S= शीन K= काफ़ के साथ तखल्लुस ‘निजाम’:जोधपुर के शिव किशन बिस्सा दुनिया के लिए ‘शीन काफ़ निज़ाम’ को पद्मश्री
S= शीन K= काफ़ के साथ तखल्लुस 'निजाम':जोधपुर के शिव किशन बिस्सा दुनिया के लिए ‘शीन काफ़ निज़ाम’ को पद्मश्री

जोधपुर : साहित्य को एक ही होता है, जिसके लिए मैंने कबीर का एक दोहा कहा था – ‘कबीर कुआं एक है, भरने वाले अनेक, भांडे का ही भेद है, सबमें पानी एक’ इसी तरह, लिखने वाले अलग-अलग लिखते हैं, जैसे कोई संस्कृत में लिखते हैं, तो कोई उर्दू में। हिंदी हो या संस्कृत, अरबी हो या फारसी, सब हमारी भाषा हैं और मेरे लिए सभी सम्मानित हैं। भाषाओं को लेकर कुछ ऐसे ही विचार रखते हैं जाने-माने साहित्यकार शिव किशन बिस्सा, जिन्हें दुनिया शीन काफ़ निज़ाम के नाम से जानती है। पद्मश्री सम्मान की घोषणा के बाद उन्होंने अपने विचार कुछ इसी तरह व्यक्त किए।
वे कहते हैं कि ‘सम्मान और स्तुति ऐसी चीज है, जो भगवान और अल्ला मियां भी स्तुति से प्रसन्न होते हैं, मैं तो उनके सामने बच्चा हूं उनके आगे। आजादी के साथ-साथ ये कद्रदानी है। आपकी पसंद के लिए लिखने वालो को मैं लेखक नहीं मानता। लेखक अपनी तरफ से लिखे, जो उसे लिखना है… फिर चाहे उसे कोई पसंद करे या नहीं करे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’
बिस्सा का जीवन परिचय और नाम-तखल्लुस से बन गई नई पहचान
जोधपुर शहर हो या दुनिया का कोई अन्य हिस्सा, बहुत ही कम लोग होंगे, जो शीन काफ़ निज़ाम को उनके असली नाम शिव किशन बिस्सा के नाम से जानते हों। वे अपने नाम को लेकर बताते हैं कि दरअसल, वे खुद का नाम एस. के. बिस्सा लिखते थे और इसी नाम को उर्दू में लिखने पर एस = शीन, काफ़ = के होता है। इसके साथ निज़ाम शब्द उनका तखल्लुस है, जिसे मिलाने पर बना ‘शीन काफ़ निज़ाम’।
दिलीप कुमार से लेकर गुलज़ार तक से अभिन्न रिश्ते
शीन काफ़ निजाम की लेखनी पर पकड़ ऐसी थी, कि इन्होंने देश ही नहीं, दुनिया के हर हिस्से में आयोजित मुशायरों में अपनी अलग ही छाप छोड़ी। इसी के चलते मशहूर गीतकार गुलजार सहित दुनिया के नामचीन साहित्यकारों से भी अभिन्न मित्रता है। इसी तरह के रिश्ते फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार से भी थे।