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चूरू का जवान शहीद,15 महीने के बेटे ने दी मुखाग्नि:मां ने अंतिम दर्शन करते समय लाडले को दुलारा;कमांडो ट्रेनिंग के दौरान पलटी थी नाव


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चूरू का जवान शहीद,15 महीने के बेटे ने दी मुखाग्नि:मां ने अंतिम दर्शन करते समय लाडले को दुलारा;कमांडो ट्रेनिंग के दौरान पलटी थी नाव

चूरू का जवान शहीद,15 महीने के बेटे ने दी मुखाग्नि:मां ने अंतिम दर्शन करते समय लाडले को दुलारा;कमांडो ट्रेनिंग के दौरान पलटी थी नाव

चूरू : महाराष्ट्र में कमांडो ट्रेनिंग के दौरान शहीद हुए विजय कुमार धीनवाल (28) का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। जैसे ही विजय कुमार तिरंगे में लिपटकर घर के आंगन में पहुंचे तो परिजनों की रुलाई फूट पड़ी।

शहीद विजय कुमार चूरू जिले की तारानगर तहसील की आनंदसिंह पुरा पंचायत की ढाणी आशा के रहने वाले थे। उनकी पार्थिव देह घर पहुंची तो पिता मदनलाल की आंखें पथरा गई। शहीद की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वह बार-बार बेसुध हो रही थीं। मां पार्वती देवी ने अंतिम दर्शन किए तो बेटे को दुलार किया।

शहीद का अंतिम संस्कार घर से 1 किलोमीटर दूर मुक्तिधाम में किया गया। आर्मी के जवानों ने शहीद के छोटे भाई शिवलाल को तिरंगा सौंपा। 15 महीने के बेटे लक्षित ने शहीद को मुखाग्नि दी।

शहीद विजय कुमार का उनके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 15 महीने के बेटे ने उनको मुखाग्नि दी।
शहीद विजय कुमार का उनके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 15 महीने के बेटे ने उनको मुखाग्नि दी।
विजय कुमार गांव के पहले शहीद हैं। उनको आखिरी विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में आसपास के गांवों से लोग आए।
विजय कुमार गांव के पहले शहीद हैं। उनको आखिरी विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में आसपास के गांवों से लोग आए।

कमांडो ट्रेनिंग के दौरान हुए थे शहीद शहीद विजय कुमार धीनवाल 8 राजपूताना राइफल्स (राज रिफ) में राइफल मैन थे। वे महाराष्ट्र के बेलगांव में कमांडो ट्रेनिंग कर रहे थे। 7 सितंबर की सुबह ट्रेनिंग के दौरान विजय कुमार की नाव नदी में पलट गई। हादसे के समय नाव में 7 जवान सवार थे। पांच जवानों को बचा लिया गया, जबकि विजय कुमार और नेपाल निवासी एक जवान शहीद हो गए थे।

15 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली शहीद विजय कुमार का पार्थिव शरीर रविवार शाम को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया था, जहां से सड़क मार्ग से सोमवार सुबह तारानगर पहुंचा। तारानगर से शहीद के पैतृक गांव आनंदसिंह पुरा पंचायत की ढाणी आशा तक करीब 15 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। तिरंगा यात्रा में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़। रास्ते में पड़ने वाले गांवों के लोग भी शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए सड़क पर निकल आए। इस दौरान जब तक सूरज चांद रहेगा विजय भाई तेरा नाम रहेगा, शहीद विजय कुमार अमर रहे के नारे गूंजे। यात्रा में शामिल गाड़ियों के काफिले में देशभक्ति गाने बज रहे थे।

शहीद को आखिरी विदाई देने के लिए सांसद राहुल कस्वां, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, तारानगर तहसीलदार, तारानगर डीएसपी मीनाक्षी, तारानगर थानाधिकारी गौरव खेड़िया, जिला सैनिक कल्याण बोर्ड अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल दिलीप सिंह सहित अनेक जनप्रतिनिधि और ग्रामीण पहुंचे।

पति के शहीद होने की खबर मिलते ही पत्नी किरण का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वह बार-बार बेसुध हो रही थीं।
पति के शहीद होने की खबर मिलते ही पत्नी किरण का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वह बार-बार बेसुध हो रही थीं।

2015 में आर्मी में भर्ती हुए थे विजय शहीद के ताऊ शीशपाल धीनवाल ने बताया कि विजय का साल 2015 में भारतीय आर्मी में चयन हुआ था। वे 8, राजपूताना राइफल्स में राइफलमैन थे। विजय की शादी 5 मार्च 2022 में सरदारशहर तहसील के गांव गाजुसर की रहने वाली किरण से हुई थी। किरण बीएड पास है। दोनों के 15 महीने का बेटा लक्षित है। दो भाइयों में विजय बड़ा है। उसका छोटा भाई शिवलाल आईआईटी पास है और फिलहाल यूपीएससी की तैयारी कर रहा है।

6 सितंबर को हुई थी अंतिम बार बात उन्होंने बताया कि विजय 2 अगस्त को छुट्टी पूरी कर ड्यूटी पर गया था। वह 4 सितंबर को कमांडो की ट्रेनिंग पर गया था। विजय ने आखिरी बार 6 सितंबर को बात की थी। तब उसने गांव और परिवार के लोगों के हालचाल पूछे थे।

शहीद विजय के पिता भी आर्मी से रिटायर्ड शहीद की ताऊ ने बताया कि शहीद विजय के पिता मदनलाल धीनवाल भी भारतीय सेना में थे। वे 2020 में दिल्ली रिकॉर्ड शाखा से नायब सूबेदार की पोस्ट से रिटायर हुए थे। विजय गांव का पहला शहीद है।

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