सीकर के पवन ने विश्व की सबसे ऊंची रेस जीती:लद्दाख में आयोजित ‘खारदुंग ला चैलेंज’ में 9 घण्टे 20 मिनट तक लगातार दौड़े, 50 की उम्र में 1st विजेता रहे
सीकर के पवन ने विश्व की सबसे ऊंची रेस जीती:लद्दाख में आयोजित 'खारदुंग ला चैलेंज' में 9 घण्टे 20 मिनट तक लगातार दौड़े, 50 की उम्र में 1st विजेता रहे

सीकर : सीकर के रहने वाले पवन कुमार ढ़ाका (50) ने 72 किमी लदाख अल्ट्रा मैराथन (खारदुंग ला चैलेंज) में अपनी उम्र में विजेता रहे हैं। वहीं ओवरऑल 15 वां स्थान हासिल किया है। ढ़ाका ने यह मैराथन 9 घण्टे 19 मिनट 11 सेकंड में पूरी कर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। 2023 में उन्होंने 42 किमी मैराथन फतेह की थी। ढ़ाका सीकर में नवलगढ़ रोड स्थित मयूर मैरिज गार्डन के ऑनर है।

दुनिया की सबसे ऊंची मैराथन
खारदुंग ला चैलेंज (72 किमी) दुनिया की सबसे ऊंची अल्ट्रा मैराथन है।दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर होने के कारण इसे सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण दौड़ भी कहा जाता है। दौड़ के लिए पहले खारदुंग ला टॉप (32 किमी) जाना होता है व फिर वापस 40 किमी लौटना होता है।
72 किमी की इस दौड़ को पवन ढ़ाका ने 9 घण्टे 19 मिनट 11 सेकंड में पूरी की है। दौड़ पूरी करने का समय 14 घण्टे होता है। इस दौड़ का आयोजन लद्दाख में छह अलग-अलग श्रेणियां में हुआ था। जिसमें 28 देशों के 6281 धावकों ने भाग लिया। जिससे ये मैराथन लद्दाख में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय आयोजन बना।

14 घण्टे में पूरी करनी थी दौड़
मैराथन खारदुंग गांव (समुद्र तल से ऊंचाई 14,000 फीट पर) से शुरू हुई और खारदुंग ला टॉप (समुद्र तल से ऊंचाई 17800 फीट पर ) से डाउनहिल व लेह मार्केट (40 किमी 11800 फीट पर) पर खत्म हुई। इसमें प्रतिभागियों को अधिकतम में 14 घंटे में 72 किलोमीटर की दूरी पूरी करनी थी। मैराथन सुबह 3 बजे खारदुंग गांव से शुरू हुई। शाम 5 बजे खत्म हुई। पवन ढ़ाका 9 घंटे 19 मिनट तक लगातार दौड़ते रहे। केवल सिर्फ एक बार कपड़े बदलने के लिए बैठे। 234 धावकों में ढ़ाका 15 वें स्थान पर रहे।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रेरित करना ही उद्देश्य
पवन कुमार ढ़ाका ने कहा कि वह 50 की उम्र में भी पूरी तरह से मानसिक व शरीरिक रूप से स्वस्थ है। वे इस दौड़ में हिस्सा लेकर युवाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना चाहते हैं कि वे नशे को त्यागें और रोजाना योग, व्यायाम करें जिससे की वह लंबी उम्र तक स्वस्थ रहें। आज अच्छा स्वास्थ्य होना बहुत जरूरी है।
