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महफिले मिलाद शुरू, मुहम्मद साहब की जीवनी से कराते रूबरू:टोंक रियासत चौथे नवाब इब्राहिम अली खां ने शुरू की थी ये परंपरा, विश्व में ये ही होता है आयोजन


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महफिले मिलाद शुरू, मुहम्मद साहब की जीवनी से कराते रूबरू:टोंक रियासत चौथे नवाब इब्राहिम अली खां ने शुरू की थी ये परंपरा, विश्व में ये ही होता है आयोजन

महफिले मिलाद शुरू, मुहम्मद साहब की जीवनी से कराते रूबरू:टोंक रियासत चौथे नवाब इब्राहिम अली खां ने शुरू की थी ये परंपरा, विश्व में ये ही होता है आयोजन

टोंक : हजरत मुहम्मद (स.) के यौमे पैदाईश के उपलक्ष्य में नजर बाग पैलेस में ऐतिहासिक महफिले मिलाद का आयोजन शुक्रवार से शुरू हो गया है। जो एक सप्ताह तक चलेगा। इस महफिल के साप्ताहिक आयोजन की शुरुआत टोंक स्टेट के चौथे नवाब इब्राहिम अली खां के समय हुई थी। नवाब इब्राहिम अली खां टोंक रियासत के करीब 63 साल नवाब रहे। उनके दौर में कई कार्य हुए, जिसमें एक यादगार महफिल मिलाद भी है। यह आयोजन विश्व में हर साल टोंक में ही होता है।

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी नजर बाग पैलेस में महफिले मिलाद का आयोजन शुरू हुआ। इस दौरान मौलाना जमील, अजीजुल हक, सा. सौलत अली खां, सरवत अली खां, सा. गुलजार खान, आसिफ अली खां, सा. वसी आदि मौजूद रहे। जिन्होंने नस्र व नज्म के रुप में हजरत मुहम्मद साहब की सीरत पर रोशनी डाली।

ये महफिल बारावफात के बाद तक जारी रहेगी। बारावफात 16 को मनाई जाएगी। लेखक एम.असलम बताते हैं कि मरहूम मौलवीं सैयद असगर अली की तारीखे टोंक पुस्तक से पता चलता है कि इस मजालिस का आगाज हिजरी सन् 1313 से कुछ पहले हुआ। वर्तमान में हिजरी सन 1446 चल रहा है। शुरू में ये महफिल नजर बाग के बाहर दरवाजे के सामने वाले मैदान में मुनकिद होती थी। नवाब इब्राहिम अली खां ने 36 साल तक इस महफिल का एहतेमाम किया। बरकाती साहब ने उनकी शासन काल की आखिरी महफिले मिलाद इस्लामी हिजरी सन 1348 की भी मंजरकशी अपनी किताब में की थी। जिससे पता चलता है कि उस समय महफिले मिलाद का आयोजन काफी भव्य होने के साथ ही बहुत सम्मानजनक तरीके हुआ करता था। नवाब इब्राहित अली खां के बाद भी इस महफिले का साप्ताहिक आयोजन उनके वंशजों द्वारा निरंतर जारी है। इसमें प्यारे नबी हजरत मुहम्मद (स.) की सीरते पाक पर मिलादे खलील की सात जिल्दे नस्र व नज्म में लिखी है, जो बेहद शीरी लहजे में पूरे एहतेमाम के साथ सात दिनों तक पढ़ी जाती है। रियासत काल में हजरत मुहम्मद (स.) की यौमे पैदाईश के मौके पर आठ-दस कैदियों की सजा माफ कर रिहा भी किया जाता था।

उल्लेखनीय है कि इस्लामी हिजरी सन के तीसरे माह रबीउलअव्वल की 9 तारीख से नजर बाग पैलेस में साप्ताहिक महफिले मिलाद का आयोजन होता है।

प्रत्येक दिन तकसीम होती थी मिठाई :

इस मौके पर मदरसों, पाठशालाओं आदि की फेहरिस्त बनाई जाती थी, जिनको प्रत्येक दिन मिठाई तकसीम की जाती थी। कई महकमों में साप्ताहिक छुट्टी होने के साथ ही पूरे शहर में करीब डेढ सौ मन मिठाई का वितरण एक दिन में हो जाया करता था। उस समय बिजली नहीं होने के कारण लालटेनों को खूबसूरत तरीके से सजाकर रोशनी की जाती थी। नजर बाग के मैदान में काफी खूबसूरत इंतजाम महफिले मिलाद के लिए किए जाते थे। इस दौरान नवाब भी मौजूद रहते थे।

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