पिलानी शिक्षा नगरी का विकास सर चढ़ बोले
पिलानी शिक्षा नगरी का विकास सर चढ़ बोले

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : निरंजन सैन
पिलानी : शिक्षा नगरी के नाम से दूर-दूर तक पहचान रखने वाला पिलानी शहर आज विकास के नाम पर बदहाल हालातों से जूझ रहा है। जिस शहर को शिक्षा और स्वच्छता की मिसाल माना जाता है, वहां अब हालात ऐसे हैं कि लोग इसे “शिक्षा नगरी से कचरा नगरी” कहकर पुकारने लगे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि शहर में दो, दो नगरपालिकाएं होने के बावजूद हालात सुधरने की बजाय दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।
मुख्य रास्तों से लेकर गली-मोहल्लों तक जगह-जगह गंदगी और नालियों का पानी बहता नजर आता है। भगत सिंह सर्किल से आसपास की गलियों में प्रवेश करते ही स्वच्छ भारत मिशन की सच्चाई साफ दिखाई देती है। लोगों ने व्यंग्य करते हुए कहा कि “अगर कोई स्वच्छ भारत का असली चेहरा देखना चाहे, तो पिलानी में कहीं भी घूम ले।”

विकास के नाम पर वादे और ‘लॉलीपॉप’
जनता का आरोप है कि हर चुनाव में नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं और विकास का सपना दिखाकर वोट बटोरते हैं। लेकिन जीतने के बाद पांच साल तक चेहरा तक नहीं दिखाते। नगरपालिकाओं के चेयरमैन और पार्षद चुनाव जीतने के साथ ही मानो “कुंभकरण की नींद” सो जाते हैं। नतीजतन शहर की सड़कें टूटी-फूटी हैं, गंदा पानी गलियों में भरा रहता है और पैदल निकलना तक मुश्किल हो जाता है।

पिलानी शहरवासी सवाल उठा रहे हैं कि नगरपालिकाओं को हर साल मानसून से पहले नालों की सफाई के लिए मोटा बजट मिलता है, लेकिन उसका असर जमीनी स्तर पर कहीं नजर नहीं आता। नालों की सफाई के नाम पर सिर्फ कागजों में खानापूर्ति कर दी जाती है और बारिश आते ही गलियां-नालियां गंदे पानी से लबालब भर जाती हैं। अब जनता पूछ रही है कि आखिर ये बजट जाता कहां है और जिम्मेदारी तय क्यों नहीं होती?
लाखों खर्च, फिर भी नतीजा शून्य
लोगों का कहना है कि नालियों की सफाई और गंदा पानी निकालने के नाम पर नगरपालिकाएं हर साल लाखों रुपये खर्च कर देती हैं। लेकिन शहर में एक भी टिकाऊ सड़क या सफाई व्यवस्था नहीं बन पाती। गली-मोहल्लों की दुर्दशा देखकर लगता है मानो विकास नाम की ट्रेन, बस या फ्लाइट पिलानी पहुंचने का रास्ता ही भूल चुकी है।
जनता का सवाल—कब जागेगा प्रशासन?
शहरवासियों ने सवाल उठाया है कि आखिर कब तक पिलानी का विकास सिर्फ कागजों और भाषणों तक सीमित रहेगा? कब तक शिक्षा नगरी का नाम कचरे और गंदगी से जोड़ा जाएगा?
फिलहाल पिलानी की जनता का धैर्य जवाब देता नजर आ रहा है। लोग कहते हैं कि अब विकास नगरपालिकाओं या नेताओं के भरोसे नहीं, बल्कि “राम भरोसे” ही है।