[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

झुंझुनूं में स्कूलों में चलेगा नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान:CBSE और NCB की नशा-विरोधी जंग, स्टूडेंट्स को दी जाएगी जीवन कौशल की ट्रेनिंग


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

झुंझुनूं में स्कूलों में चलेगा नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान:CBSE और NCB की नशा-विरोधी जंग, स्टूडेंट्स को दी जाएगी जीवन कौशल की ट्रेनिंग

झुंझुनूं में स्कूलों में चलेगा नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान:CBSE और NCB की नशा-विरोधी जंग, स्टूडेंट्स को दी जाएगी जीवन कौशल की ट्रेनिंग

झुंझुनूं : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने मिलकर स्कूलों में छात्रों को नशीली दवाओं के सेवन से बचाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों के लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ और सकारात्मक शैक्षणिक वातावरण का निर्माण करना है, जहाँ वे बिना किसी डर या दबाव के अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

सीबीएसई के झुंझुनूं जिला समन्वयक डॉ रवि शंकर शर्मा ने बताया, “यह अभियान एक बहु-आयामी दृष्टिकोण पर आधारित होगा। जिसमें जागरूकता, शिक्षा, और सामुदायिक भागीदारी पर जोर दिया जाएगा। पहले 100 स्कूलों को इस पायलेट प्रोजेक्ट शामिल किया जाएगा।”

अभियान की आवश्यकता और महत्व

हाल के वर्षों में, छात्रों के बीच नशीली दवाओं के सेवन की समस्या एक गंभीर चिंता का विषय बनकर उभरी है। यह न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और भविष्य को भी खतरे में डालता है। सीबीएसई और एनसीबी का यह संयुक्त प्रयास इस समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस अभियान के माध्यम से, छात्रों को केवल नशीली दवाओं के खतरों के बारे में ही नहीं बताया जाएगा, बल्कि उन्हें सही निर्णय लेने और दबाव का सामना करने के लिए आवश्यक जीवन कौशल भी सिखाए जाएँगे। यह पहल एक ऐसे स्कूल वातावरण का निर्माण करेगी जहाँ छात्र सुरक्षित महसूस कर सकें और अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकें। यह नशा-मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक सशक्त पहल है।

1. ई-मॉड्यूल का विकास

इस अभियान के तहत सबसे महत्वपूर्ण कदम है नशीली दवाओं की रोकथाम पर एक विशेष ई-मॉड्यूल का निर्माण। यह मॉड्यूल शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के लिए शैक्षिक सामग्री का एक स्रोत होगा। इसमें नशीली दवाओं के खतरों, उनके सेवन के शुरुआती संकेतों और उनसे बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दी जाएगी। यह एक डिजिटल संसाधन होने के कारण, इसे आसानी से बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचाया जा सकेगा।

2. सामुदायिक आउटरीच और भागीदारी

अभियान केवल स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामुदायिक प्रयास है। इसमें शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों को परामर्श और जानकारी प्रदान करने के लिए विशेष सत्र और कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी। शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे छात्रों में नशीली दवाओं के सेवन के शुरुआती लक्षणों को पहचान सकें और सही समय पर सहायता प्रदान कर सकें। अभिभावकों को भी जागरूक किया जाएगा ताकि वे अपने बच्चों के व्यवहार में आए बदलावों को समझें और उनसे खुलकर बात कर सकें।

3. हब-एंड-स्पोक मॉडल:

यह अभियान एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 100 स्कूलों में शुरू किया गया है। इसे “हब-एंड-स्पोक” मॉडल कहा गया है। इस मॉडल में, कुछ प्रमुख स्कूल (हब) केंद्रीय भूमिका निभाएंगे और वे अपने आसपास के अन्य स्कूलों (स्पोक) को मार्गदर्शन और संसाधन प्रदान करेंगे। इसका लक्ष्य इस पहल को धीरे-धीरे और भी अधिक स्कूलों तक पहुँचाना है, जिससे देश भर के ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों को इस अभियान का लाभ मिल सके।

Related Articles