपयों का लेनदेन हुआ है। इसके लिए हजारों की संख्या में फर्जी सिम उपयोग ली गई। पुलिस अब तक महज 75 करोड़ रुपए ट्रेस कर उसे होल्ड करवा पाई है।
चौंकाने वाली बात है कि पुलिस की इस कार्रवाई में टाइल्स कारोबारी और मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़ चुके युवा शामिल थे। एक्सपर्ट बताते हैं- झारखंड के जामताड़ा की तरह अब ठग झुंझुनूं को अपना गढ़ बना रहे हैं। ये ठग इतने एक्सपर्ट हैं कि ठगी के बाद महज 30 मिनट में रुपए विदेश भेज देते हैं। ताकि पुलिस ये रुपया ट्रेस नहीं कर पाए।
दैनिक भास्कर में पढ़िए पिछले डेढ़ सालों में झुंझुनूं में कैसे बढ़ा ठगी का नेटवर्क …
झुंझुनूं एसपी बृजेश ज्योति उपाध्याय बताते हैं- यहां से संचालित गिरोहों का नेटवर्क जयपुर और दिल्ली से भी आगे बढ़ चुका है। यहां से बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, झारखंड और यूपी तक ठगों ने नेटवर्क फैलाया है। एसपी के अनुसार, झुंझुनूं के नवलगढ़, कोतवाली, खेतड़ी और सिंघाना थाना क्षेत्र इसके केंद्र बन रहे हैं।
पुलिस ने अब तक 9 लोगों के खिलाफ बैंक खाते किराए पर देकर ठगी की रकम लेने के आरोप में केस दर्ज किए हैं। खाते किराए देने के मामले में 94 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 480 से अधिक संदिग्धों को पकड़कर पूछताछ की गई। पुलिस ने अब तक 583 संदिग्ध बैंक खातों पर कार्रवाई की है, जबकि 3335 खातों की जांच अभी जारी है।
सिर्फ 18 महीनों में ही 2 अरब का लेनदेन इन खातों में हुआ है। पुलिस केवल 75 करोड़ की ही रिकवरी कर पाई है। बाकी का ट्रांजैक्शन विदेशी एक्सचेंज और ब्लॉकचेन नेटवर्क में कन्वर्ट कर या तो विदेश भेज दिया गया है या फिर भारत में ही यूज हो रहा है।

आपका KYC दोबारा करना करना पड़ेगा
एक्सपर्ट बताते हैं- पुलिस ने झुंझुनूं, सीकर और चूरू जिलों में करीब 80 सिम विक्रेताओं की पहचान की है, जो साइबर ठगों के लिए काम कर रहे थे।
दुकानदार ग्राहकों से डॉक्युमेंट्स लेकर कहते हैं- फिंगरप्रिंट नहीं आया, दोबारा लगाना पड़ेगा। ऐसे में, जाने-अनजाने में कस्टमर दो बार KYC करवा लेता है। इसी से 2 सिम जारी होती है और कस्टमर को पता ही नहीं चलता कि उसकी दूसरी सिम साइबर ठग यूज कर रहे हैं। आरोपी दुकानदार एक सिम आपको देते हैं और दूसरी सिम साइबर ठगों को बेच देते हैं।
एक्सपर्ट बताते हैं ऐसे में क्या करें?
सिम लेनी हो या KYC करवानी हो तो कंपनी के आधिकारिक व्यक्ति से ही करवाएं। सड़क के किनारे केनोपी लगा कर बैठे सिम बेचने वालों से बचें। फ्री इंटरनेट और लाइफटाइम वैलिडिटी के लालच में न आएं। KYC करवाते वक्त डीलर या दुकानदार की हर हरकत पर नजर रखें। संदेह होते ही अपने डॉक्युमेंट्स न दें।
एक्सपर्ट बताते हैं- जैसे किसी साइबर फ्रॉड के खाते से पेट्रोल पंप पर पेमेंट हुआ। ऐसे में आरोपी नहीं होने पर भी कई बार निर्दोष लोगों का अकाउंट पुलिस के रडार पर आ जाता है।
ठगी की सिम के केस
2024 दिसंबर में खेतड़ी क्षेत्र में सरकारी अस्पताल कर्मचारी के नाम से निकली सिम जयपुर में ठगी में इस्तेमाल हुई। झुंझुनूं के ही इटली में रह रहे व्यक्ति के नाम से निकली सिम से 14 लाख की ठगी की गई।
15 हजार के लालच में खाते बेच रहे
पुलिस जांच में सामने आया कि झुंझुनूं के 3918 बैंक खाते ठगों के कब्जे में थे। बेरोजगार युवक 15 से 50 हजार रुपए में अपना खाता किराए पर दे देते या कमीशन पर ऑपरेट करते थे। एक खाते से एक महीने में 83 लाख रुपए का लेन-देन हुआ। कई मामलों में खाताधारकों ने स्वीकार किया कि उन्हें प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर 3-4% कमीशन मिलता था।
इन खातों में रकम आते ही तुरंत दूसरे खातों में ट्रांसफर होती, फिर एटीएम से निकासी या क्रिप्टो करेंसी में बदल जाती। ट्रांजैक्शन के 30 मिनट के भीतर पैसे देश से बाहर भेज दिए जाते हैं।
केस 1: विकास सैनी
नवलगढ़ निवासी विकास सैनी पहले टाइल्स का ठेकेदार था। कुछ सालों में वह साइबर गिरोह का मास्टरमाइंड बन गया। उसने तीन नेटवर्क — ऑनलाइन ठगी, म्यूल अकाउंट और कैश आउट को जोड़कर 20 करोड़ से अधिक का लेनदेन किया। पुलिस ने उसके कब्जे से 6 एटीएम, 5 सिम कार्ड, 2 मोबाइल और एक लग्जरी कार जब्त की। विकास ने पहले अपने रिश्तेदारों और ससुरालवालों के खाते इस्तेमाल किए, बाद में युवाओं को कमीशन पर जोड़ा।
केस 2: ललित शर्मा
मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़ने के बाद ललित शर्मा ने साइबर ठगी का नेटवर्क बनाया। उसने बेरोजगार युवाओं से खाते किराए पर लेकर ऑनलाइन लॉटरी और निवेश ठगी शुरू की। पुलिस ने उसके पास से 24 बैंक पासबुक, 18 एटीएम कार्ड, 5 चेकबुक और 4 बारकोड बरामद किए। वह गूगल पे, यूपीआई और ओमनी कार्ड एप के जरिए ट्रांजैक्शन करता था।

केस 3: अमित सिंह राजपूत
भावठड़ी निवासी अमित सिंह राजपूत के खाते से 6.39 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। उसने मोरवा निवासी हेमंत को अपने खाते और एटीएम का उपयोग करने दिया। इसके बदले कमीशन लेता था। बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र से 58 शिकायतें दर्ज हुईं। पुलिस ने अमित को गिरफ्तार कर उसके सहयोगी हेमंत को नामजद किया।
केस 4: मोहम्मद रसूल
सैनिक नगर झुंझुनूं निवासी मोहम्मद रसूल ने अपना खाता साइबर ठगों को किराए पर दिया, जिससे 1.67 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। कोतवाली पुलिस ने 36 शिकायतों की जांच के बाद उसे गिरफ्तार किया। पुलिस अधीक्षक उपाध्याय के निर्देशन में की गई कार्रवाई में यह खुलासा हुआ कि रसूल ने न केवल खुद बल्कि अपने परिचितों के खातों का भी इस्तेमाल गिरोह को दिया था।
केस 5: नवलगढ़ अंतरराज्यीय गिरोह
नवलगढ़ पुलिस ने हाल में एक अंतरराज्यीय गिरोह पकड़ा, जो भोपाल से खातों को किराए पर लेकर ठगी करता था। विकास सैनी इस गिरोह का प्रमुख संचालक था। गिरोह 12 राज्यों में सक्रिय था और पीक, एसपे व बायनेन्स जैसे एप्स के माध्यम से USDT में ट्रांजैक्शन कर रुपए भारतीय खातों में मंगवाता था। पुलिस ने 6 एटीएम कार्ड, 5 सिम और 2 मोबाइल जब्त किए।
अब तक पुलिस ने 583 संदिग्ध खातों पर कार्रवाई की है और 3335 खातों की जांच चल रही है। 480 लोगों से पूछताछ की गई, जिनमें कई मनी म्यूल निकले। साइबर ठगी में सक्रिय 9 मुख्य आरोपियों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं। झुंझुनूं पुलिस ने राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल के साथ समन्वय स्थापित कर ‘सस्पीशियस बैंक अकाउंट्स’ की साझा सूची तैयार की है। इसमें जिले के 100 से अधिक खाते हैं, जिनमें 50 से अधिक बार ठगी से जुड़ी रकम जमा हुई।
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