18 सेकेंड में दुश्मन को तबाह करने वाली नाग मिसाइल:निशाना लगाओ और भूल जाओ की तकनीक; 36 साल बाद थर्ड जनरेशन सेना के बेड़े में
18 सेकेंड में दुश्मन को तबाह करने वाली नाग मिसाइल:निशाना लगाओ और भूल जाओ की तकनीक; 36 साल बाद थर्ड जनरेशन सेना के बेड़े में

230 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार, 4 किमी दूर दुश्मन पर महज 18 सेकेंड में प्रहार…
ये ताकत है एडवांस एंटी टैंक गाइडेड स्वदेशी मिसाइल नाग की। नाग की तीसरी पीढ़ी के सफल परीक्षण के बाद अब भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ती नजर आ रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने नाग मिसाइल Mk 2 का 13 जनवरी को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में सफल परीक्षण किया। नाग Mk 2 एंटी-टैंक मिसाइल है। यह ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ तकनीक पर काम करती है। मतलब एक बार निशाना लगाने के बाद मिसाइल खुद ही उसे तबाह कर देती है।
यह है खूबियां
- नाग मिसाइल का बाहरी भाग फाइबरग्लास से बना है। इसे दिन और रात हर मौसम में भारी बख्तरबंद टैंकों से नष्ट करने के लिए विकसित किया गया है।
- नाग मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकेंड की गति से अपने लक्ष्य पर प्रहार करती है। चार किलोमीटर दूर दुश्मन को 18 सेकैंड में तबाह कर देती है।
- इसमें एक बूस्टर रॉकेट पिछले सिरे की ओर स्थित है। नाग में चार मुड़ने योग्य पंख और चार पूंछ पंख होते हैं, जो उड़ान के दौरान इसे स्थिर रखते हैं।
- इसमें ट्रैकिंग कैमरा भी लगा है, जो टारगेट को ट्रैक करता है। डिजिटल ऑटो पायलट लॉन्च के बाद गाइड करने, स्थिरता और नियंत्रण में मदद करता है।

कलाम ने की थी शुरुआत यह मिसाइल इतनी एडवांस है कि किसी भी समय, किसी भी मौसम में फायर एंड फॉरगेट तकनीक पर काम करेगी। मिसाइल कैरियर व्हीकल NAMICA-2 की टेक्नोलॉजी भी कई गुना बढ़ी है और यह सतह और पानी दोनों में चल सकता है।
यह इंडियन थर्ड जनरेशन मिसाइल है, जो रक्षा के क्षेत्र में इसे बहुत बड़ा डेवलपमेंट माना जा रहा है। बता दें कि इस मिसाइल का विकास 1988 में एपीजे अब्दुल कलाम ने शुरू किया था। 36 साल बाद इसकी थर्ड जनरेशन सेना में शामिल होगी।
इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल प्रोग्राम के तहत डीआरडीओ पांच मिसाइल पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, आकाश और नाग पर काम कर रहा है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य देश को मिसाइल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सेल्फ सफिशिएंट बनाना है। इसे डीआरडीओ की ओर से और भारत डायनामिक्स लिमिटेड की ओर से निर्माण किया गया।
नाग मिसाइल के तीन वेरिएंट
एयर टू ग्राउंड वेरिएंट : इसे हेलिना या ध्रुवास्त्र के नाम से जाना जाता है। इस मिसाइल को लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर से लॉन्च किया जा सकता है। यह 7 किलोमीटर दूर दुश्मन पर वार कर नष्ट कर सकती है। हेलिना में दो फायर मोड है- डायरेक्ट और टॉप अटैक। यह मिसाइल फ्यूचरिस्टिक कवच को मात देकर टैंक को नष्ट करने की क्षमता रखती है। इसकी लेंथ 1.3 मीटर, डायमीटर 0.16 मीटर, वेट 43 किलोग्राम है। ऑपरेशनल रेंज 7 किलोमीटर और वारहेड का वेट 8 किलो ग्राम है।

मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल : भारत की तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है। इस मिसाइल को जवान कंधे पर रख कर वार कर सकता है। वजन में हल्की होती है। इसकी लेंथ करीब 1.3 मीटर, डायमीटर 0.12 मीटर, वेट 14.5 किलो और इसकी मैक्सिमम रेंज 2.5 किलोमीटर है। यह टैंक के ऊपर से नीचे जाकर धमाका करती है। इसमें हाई एक्सप्लोजिव एंटी-टैंक (HEAT) वारहेड होता है।

नाग मिसाइल : इसे लैंड अटैक वर्जन के लिए ‘प्रोस्पिना’ भी कहा जाता है। यह सभी मौसमों में मार करने वाली मिसाइल है। अलग-अलग रेंज की यह मिसाइल 500 मीटर से 20 किमी तक अटैक कर सकती है। दस साल तक इसके रखरखाव की जरूरत नहीं है। बता दें कि 13 जनवरी को नाग एमके 2 का सफल परीक्षण हुआ। साथ ही मिसाइल कैरियर नामिका 2 का भी परीक्षण हुआ। नाग मिसाइल को जिस सतह पर माउंट किया जाता है, तब उसे नामिका कहा जाता है।
क्या है नामिका नाग मिसाइल कैरियर (NAMICA) एक टैंक रोधी बख्तरबंद वाहन है। इसका इस्तेमाल भारतीय सेना टैंक रोधी मिसाइल दागने के लिए करती है। यह एक तरह का टैंक डिस्ट्रॉयर है। नामिका एक आर्म व्हीकल है। एक बार में 12 रेडी टू फायर नाग मिसाइल्स को केरी कर सकता है। यह सतह पर 64 किलोमीटर प्रति घंटा और पानी में 7 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलता है। यह लैंड नेविगेशन सिस्टम (LNS) से लैस है। इसमें साइलेंट वॉच क्षमता है।
खासियत : नामिका 2 को पूरी तरह भारत में तैयार किया गया है। जो भी पार्ट्स इसमें लगाए गए हैं, वो मेड इन इंडिया है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट के माध्यम से 260 करोड़ का इंपोर्ट पर जो खर्च होना था वह पैसा बचा है। नामिका 1 में दुश्मन को टारगेट करने के लिए दो तरह के टैंक तैनात करने पड़ते थे। नामिका 2 में हंटर किलर कैपेबिलिटी एक साथ जुड़ जाती है।
नामिका 1 पर 8 मिसाइल लगा सकते थे। रिजर्व में कोई भी मिसाइल अवेलेबल नहीं थी। वहीं नामिका टू में फ्रंट पर 6 मिसाइल लगा सकते हैं और 6 रिजर्व में रखने का एडवांटेज भी है । ऐसे में टोटल 12 मिसाइल केरी कर अटैक कर सकता है। मिसाइल कैरियर में एक इंटीग्रेटेड पीकेटी मिसाइल मशीन गन भी है।

दुश्मन नहीं ढूंढ पाएगा : मान लीजिए नाग कैरियर सिस्टम को दुश्मन से छुपाना है तो इस व्हीकल का इंजन स्विच ऑफ कर सकते हैं। इससे उसका जो हिट सिग्नेचर खत्म हो जाएगा। दुश्मन डिटैक्ट नहीं कर पाएगा। साथ ही में पावर यूनिट के आधार पर कैरियर से फायरिंग भी जारी रख सकते हैं। इस सिस्टम से एक ही समय में अल्टरनेटिव सोर्स ऑफ पावर का इस्तेमाल कर अटैक भी कर सकते हैं और दुश्मन से प्रोटेक्ट भी कर सकते हैं।
पानी-जमीन दोनों पर चलता है : नामिका मिसाइल कैरियर इसलिए खास है, क्योंकि इस व्हीकल में रूसी बीएमपी चेसिस लगा है। यह जमीन और पानी में दोनों जगह चल सकता है। दुश्मन पर स्ट्राइक के समय नदी के बीच में आती है तो वह भी यह आसानी से पार कर जाएगा।
ऐसे हुआ नाग मिसाइल का विकास
नाग मिसाइल का विकास 1988 में एपीजे. अब्दुल कलाम ने शुरू किया था। पहला परीक्षण नवंबर 1990 में हुआ था। आईआईआर-आधारित मार्गदर्शन प्रणाली के मुद्दों के कारण विकास में कई सालों तक देरी हुई। नाग मिसाइल का सितंबर 1997 और जनवरी 2000 में सफल परीक्षण हुआ। 2001 से नाग मिसाइल के विकास का कार्य डीआडीओ देख रहा है।