हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला:दुबई में बसे पिता को नहीं, मां को दी कस्टडी; अच्छी वित्तीय स्थिति सर्वोत्तम नहीं, मां ही बच्चे को दे सकती है अच्छी परवरिश
हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला:दुबई में बसे पिता को नहीं, मां को दी कस्टडी; अच्छी वित्तीय स्थिति सर्वोत्तम नहीं, मां ही बच्चे को दे सकती है अच्छी परवरिश
जयपुर : हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को बच्चे की कस्टडी को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया। दुबई में बसे पिता को 7 साल के बच्चे की कस्टडी दिलवाने से इंकार करते हुए कोर्ट ने कहा है कि ऐसा करना बच्चे के सर्वोत्तम हित में नहीं होगा।
अदालत ने स्पष्ट किया कि पिता के वित्तीय हालात यह तय करने में निर्णायक नहीं हो सकते कि इस आधार पर नाबालिग बच्चे की कस्टडी उसे दे दी जाए और वह उसके लिए अच्छी रहेगी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह निर्देश पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। हालांकि अदालत ने पिता को बच्चे से मिलने-जुलने में छूट देने का फैसला सुनाया है।
पिता को कोर्ट ने दी 7 साल के बेटे से मिलने की इजाजत
पत्नी की ओर से अधिवक्ता दीपक चौहान ने कहा कि बच्चे की उम्र 7 साल है। वह उसकी अच्छी तरह से देखभाल कर रही है और सबसे करीबी भी वह ही है। यह आरोप भी गलत है कि प्रार्थिया का बच्चे से अच्छा बर्ताव नहीं है, बच्चा मां के साथ अच्छे से रह रहा है। इसलिए ऐसा कोई भी कारण नहीं है कि बच्चे की कस्टडी मां से लेकर पिता को दी जाए। खंडपीठ ने मां के पक्ष में फैसला देते हुए बच्चे को मां के साथ ही रहने दिया और पिता को मिलने-जुलने की छूट देते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया।