भिवाड़ी : पुलिस की साइबर सेल ने केवल भिवाड़ी एसपी की जासूसी नहीं की है। पुलिस सेटअप का यह डिवीजन कामकाज को लेकर गंभीर सवालों के घेरे में है। तीन माह पहले अलवर में भाजपा नेता यासीन की हत्या में जयपुर के पुलिस कांस्टेबल पर आरोप लगे थे कि उसने साइबर ठग को यासीन की कार की लोकेशन निकालकर दी थी। अब जब साइबर सेल ने अपनी ही एसपी की जासूसी की तो पोल सबके सामने आई है।
भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि साइबर सेल कब, किसकी और क्या-क्या निजी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस में जुटाई गई, इसकी निगरानी फुलप्रूफ नहीं है। यही वजह रही कि भिवाड़ी एसपी के मामले में साइबर सेल इंचार्ज श्रवण जोशी अपने स्तर पर ही टीम को खास नंबर देकर लोकेशन निकलवाते रहे। स्टाफ का कहना था कि उन्हें नहीं पता था नंबर किसका है।
समझिए … कैसे होती है मोबाइल सर्विलांस, निगरानी का मैकेनिज्म क्या
पुलिस अक्सर दो तरह की लोकेशन लेती है। पहली ‘ए’ श्रेणी की लोकेशन जो इंटरनेट यूज करने वाले मोबाइल धारक की निकाली जाती है। ये सबसे सटीक होती है। दूसरी ‘सी’ श्रेणी की लोकेशन जो मोबाइल टावर के मार्फत मिलती है। पुलिस की साइबर सेल 24 घंटे में एक नंबर की लाेकेशन कितनी भी बार ले सकती है। साइबर सेल का नियंत्रण एसपी करते हैं। सेल को एक अधिकृत मोबाइल नंबर जारी किया जाता है। उसी पर सर्विलांस वाले नंबर के बारे में जानकारी के मैसेज भेजे और मंगाए जाते हैं।
डिजिटल साक्ष्य कंपनियों के डेटाबेस में दर्ज रहता है। हर माह लोकेशन की डिजिटल सूची निकलती है। ये एसपी तक जाती है। मगर यहीं से खेल भी शुरू होता है। अगर एसपी के स्तर पर अनावश्यक डेटा की छंटनी नहीं किए जाए या कोई चूक हो तो टीम की मनमानी और गड़बड़ी चल सकती है। दरअसल अधिकांश पुलिस जिलों में साइबर सेल के काम की स्क्रीनिंग नहीं होती। निगरानी में लिए नंबरों का रजिस्टर तक संधारित नहीं है। इसी लीक पोल का फायदा उठा दुरुपयोग किया जा रहा है।
समझिए कैसे निकाली जाती है मोबाइल की लोकेशन
हर मोबाइल फोन की लोकेशन संबंधित टेलीकॉम कंपनी के पास रहती है। जो कि कानूनन गोपनीय और निजी है। पुलिस और सरकारी एजेंसी लोकेशन लेने के लिए उक्त कंपनी से जानकाली लेती है। कंपनी संबंधित यूजर के एक्टिव फोन की लोकेशन मोबाइल टावर से लेती है। इसे ट्रैक करने में मोबाइल नंबर तथा आईएमईआई नंबर इस्तेमाल होता है। यही जानकारी साइबर सेल जुटा लेती है।
आईजी ने कहा- अब तक के सभी कार्यों का डिजिटल एविडेंस मौजूद, दोषियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी
“बुरे लोग हर जगह होते हैं। गैर कानूनी कामों में शामिल पुलिसकर्मी या अधिकारी पर जो भी कार्रवाई बनती है, वो की जाएगी। पुलिसकर्मियों ने ऐसा कृत्य किया है कि उसे जस्टिफाई नहीं कर सकते। साइबर क्राइमसे जुड़ी घटनाओं में सबूत स्थायी प्रकृति के होते हैं। भिवाड़ी साइबर सेल के अब तक के सभी कार्यों का भी डिजिटल एविडेंस मौजूद है। इनकी बारीकी से जांच भी होगी। ताकि पहले और भी कोई ऐसा काम किया है तो वो सामने आ जाए। दोषियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। भिवाड़ी एसपी ज्येष्ठा मैत्रयी की लोकेशन ट्रैक करने के मामले में जांच जारी है। एक दिन के भीतर नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं होगा। कार्रवाई न्यायसंगत हो, कोई निर्दोष ना फंसे इसके लिए बिना जांच निर्णय करना उचित नहीं है।” – अजयपाल लांबा, आईजी, जयपुर रेंज