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वक्फ बोर्ड चेयरमैन डॉ. खानू खां बुधवाली का बड़ा आरोप


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वक्फ बोर्ड चेयरमैन डॉ. खानू खां बुधवाली का बड़ा आरोप

मुकेश अंबानी का घर 'एंटीलिया' को बचाने के लिए लाए वक्फ संशोधन बिल

झुंझुनूं : केंद्र सरकार वक्फ संशोधन बिल लेकर आई है। जिसे लोकसभा और राज्य सभा में पास भी कर दिया गया है। साथ ही महामहिम राष्ट्रपति द्रोपर्दी मुर्मू ने भी इसके लिए मंजूरी दे दी है। लेकिन इस बिल का विरोध लगातार जारी है। झुंझुनूं आए वक्फ बोर्ड चेयरमैन डॉ. खानू खां बुधवाली ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियां सिर्फ मुसलमानों की नहीं, बल्कि उस समय के हिंदूओं की भी दी हुई है। उस समय के राजा-महाराजा ने हर धर्म को सम्मान दिया। वे आज के राजाओं की तरह नहीं थे। उन्होंने सीधे तौर पर मुकेश अंबानी का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि मुंबई में मुकेश अंबानी का घर ‘एंटीलिया’ वक्फ की जमीन पर बना हुआ है। जिसका मामला माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। जिसका फैसला आना है। ऐसा ही मामला दिल्ली के एक प्रसिद्ध होटल का भी है। सिर्फ इन दोनों को फायदा देने के लिए केंद्र सरकार यह संशोधन बिल लेकर आई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ दो लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने जो मदद वक्फ संपत्तियों के जरिए गरीब, यतीम, बेसहारा और बेवाओं के लिए की जा रही थी। उसे नेस्तनाबूद करने का काम किया है। जो बिल लाए गए वो असंवैधानिक है। जिसका कोई मतलब नहीं था। सरकार मदरसा बोर्ड को कमजोर कर रही है। मुसिलम बच्चों की स्कॉलरशिप बंद कर रही है। आपको बता दें कि डॉ. खानू खां बुधवाली हज कमेटी के निवर्तमान सदस्य रियाज फारूकी की वालिदा के इंतेकाल पर शोक जताने के लिए उनके घर पर आए थे।

वक्फ संपत्तियां सरकार की नहीं दी हुई
उन्होंने कहा कि जो वक्फ संपत्तियां है। वो किसी सरकार की दी हुई नहीं हुई है। बल्कि अल्लाह ईश्वर के नाम उन बुजूर्गों के द्वारा दान दी गई है। जो अकलियत के जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि संपत्ति चाहे वक्फ बोर्ड की हो या फिर देवस्थान की। दोनों ही नॉट फॉर सेल है। ऐसे में कौन तो इस संपत्ति को बेच सकता है और कौन ही खरीद सकता है। जमीन बेचकर किसी समाज का उद्धार भी नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि नए संशोधित बिल में वक्फ स्ट्रक्चर में दो गैर मुस्लिमों को जगह दी गई है। इसलिए सरकार यह भी बताएं कि देवस्थान के स्ट्रक्चर में भी अकलियत के लोगों को जगह मिलेगी या नहीं। उन्होंने सवाल उठाया कि देश में आठ लाख बीघा वक्फ जमीन का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। जबकि साउथ के चार मंदिरों के पास 10 लाख बीघा की जमीन है। डॉ. खानू खां बुधवाली ने कहा कि ट्रिब्यूनल ही सर्वेसर्वा बोलकर न्याालय का अपमान किया गया है। जबकि ट्रिब्यूनल में प्रिंसिपल डीजे की नियुक्ति राजस्थान के चीफ जस्टिस करते है। इसके बाद अपील के भी अलग-अलग प्रावधान है। डॉ. खानू खां बुधवाली ने यह भी कहा कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कहते है कि हम वक्फ संपत्तियों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। दूसरी तरफ कल ही यूपी के सीएम का बयान आया है कि जो संपत्तियां वक्फ की नहीं है। वो उन्हें दे दी जाए। यह केंद्र सरकार का दोहरा चरित्र है।

जमीनें खोदने से देश आगे नहीं बढेगा
वक्फ बोर्ड चेयरमैन डॉ. खाून बुधवाली ने कहा कि संसद में केंद्र सरकार के पास बहुमत है। हम इस संशोधन बिल को नहीं रोक सकते। लेकिन अब फैसला जनता को करना है। यह मामला दान दक्षिणा का है। उस जमाने के राजा-महाराजाओं ने हर धर्म का सम्मान किया। अपनी प्रजा की आस्था पद्धति को चलाने के लिए हर धर्म के व्यक्ति का सहयोग करते थे। उनके राज्य में जिस भी मजबहब का व्यक्ति रहता था। उसका सम्मान करना और उसके धर्म का सम्मान करना उनका धर्म था। वे आज के राजाओं की तरह नहीं थे। उन्होंने कहा कि जो भी वक्फ संपत्तियां है। उसे कलेक्टर तक के सर्वे के बाद संपत्ति माना गया है। बगैर सर्वे के कोई जमीन नहीं है। आरोप लगाना आसान है। उन्होंने यह भी बताया कि 1954 से वक्फ कानून चल रहा है। समय-समय पर संशोधन भी हुआ। लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने जो संशोधन किया है। वो साजिशपूर्वक और वक्फ संपत्तियों को खत्म करने के लिए किया गया है। उन्होंने सरकार से कहा कि जमीन खोदने से देश आगे नहीं बढेगा। देश की भावना को जागृत करना होगा।

वक्फ बोर्ड का हिस्सा और कम किया सरकार ने
आपको बता दें कि डॉ. खानू खां बुधवाली ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार लगातार वक्फ बोर्डों को कमजोर कर रही है। पहले जो कमेटियों के द्वारा वक्फ बोर्डोंं को 7 प्रतिशत हिस्सा मिलता था। उसमें से भी एक प्रतिशत हिस्सा केंद्र को देना पड़ता है। उसे दो प्रतिशत कम कर दिया गया है। अब पांच प्रतिशत मिलेगा और उसमें भी एक प्रतिशत भारत सरकार को देना होगा। वक्फ बोर्ड अब चार प्रतिशत हिस्से में ना तो अपनी संपत्तियों का विकास कर पाएगा और ना ही अकलियत के लिए कुछ कर पाएगा। यही नहीं जिन संपत्तियों पर विवाद है। उनके स्वामित्व के संघर्ष के लिए भी आर्थिक स्थिति आड़े आएगी। कुल मिलाकर यह बिल वक्फ संपत्तियों को खुर्द बुर्द करने और वक्फ बोर्ड को खत्म करने की दिशा में लाया गया बिल है।

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