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खेतड़ी नगर पालिका की सड़कों पर बेसहारा पशुओं का कब्जा:नगर पालिका की उदासीनता के चलते कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा


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खेतड़ी नगर पालिका की सड़कों पर बेसहारा पशुओं का कब्जा:नगर पालिका की उदासीनता के चलते कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

मुख्य बस स्टैंड, स्कूल और मंडी क्षेत्रों में मवेशियों का जमावड़ा – राहगीरों और वाहन चालकों के लिए बना खतरा

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : विजेन्द्र शर्मा

खेतड़ी : खेतड़ी नगर पालिका क्षेत्र की सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर बेसहारा पशुओं का कब्जा लगातार बढ़ रहा है। हालात इतने गंभीर हैं कि मवेशियों ने मुख्य बस स्टैंड, एसडीएम कार्यालय, जय सिंह राजकीय विद्यालय, कोलिहान माइंस गेट और सब्जी मंडी जैसे व्यस्त इलाकों में स्थायी डेरा जमा लिया है। सुबह से रात तक इन स्थानों पर पशुओं का जमावड़ा बना रहता है, जिससे आमजन रोजाना असुविधा और खतरे का सामना कर रहे हैं।इन सड़कों से गुजरने वाले वाहन चालक और राहगीर अक्सर अचानक सड़क पर खड़े मवेशियों से टकराने से बचते-बचते हादसों के करीब पहुँच जाते हैं। पिछले कुछ समय में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, फिर भी नगर पालिका प्रशासन की उदासीनता इस समस्या को बढ़ाती जा रही है।

सबसे गंभीर स्थिति स्कूलों और सब्जी मंडी क्षेत्र की है, जहां बच्चों और महिलाओं को रोजाना इन पशुओं के बीच से गुजरना पड़ता है। बस स्टैंड और मंडी में मवेशियों की भीड़ से जाम लगना आम हो गया है। स्थानीय लोग साफ कह रहे हैं कि नगर पालिका की यह लापरवाही किसी भी दिन बड़ा हादसा करा सकती है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर पालिका केवल कागजों में योजनाएं बनाती है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। न तो गोशालाओं की उचित व्यवस्था है और न ही सड़कों से मवेशियों को हटाने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।हाल ही में हुए घटनाक्रम इस खतरे को और स्पष्ट कर देते हैं। सिर्फ तीन दिन पहले धोबी घाट के पास एक बोलेरो गाड़ी के आगे अचानक मवेशी के आ जाने से अनियंत्रित हो गई और पेड़ से टकराकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। इससे पहले कुछ माह पूर्व एक वृद्ध व्यक्ति को मवेशियों ने जोरदार टक्कर मारी, जिसमें उसे 44 टांके लगे और अस्पताल में भर्ती कराया गया।इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि नगर पालिका की खामोशी जनता के लिए प्रत्यक्ष खतरा बनती जा रही है। अगर प्रशासन ने तुरंत कदम नहीं उठाया, तो किसी भी दिन बड़ा हादसा होना तय है। जनता का सब्र अब टूट चुका है और मजबूर होकर विरोध या आंदोलन करना पड़ सकता है।

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