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खेतड़ी में आवारा सांडों का कहर: बुजुर्ग को मारी टक्कर, 44 टांके लगे; गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती


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खेतड़ी में आवारा सांडों का कहर: बुजुर्ग को मारी टक्कर, 44 टांके लगे; गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती

सप्ताहभर में तीन हमले, सड़कों पर पसरा है भय; नगर पालिका की चुप्पी और घोर लापरवाही से आमजन में गहरा आक्रोश, सांडों के आतंक ने छीनी सड़कों की सुरक्षा, पालिका बेपरवाह

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : विजेन्द्र शर्मा

खेतड़ी : खेतड़ी कस्बे की सड़कों पर इन दिनों प्रशासन नहीं, बल्कि आवारा सांडों का राज है। हालत यह हो चुकी है कि बीते सप्ताहभर में सांडों के हमले की तीन घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन नगर पालिका का रवैया घोर लापरवाही और चुप्पी से भरा हुआ है, जो अब जनता की जान पर भारी पड़ रहा है।

83 वर्षीय बुजुर्ग पर सांड ने किया हमला, 44 टांकों के साथ अस्पताल में भर्ती

ताजा मामला वार्ड संख्या 25, खेजड़ा की ढाणी का है, जहां 83 वर्षीय बुजुर्ग बुधराम कुमावत को एक सांड ने जोरदार टक्कर मार दी। घायल वृद्ध के शरीर पर चिकित्सकों ने 44 टांके लगाए हैं। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह घटना उस डरावने हालात की एक और मिसाल है जो पूरे कस्बे में मंडरा रहे हैं।

जनता पूछ रही – क्या सिर्फ टैक्स वसूलना ही पालिका का काम रह गया है?

यह सवाल कस्बे में हर जुबान पर है – क्या नगर पालिका सिर्फ टैक्स वसूलने के लिए है? सड़कें अगर खून से लाल हों, बुजुर्गों और बच्चों को हर रोज जान जोखिम में डालनी पड़े, तो क्या इसे प्रशासनिक संवेदनशीलता कहा जाएगा?

बाजारों, स्कूलों और कॉलोनियों में घूम रहे सांड; लोग दहशत में

मुख्य बाजार, सब्जी मंडी, कॉलोनियां और विद्यालयों के आसपास तक ये सांड खुलेआम घूम रहे हैं। दुकानदार, ग्राहक, छात्र और राहगीर डरे-सहमे रहते हैं। कई बार ये पशु आपस में भिड़ जाते हैं और बीच रास्ते से निकलने वाले लोगों को घायल कर देते हैं।

न गाड़ी, न कांजी हाउस, न कर्मचारी – पालिका का ढीला ढांचा उजागर

स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर पालिका के पास न तो पशु पकड़ने की गाड़ी है, न कांजी हाउस की व्यवस्था और न ही तैनात कर्मचारी। यह लापरवाही अब जानलेवा होती जा रही है। लोगों का कहना है कि पालिका सिर्फ नाम की व्यवस्था है, हकीकत में कोई जिम्मेदारी नहीं निभा रही।

हादसों के बाद सिर्फ खानापूर्ति, ना समाधान, ना सख्ती

पालिका सालाना लाखों का टैक्स वसूलती है, लेकिन आमजन की सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा। हादसे के बाद सिर्फ कागजी खानापूर्ति होती है। ना कोई स्थायी समाधान, ना कोई सख्त कार्रवाई।

जन आंदोलन की चेतावनी: पालिका ने नहीं संभाला मोर्चा तो होगा घेराव

कस्बेवासियों ने दो टूक कहा है कि अगर नगर पालिका ने जल्द ही आवारा पशुओं को पकड़ने और गौशाला में शिफ्ट करने की व्यवस्था नहीं की, तो वे पालिका कार्यालय का घेराव करेंगे और बड़ा जन आंदोलन छेड़ेंगे। लोगों ने प्रशासन से पूछा है — आखिर कब तक जान जोखिम में डालकर सड़कों पर चलना पड़ेगा?

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