भूखंड घोटाले में अफसरों तक नहीं पहुंची एसओजी:विधानसभा में विधायक जैन बोले- आयड़, किशनपोल और झामरकोटड़ा चौकियों को थाने में प्रमोट करें
भूखंड घोटाले में अफसरों तक नहीं पहुंची एसओजी:विधानसभा में विधायक जैन बोले- आयड़, किशनपोल और झामरकोटड़ा चौकियों को थाने में प्रमोट करें

उदयपुर : उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन ने सोमवार को विधानसभा में नगर निगम के 272 भूखंड घोटाले का मुद्दा पुन: उठाते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस ने पूर्व में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया लेकिन अभी तक एक भी सरकारी अधिकारी को नहीं पकड़ा है।
वे सोमवार को विधानसभा में अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में नगर निगम में यह प्रकरण हुआ था और मामले को दबा दिया गया था। उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया तो करोड़ों रुपए के 49 भूखंडों को निगम ने अपने अधिकार में लिया।
बोले- अधिकारी एक भी गिरफ्तार नहीं हुआ
जैन ने कहा कि एसओजी ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है पर अभी तक इसमें शामिल एक भी सरकारी अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया। जैन ने कहा कि सरकार ने दिसम्बर तक का समय दिया था और दो माह अतिरिक्त निकल चुके है।
विधायक ताराचंद ने कन्हैयालाल हत्याकांड और देवराज मोची हत्याकांड का मामला उठाते हुए कहा कि शहर के बीच किशनपोल चौकी को थाने में क्रमोन्नत किया जाए। साथ ही आयड़ चौकी को भी पुलिस थाने में क्रमोन्नत किया जाए। विधायक ने झामरकोटड़ा चौकी को भी थाना बनाने की मांग की।
सीएसआर फंड से मिले पुलिस को सुविधाएं
जैन ने कहा कि पुलिस का बजट कम है। उदयपुर संभाग मुख्यालय है और यहां पर वीआईपी मूवमेंट रहता है। पुलिसकर्मियों के रहने के लिए मकान नहीं है और सुविधाएं भी नहीं है। विधायक ने सदन में मांग रखी कि पुलिस की भर्तियां की जाए और पुलिस को सुविधाएं चाहिए वह विभिन्न कंपनियों के सीएसआर फंड के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाए।
जेल के लिए बलीचा में जमीन आवंटित की जाए
जैन ने कहा कि उदयापोल बस स्टैंड के पास ही केन्द्रीय कारागार है और यह जेल करीब 50 बीघा जमीन पर फैली है और यह जमीन बहुमूल्य है। विधायक ने कहा कि पूर्व में जेल को देबारी शिफ्ट करने का प्रयास हुआ था पर वह फाईल दबी रह गई।
विधायक ने कहा कि बलीचा हाईवे पर न्यायालय परिसर के लिए जमीन आवंटित की है और बलीचा हाईवे पर काफी जमीन पड़ी है ऐसे में वहां पर जमीन आवंटित कर केन्द्रीय कारागार को वहां पर शिफ्ट किया जा सकता है। भविष्य में केन्द्रीय कारागार और न्यायालय के आमने-सामने होने से बंदियों को न्यायालय लाने-ले जाने में सुविधा भी रहेगी।