सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन:10वीं-12वीं के विद्यार्थियों की उपस्थिति स्कूलों में जाकर जांचेगा सीबीएसई
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन:10वीं-12वीं के विद्यार्थियों की उपस्थिति स्कूलों में जाकर जांचेगा सीबीएसई

उदयपुर : सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई), नई दिल्ली विद्यार्थियों की उपस्थिति को लेकर सजगता दिखा रहा है। बोर्ड की टीमें अब स्कूलों में अचानक निरीक्षण कर 10वीं-12वीं के बच्चों की उपस्थिति का आंकड़ा जानेगा। ठोस कारण के बिना लंबे समय तक अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को परीक्षा से वंचित करने का भी निर्णय लिया जाएगा। उपस्थिति रिकॉर्ड में हेरफेर करने वाले स्कूलों पर भी कार्रवाई होगी। उनकी मान्यता निरस्त की जाएगी। यह जांच सीबीएसई से संबद्ध विद्यालयों में होगी। विद्यार्थियों के परीक्षा में बैठने के लिए अभी 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।
बोर्ड को 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति की सूचना 7 जनवरी तक देना जरूरी
सीबीएसई ने विद्यार्थियों की अनुपस्थिति को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) जारी कर दी है। अनुपस्थिति की गणना आगामी 1 जनवरी 2025 तक के समय को लेकर की जाएगी। इस समयावधि में विद्यार्थी की उपस्थिति 75% होना अनिवार्य है। इससे कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों की सूचना मय आवश्यक दस्तावेजों के 7 जनवरी 2025 तक सीबीएसई के क्षेत्रीय कार्यालय को देनी होगी।
इसके लिए एक निश्चित परफॉर्मा भी बोर्ड ने जारी कर दिया है। शिक्षाविद् देव शर्मा के अनुसार क्षेत्रीय कार्यालय अनुपस्थिति के कारणों से संबंधित दस्तावेजों को जांचेगा। इनमें कुछ कमी होने पर संबंधित विद्यालय को 15 दिन में सूचित करेगा। क्षेत्रीय कार्यालय ही विद्यार्थी के 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने या नहीं होने के आदेश जारी करेगा। प्रदेशभर में इस साल 10वीं के 2 लाख तथा 12वीं के 1.50 लाख विद्यार्थियों के परीक्षा में शामिल होने का अनुमान है।
उपस्थिति कम तो ये दस्तावेज जरूरी
- अगर विद्यार्थी लंबे समय तक बीमार रहा तो बीमारी से संबंधित आवश्यक जांच रिपोर्ट व सरकारी चिकित्सक की ओर से जारी सर्टिफिकेट देना जरूरी होगा।
- किसी बच्चे के माता-पिता की मौत होने की स्थिति में सक्षम अधिकारी की ओर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र पेश करना होगा।
- राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों में भाग लेने पर सक्षम अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र।
स्कूल में हाजिर होना कई कारणों से जरूरी
बोर्ड का मानना है कि स्कूल मात्र किताबी-शिक्षा के केंद्र ही नहीं, बल्कि सर्वांगीण विकास के साधन भी हैं। इनमें विद्यार्थी सह अस्तित्व, सहयोग, समर्पण और संस्कार की शिक्षा प्राप्त कर व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से पूरी करते हैं। स्कूल से अनुपस्थित रहना उसके व्यक्तित्व के विकास व समाज के लिए घातक है।