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जंगल में भटके आशीष की मौत का जिम्मेदार कौन?:सीमा विवाद में उलझी पुलिस ने 5 घंटे गंवाए, अंधेरे में ढूंढने निकली, राहुल अब भी लापता


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जंगल में भटके आशीष की मौत का जिम्मेदार कौन?:सीमा विवाद में उलझी पुलिस ने 5 घंटे गंवाए, अंधेरे में ढूंढने निकली, राहुल अब भी लापता

जंगल में भटके आशीष की मौत का जिम्मेदार कौन?:सीमा विवाद में उलझी पुलिस ने 5 घंटे गंवाए, अंधेरे में ढूंढने निकली, राहुल अब भी लापता

जयपुर : जयपुर शहर में नाहरगढ़ की पहाड़ियों में चरण मंदिर के दर्शन कर लौटते समय रास्ता भटके दो भाइयों में से एक की मौत हो चुकी है। दूसरे युवक का तीन दिन बाद भी कोई कोई सुराग नहीं लग पाया है। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पुलिस को बच्चों के रास्ता भटकने की सूचना रविवार दोपहर 2 बजे दे दी थी। लेकिन पुलिस 5 घंटे तक उन्हें टलाती रही।

सर्च की बजाए शास्त्रीनगर और ब्रह्मपुरी थाना पुलिस सीमा विवाद में उलझी रही। इस घटना को लेकर जहां लोगों में आक्रोश है वहीं पुलिस की सुस्ती भी सवालों के घेरे में है? 72 घंटे के बाद भी दूसरे भाई को क्यों नहीं तलाशा जा सका है, यह भी सवाल बना हुआ है? भास्कर ने इस पूरे घटनाक्रम की टाइमिंग की पड़ताल कर जाना कि आखिर सबसे बड़ा जिम्मेदार कौन है?

रविवार सुबह 6 बजे घर से मंदिर जाने को निकले थे राहुल और आशीष

शास्त्री नगर थाना क्षेत्र के पर्वतिया कॉलोनी में रहने वाले सुरेश चंद शर्मा फलों का ठेला लगाते हैं। उनका बड़ा बेटा राहुल (21) और छोटा बेटा आशीष (19) एक फाइनेंस कंपनी में जॉब करते थे। रविवार को छुट्‌टी के दिन दोनों भाई सुबह 6 बजे घर से करीब 10 किलोमीटर दूर नाहरगढ़ की पहाड़ियों में स्थित चरण मंदिर दर्शन के लिए पैदल निकले थे।

12 घंटे बाद तक एक्टिव था आशीष का मोबाइल

पुलिस सूत्रों ने बताया कि आशीष का फोन रास्ता भटकने के बाद 12 घंटे से ज्यादा समय तक चालू था। रास्ता भटकने की सूचना दोपहर करीब 12 बजे की थी। उसकी लोकेशन लगातार ट्रेस हो रही थी। उसी लोकेशन के आधार पर पुलिस सोमवार की सुबह 6 बजे पहुंची तो आशीष की डेड बॉडी मिली। आशीष का मोबाइल डेड बॉडी मिलने से कुछ घंटे पहले ही बंद हुआ था। उधर राहुल का मोबाइल जल्दी बंद हो गया था।

पुलिस ने 5 घंटे सीमा विवाद में गंवाए

राहुल और अशीष रविवार दोपहर 12 बजे के बाद खो गए थे। परिजन करीब 2 बजे के आस-पास पुलिस थाने पहुंच गए थे। इसके बाद पांच घंटे तक शास्त्रीनगर थाने के पुलिसकर्मी शास्त्रीनगर थाने और ब्रह्मपुरी थाने के सीमा को लेकर परिजनों को भटकाते रहे। जब चार बजे के करीब पुलिस ने आशीष की मोबाइल लोकेशन निकाली तो नाहरगढ़ की पहाड़ी के पास आ रही थी। अगर इस समय पुलिस एक्टिव हो जाती तो आशीष समय रहते मिला जाता। सर्च ऑपरेशन के लिए पुलिस के पास पूरे 5 घंटे थे।

पुलिस एक्टिव हुई तब तक रात हो गई

शास्त्रीनगर पुलिस ने दोनों भाई की तलाश शाम 7.30 बजे के बाद शुरू की। इसके आधे घंटे बाद ही रात होने के कारण अंधेरा हो गया था। अंधेरे में जब पुलिसकर्मी तलाश नहीं कर पाए तो सिविल डिफेंस को सूचना दी गई। रात के अंधेरे के कारण पुलिस तलाश सही से नहीं कर पाई। यही कारण रहा कि जहां से तलाश रात को की थी, उसी जगह सुबह 6 बजे आशीष का शव मिला।

पहाड़ी से गिरने के कारण या डर से मौत हुई?

आशीष के सिर और हाथों में चोट के निशान थे। उसके हाथ में मरने के बाद भी मोबाइल पकड़ा हुआ था। आशीष के शरीर पर यह चोट के निशान पहाड़ी से गिरने के कारण लगे हैं या झाड़ियों में गिरने के कारण, यह पता नहीं लग पाया है। आशीष ने रात जंगल में गुजारी थी। नागरगढ़ के क्षेत्र में लेपर्ड का मूवमेंट रहता है।

अंदेशा है कि रात के समय जंगली जानवरों से बचने के लिए वो भागा और गिरने से चोट लग गई। यह भी आशंका है कि डर के कारण आशीष की मौत हो गई। एक आशंका भूख से मौत की भी जताई जा रही है। क्योंकि आशीष और उसका भाई राहुल रविवार सुबह 6 बजे बिना खाना खाए घर से निकले थे। इसके बाद पूरे दिन दोनों जंगल में भटकते रहे। रात भी दोनों ने जंगल में बिना पानी के निकाली थी। ऐसे में दोनों शारीरिक रूप से भी कमजोर हो गए थे।

रविवार दोपहर 1 बजे

  • परिजन शास्त्रीनगर थानाधिकारी दलबीर सिंह फौजदार के पास शिकायत लेकर गए थे। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने बच्चों को तलाशने के लिए मदद मांगी। पर पुलिस ने उनकी सुनवाई नहीं की।
  • चचेरे भाई रवि पाराशर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने न तो उनकी शिकायत लिखी न ही मदद करने को तैयार हुए।
  • रवि का आरोप है कि उन्हें थाने से भगा दिया। ऐसे में हम और राहुल और आशीष के कुछ दोस्त उन्हें ढूंढने करीब 2 बजे नाहरगढ़ की पहाड़ियों के लिए निकल गए।

करीब 4 बजे पुलिस ने लोकेशन दी

  • करीब 2 घंटे ढूंढने के बाद परिवार को कामयाबी नहीं मिली। बाद में पुलिस ने शाम 4.17 बजे परिवार को लोकेशन निकालकर दी
  • परिवार को ही तलाशने के लिए भेज दिया। फिर 2 घंटे तलाश की गई। वापस थाने पहुंचे तो गुमशुदगी दर्ज करवाने ब्रह्मपुरी थाने भेज दिया।

थानाधिकारी का आरोपों पर जवाब : थानाधिकारी दलबीर सिंह ने बताया कि परिजन हमारे थाने में 4:00 बजे आए थे। आते ही हमने युवकों के मोबाइल की लोकेशन निकाली। आखिरी लोकेशन नाहरगढ़ की पार्किंग के पास आई थी। इसकी पुष्टि नाहरगढ़ में तैनात होमगार्ड ने भी की थी। उसने वहां से युवकों को जाते हुए देखा था। युवकों की लोकेशन मिलने पर परिजनों को तलाश करने के लिए कहा था।

तब तक परिजनों ने हमें लिखित शिकायत नहीं दी थी। हमने उन्हें यही कहा था कि पहले लड़कों की लोकेशन आ गई है, उन्हें ढूंढ लो मामला बाद में भी दर्ज हो जाएगा। आखिरी लोकेशन नाहरगढ़ में होने के कारण हमने ब्रह्मपुरी थाने में मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा था। साथ ही चार पुलिस कर्मियों को भेजा था। दो को नाहरगढ़ और दो को बस्ती में तलाश करने के लिए भेजा था।

रविवार शाम 5 बजे

  • रविवार की शाम के 4.30 बज चुके थे। दोनों युवकों को रास्ता भटके हुए करीब 5 घंटे हो चुके थे। शास्त्रीनगर थाना पुलिस ने ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र का मामला कहकर परिजनों को वहां भेज दिया।
  • जिसके बाद करीब 5 बजे परिजन ब्रह्मपुरी थाने पहुंचे। युवकों के रिश्तेदार तिलक शर्मा का आरोप है कि ब्रह्मपुरी थानाधिकारी ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।
  • जवाब दिया कि लापता हुए युवकों का घर शास्त्रीनगर में आता है। युवक जिस क्षेत्र से चले और रास्ता भटके उसके मुताबिक मुकदमा शास्त्रीनगर में दर्ज होगा।
  • आरोप है कि थानाधिकारी ने केवल खानापूर्ति की। इतने बड़े जंगल में सर्च के लिए एक-दो पुलिसकर्मियों को ही भेजा।

आरोपों पर थानाधिकारी ब्रह्मपुरी का जवाब : ईश्वर चंद्र पारीक ने बताया परिजन हमारे पास आए थे। परिजनों के आते ही हमने बताया कि हमारी एक गाड़ी नाहरगढ़ में ही है। इसके बाद हमने परिजनों के पुलिस टीम के साथ तलाश करने भी भेजा था। लेकिन मामला शास्त्री नगर थाने का होने के कारण शिकायत वहां दर्ज करने के लिए कहा था। हमारे पास मामले की जानकारी आने के बाद हमारी टीम पिछले दो दिन से युवकों की तलाश कर रही है।

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