तीन महीने की बच्ची के साथ पहुंचीं टूर्नामेंट में, गोल्ड-जीता:बोलीं-पैर में पोलियो की वजह से लोगों ने मजाक बनाया, कहते-जीवनभर बोझ बनकर रहेगी
तीन महीने की बच्ची के साथ पहुंचीं टूर्नामेंट में, गोल्ड-जीता:बोलीं-पैर में पोलियो की वजह से लोगों ने मजाक बनाया, कहते-जीवनभर बोझ बनकर रहेगी

पैर में पोलियो हो गया था…लाेग मजाक उड़ाते थे..कहते थे- ये लाइफ में अब करेगी ही क्या। मां-बाप को कहते थे- अब ये जीवनभर बोझ बनकर रहेगी। लोगों के ताने सुनकर रोती थी।
ये कहानी है कम्बोडिया में इंटरनेशनल थ्रो बॉल टूर्नामेंट में गोल्ड लाने वाली सोनिया चौधरी की। 5 से 7 दिसंबर तक हुए इस टूर्नामेंट में वे अपनी तीन महीने की बच्ची के साथ गई और वहां के ही खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मैडल जीता।
जयपुर लौटने पर जब सोनिया चौधरी से बातचीत की तो उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए जीवन से जुड़े एक्सपीरिएंस शेयर किए। सोनिया चौधरी अभी शासन सचिवालय में चिकित्सा विभाग में यूडीसी पद पर कार्यरत है।

गांव से निकलकर बनाई खेल में पहचान
सोनिया चौधरी भरतपुर जिले के नदबई तहसील के उसेर गांव की रहने वाली है। सोनिया बताती है कि जिस परिवेश वे आई है, वहां लड़कियों का पढ़ाई करना और बाहर निकलना अच्छा नहीं माना जाता था।
मैं पढ़ना चाहती थी लेकिन दिव्यांग होने के कारण मेरे लिए कुछ आसान नहीं था। मेरे जन्म के 15 महीने बाद जब चल नहीं पाई तो पता चलाा कि पोलिया हो गया। इसकी वजह से मेरा एक पैर पूरा खराब हो गया था।
पैरों की समस्या के बाद भी मुझे लगता था कि मैं स्पोर्ट्स में आगे जाऊं लेकिन जब किसी को खेलते या दौड़ते देखती तो कुछ करने की इच्छा होती। गांव में रहने की वजह से मेरे पिता को ये सब अच्छा नहीं लगता था।
मेरी मां पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन मेरे पिता की इच्छा के खिलाफ जाकर वह मेरे साथ खड़ी रही। एक वक्त ऐसा भी आया कि मेरी पढ़ाई और खेल-कूद के लिए उन्हें गहने तक बेच दिए।

पैर में पोलियो की वजह से समाज और लोगों ने मजाक बनाया, ताने मारते तो रोने लगती थी
सोनिया ने बताया- पोलियो की वजह से समाज और लोगों के बीच कई बार मेरा मजाक बना। लोगों ने कई बार ऐसे कमेंट किए कि सहन भी नहीं हो पाता था।
कभी किसी ने मेरे दिव्यांग होने पर हंसी उड़ाई तो कोई कहता था एक पैर नहीं है, जीवन में क्या ही करेगी। इसे तो पढ़ना-लिखाना भी बेकार है।
लोग ताने देते थे- ये तो जीवन भर अपने परिवार पर बोझ बनकर रहेगी। कई बार तो लोगों की बात सुनकर रोने लगती थी। लेकिन मां ने हमेशा हिम्मत दिलाई। मैंने ठान लिया था कि समाज के लोगों को अपने काम से जवाब दूंगी।
साल 2015 में मुझे जयपुर फूट लगा तो हिम्मत आई। मैंने पॉलिटिकल साइंस में एमए की पढ़ाई की और बीएड किया। इसके बाद जयपुर में शासन सचिवालय में चिकित्सा विभाग में यूडीसी के पद पर नौकरी लगी।

शादी की बात पर घर वाले थे नाराज
सोनिया के पति आरव चौधरी (27) बिजनेसमैन है। दोनों की मुलाकात साल 2017 में फेसबुक पर हुई थी। पहले दोस्ती और फिर दाेनों के बीच प्यार हो गया। सोनिया बताती हैं- 2 साल के इंतजार के बाद साल 2019 में दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली थी।
इस शादी के बाद आरव के परिवार वाले खुश नहीं थे। वे सांतरूक गांव के रहने वाले है। ऐसे में उन्होंने इसका विरोध किया। दोनों की उम्र में फासला भी था और मैं दिव्यांग भी। इसलिए आरव के मम्मी-पापा और भाई-बहन समेत किसी को भी ये शादी मंजूर नहीं थी।
जैसे-तैसे हमने शादी तो कर ली लेकिन इसके बाद भी समाज के लोगों ने हम दोनों की काफी अलोचना की। हालांकि जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया परिवार ने अपना लिया। अभी दोनों गांधी नगर स्थित सरकारी आवास में रहते हैं।
देवेंद्रद झांझरिया का इंटरव्यू देख मिली प्रेरणा
सोनिया कहती हैं- मैंने शॉट पुट से खेल की शुरुआत की थी। फिर मैंने पॉवर लिफ्टिंग किया और 2017 में मैंने पैरा महिला क्रिकेट टी 20 में टीम इंडिया को रिप्रजेंट किया । इसके साथ ही 2024 में सिटिंग वॉलीबॉल में मैडल जीते ।
2017 में देवेंद्र झांझरिया का इंटरव्यू देख कर मुझे स्पोर्ट्स में कुछ कर दिखने की प्रेरणा मिली। आज पांच नेशनल ,दो इंटरनेशनल और 7 स्टेट मेडल जीत चुकी हूं। 2028 पैरालिंपिक में देश के लिए मेडल लाना मेरा लक्ष्य है ।

तीन महीने की बच्ची को साथ लेकर थ्रो बॉल प्रतियोगिता के लिए कम्बोडिया पहुंची
सोनिया ने कम्बोडिया में हुए टूर्नामेंट पर बात करते हुए बताया- जब मेरा इंटरनेशनल थ्रो बॉल खेल के लिए सिलेक्शन हुआ उसी दौरान मेरी बेटी अग्नि का जन्म हुआ था। सिलेक्शन होने के बाद मैं घबरा गई थी कि अब एक महीने की बच्ची के साथ कैसे प्रैक्टिस करूंगी और कैसे समय निकलेगा। लेकिन आरव और मेरे सुसराल वालों ने मुझे मोटिवेट किया।
जब मैं प्रैक्टिस के लिए जाती तो आरव और अग्नि की दादी उसे संभावलती। रोजाना चार घंटे प्रैक्टिस की। इसके बाद तीन महीने की बेटी को लेकर अपने पति के साथ कम्बोडिया पहुंचीं।
कम्बोडिया में भारत की ओर से 14 खिलाड़ियों का सामना वहां के 14 खिलाड़ियों से होना था। 7-7 खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिला। एक घंटे के समय में 4 राउंड हुए, जिसमें हमने 2.4 से सामने वाली टीम को मात दिया।