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हिरणों और पक्षियों का स्वर्ग तालछापर अभयारण्य:34 तरह की घास से हरा-भरा मैदान, पर्यटकों को लुभा रही प्राकृतिक सुंदरता


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हिरणों और पक्षियों का स्वर्ग तालछापर अभयारण्य:34 तरह की घास से हरा-भरा मैदान, पर्यटकों को लुभा रही प्राकृतिक सुंदरता

हिरणों और पक्षियों का स्वर्ग तालछापर अभयारण्य:34 तरह की घास से हरा-भरा मैदान, पर्यटकों को लुभा रही प्राकृतिक सुंदरता

सुजानगढ़ : काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध तालछापर अभयारण्य में बरसात के बाद छाई हरियाली ने इस मरुस्थलीय क्षेत्र को किसी हरित उपवन का रूप दे दिया है। मानसून की पहली ही बारिश के साथ यहां की जमीन पर उगी सेवण, दूब, थामन, लपना और मोथिया जैसी 34 प्रकार की घास न सिर्फ हिरणों के लिए पोषण का स्रोत बनती है, बल्कि अभयारण्य का दृश्य भी दर्शनीय बना देती है।

बरसात के बाद हिरणों की कुलांचें और पक्षियों की चहचहाहट

घास से ढ़के मैदान, झाड़ीदार पौधों के झुरमुट और वर्षा से बनी तालाबनुमा संरचनाएं तालछापर को वन्यजीवों के लिए एक आदर्श स्थल बना रही हैं। हरियाली की चादर ओढ़े इस अभयारण्य में चिंकारा और काले हिरणों की कुलांचें, साण्डे की सरपट दौड़ और पक्षियों की चहचहाहट से वातावरण जीवंत हो गया है।

5300 से अधिक काले हिरण और 333 प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा

सहायक वन संरक्षक महेंद्र लेखाला ने बताया कि इस समय तालछापर में लगभग 5300 काले हिरण मौजूद हैं। इसके अलावा यह अभयारण्य जैव विविधता का केंद्र है, जहां 333 से अधिक प्रजातियों के पक्षी दर्ज किए गए हैं। सर्दियों में यह स्थल मध्य एशिया और यूरोप से आने वाले प्रवासी पक्षियों का भी प्रमुख पड़ाव बनता है।

मोथिया घास बनी हिरणों की पहली पसंद

अभयारण्य में उगने वाली मोथिया नामक घास हिरणों के लिए बेहद पौष्टिक मानी जाती है। इसके बीज मोती जैसे दिखते हैं और वर्षा के बाद बड़ी मात्रा में पनपते हैं। क्षेत्रीय वन अधिकारी उमेश बागोतिया के अनुसार अच्छी बारिश से इस बार घास की भरपूर पैदावार हुई है, जिससे हिरणों को दीर्घकालिक पोषण मिलेगा।

पर्यटन के लिए बढ़ा आकर्षण

बरसात के बाद हरियाली से लहलहाते इस अभयारण्य की सुंदरता वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। उछलते हिरण, प्रवासी पक्षियों की चहलकदमी और हरे मैदानों की छटा देखकर यहां आने वाले दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

प्रकृति प्रेमियों के लिए वरदान

करीब 800 हेक्टेयर में फैले इस अभयारण्य की मानसूनी छटा न केवल वन्यजीवों को नई ऊर्जा देती है, बल्कि यह स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए भी किसी स्वर्ग से कम नहीं है। वर्षा के पानी से बने जलाशय, चारों ओर फैली हरियाली और विविध प्रजातियों के पक्षी यहां की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं।

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