झुंझुनूं के कोर्ट में आठवें दिन भी कामकाज ठप:पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग को लेकर वकीलों का कार्य बहिष्कार जारी
झुंझुनूं के कोर्ट में आठवें दिन भी कामकाज ठप:पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग को लेकर वकीलों का कार्य बहिष्कार जारी

झुंझुनूं : वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हुए विवाद के बाद सोमवार को आठवें दिन भी झुंझुनूं में जिला अभिभाषक संस्था के बैनर तले वकीलों का अनिश्चितकालीन धरना जारी रहा। अदालतों में कार्य बहिष्कार होने से न्यायालयों में कामकाज पूरी तरह ठप पड़ा रहा। वादकारियों को सुनवाई न होने से मायूस होकर लौटना पड़ा। कोर्ट परिसर में चारों ओर सन्नाटा पसरा रहा।
विवाद की शुरुआत
यह विवाद वृंदावन मेले के दौरान बगड़ थाने में पार्किंग के मुद्दे पर शुरू हुआ था। अधिवक्ता सुरेंद्र कुमावत और पुलिसकर्मियों के बीच कहासुनी हुई, जिसके बाद पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने वकील से मारपीट की और शांतिभंग का केस दर्ज कर गिरफ्तार भी किया। इस घटना को वकीलों ने अपमानजनक बताया और जिला अभिभाषक संस्था ने आंदोलन की राह पकड़ ली।

कलेक्ट्रेट पर नारेबाजी
सोमवार को भी सैकड़ों वकील जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट पर जमा हुए। उनके हाथों में बैनर और तख्तियां थीं। वकील “पुलिस की गुंडागर्दी नहीं चलेगी” और “वकीलों पर हमला बर्दाश्त नहीं” जैसे नारे लगा रहे थे। संस्था अध्यक्ष सुभाष पूनिया ने कहा कि यह सिर्फ एक अधिवक्ता की गरिमा का मामला नहीं बल्कि पूरे वकील समाज और न्याय व्यवस्था की साख का प्रश्न है।
वरिष्ठ वकीलों ने जताई नाराजगी
वरिष्ठ अधिवक्ता बिरजू सिंह शेखावत ने कहा कि पुलिस का यह व्यवहार अस्वीकार्य है। अगर न्याय दिलाने वालों को ही अन्याय सहना पड़े तो आम जनता का भरोसा कैसे कायम रहेगा। अधिवक्ता भगवान सहाय जांगिड़ ने कहा कि लोकतंत्र में इस तरह की घटनाएं नागरिक अधिकारों पर चोट हैं।

अदालतों में पसरा सन्नाटा
आठ दिन से कार्य बहिष्कार चलने से जिला न्यायालय सहित सभी अदालतों में कामकाज पूरी तरह ठप है। न्यायालय परिसर सुनसान दिखाई दिया। जिन वादकारियों की तारीख लगी थी, वे बिना सुनवाई निराश लौट गए। कैलाशचंद नामक वादकारी ने कहा कि उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो पा रही, जबकि भंवरी देवी ने बताया कि वह चार दिन से अदालत का चक्कर लगा रही हैं, लेकिन तारीख पर तारीख मिल रही है।
समझाइश के प्रयास जारी
जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने अभिभाषक संस्था से समझाइश का प्रयास कर आंदोलन को समाप्त करने की कोशिश की है। लेकिन लिखित आदेश के बिना वकील पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
वादकारियों की परेशानी
आठ दिनों से न्यायालय का कामकाज बंद रहने से कई मामलों की सुनवाई टल गई है, जमानत प्रार्थनाओं पर सुनवाई लंबित है। इससे न सिर्फ पक्षकारों को परेशानी हो रही है, बल्कि अदालत का दैनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।