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तीन साल चला प्रशासन शहरों के संग अभियान:जेडीए में एक साल में एक भी कॉलोनी का नियमन नहीं हुआ


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तीन साल चला प्रशासन शहरों के संग अभियान:जेडीए में एक साल में एक भी कॉलोनी का नियमन नहीं हुआ

तीन साल चला प्रशासन शहरों के संग अभियान:जेडीए में एक साल में एक भी कॉलोनी का नियमन नहीं हुआ

जयपुर : जेडीए रीजन में बीते एक साल से नई काॅलाेनियाें के नियमन कैम्प नहीं लगने से हजाराें भूखंडधारी पट्टाें के साथ मूलभूत सुविधाओ काे तरस रहे हैं। पूर्ववर्ती सरकार ने प्रशासन शहराें के संग अभियान में तीन साल में करीब 4 हजार काॅलाेनियाें का नियमन किया था। अक्टूबर 2023 में विधानसभा चुनाव आचार संहिता के साथ ही अभियान ठप पड़ गया और फिर नई काॅलाेनियाें के नियमन अटक गए।

सत्ता बदलते ही अभियान मार्च 2024 में खत्म हाे गया। सालभर में एक भी काॅलाेनी का नियमन प्रस्ताव नहीं लिया गया और न ही नई गाइडलाइन जारी की गई। शहर में करीब 600 काॅलाेनियाें ऐसी हैं, जहां बसावट है, लेकिन नियमन नहीं हाेने से मूलभूत सुविधाओं का तरस रही हैं। इनमें ज्यादातर काॅलाेनियां साेसायटी पट्टाें पर बसी है और कई काॅलाेनियाें निजी खातेदारी की हाेने बावजूद नियमन के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।

पूर्ववर्ती सरकार ने नियमाें में शिथिलता देकर कैम्प लगाए थे

पूर्ववर्ती सरकार ने प्रशासन शहराें के संग अभियान में नियमाें में शिथिलता देकर जाेन वाइज काॅलाेनियाें के नियमन के लिए शिविर लगाए थे। इनमें विकास समिति के जरिए रिकाॅर्ड लेकर दाे साल में जयपुर शहर की करीब 2 हजार काॅलाेनियाें का नियमन किया था। इसके बाद अक्टूबर में विधानसभा चुनाव और मार्च में लाेकसभा चुनाव आचार संहिता लगने से नियमन कैम्प ठप पड़ गए।

आचार संहिता में नए रिकाॅर्ड स्वीकार नहीं किए गए। मार्च के बाद केवल उन्हीं काॅलाेनियाें काे पट्टे जारी हुए, जिनकी जेडएलसी मार्च से पहले जारी हाेकर भूखंडधारियाें काे डिमांड जारी हाे चुके। लाेकसभा चुनाव के बाद राज्य सरकार ने पुरानी पेंडेंसी काे खत्म करने के आदेश दिए, लेकिन रूटीन में हाेने वाले नियमन कैम्प लगाने काे लेकर काेई दिशा निर्देश जारी नहीं किए। ऐसे में जेडीए ने नए नियमन कैम्प नहीं लगाए।

हर जाेन में 20-25 काॅलाेनियां

शहर में जेडीए रीजन के 18 जाेन हैं। इनमें पुरानी बसावट, पुराने रिकाॅर्ड के अाधार पर अभियान में कैम्प लगाए गए। इसके बावजूद काॅलाेनियाें ने रिकाॅर्ड पेश नहीं किए या समितियाें ने रिकाॅर्ड जमा नहीं कराए। वहीं सैकड़ाें काॅलाेनियां जाे निजी खातेदारी में डवलप हुई और अब बसावट हाे चुकी। इनमें भी भूखंडधारियाें काे पट्टे नहीं मिले। हर जाेन में 20-25 काॅलाेनियां हैं, जहां नियमन की दरकार है।

नए कैम्प लगे ताे मिले रेवेन्यू

सरकार से दिशा निर्देशाें के अभाव में जेडीए ने नए नियमन कैम्प काे लेकर काेई फैसला नहीं कर पाया है, क्याेंकि अभियान में कई तरह की शिथिलताएं दी गई थी। अभियान खत्म हाेते ही छूट खत्म कर दी गई। जेडीसी आनंदी ने हाल में अधिकारियाें की बैठक लेकर इस मामले काे लेकर चर्चा की और राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा है। जेडीए नई काॅलाेनियाें के नियमन कैम्प लगाता है ताे कराेड़ाें रुपए का रेवेन्यू मिलेगा।

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