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BSF के जवान कर रहे पाकिस्तानी बकरियों की देखभाल:फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने लेने से इनकार किया; 43 दिन पहले भारतीय सीमा में घुसी थी


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BSF के जवान कर रहे पाकिस्तानी बकरियों की देखभाल:फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने लेने से इनकार किया; 43 दिन पहले भारतीय सीमा में घुसी थी

BSF के जवान कर रहे पाकिस्तानी बकरियों की देखभाल:फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने लेने से इनकार किया; 43 दिन पहले भारतीय सीमा में घुसी थी

बाड़मेर : भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल सीमा पर तारबंदी क्रॉस करके करीब डेढ़ महीने पहले भारत की सीमा में घुसी 250 से ज्यादा बकरियां सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) के लिए परेशानी बन गई है। पाकिस्तानी सेना ने फ्लैग मीटिंग में बकरियां लेने से इनकार कर दिया है। इसके कारण बीएसएफ के जवान उनकी देखरेख कर रहे हैं।

दरअसल, भारत सरकार ने वस्तुएं एवं पशुधन कस्टम एक्ट के नियमों में बदलाव कर दिया है। नए नियमों में सीमा पार से आए पशुओं के स्थानीय स्तर पर ही निस्तारण का प्रावधान है। ऐसे में कस्टम विभाग ने भी नियम का हवाला देते हुए बकरियां लेने से इनकार कर दिया है।

नियमों के तहत बकरियां किसी एनजीओ को देने का प्रावधान है, लेकिन जिले में ऐसा एनजीओ नहीं होने से स्थानीय स्तर पर बकरियों की नीलामी की जाएगी। हालांकि जब तक इन्हें कोई खरीदार नहीं मिलता है, तब तक बकरियां सेना के पास ही रहेंगी और उनकी देखभाल भी सेना ही करेगी। मामले में बीएसएफ ने कलेक्टर को भी पत्र लिखा है और ग्रामीणों से भी बकरियों के मामले में सहयोग मांगा है।

राजस्थान में भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 1070 किलोमीटर लगती है। इसमें बाड़मेर की सीमा करीब 270 किलोमीटर है।
राजस्थान में भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 1070 किलोमीटर लगती है। इसमें बाड़मेर की सीमा करीब 270 किलोमीटर है।

जानिए पूरा मामला
भारत-पाक बॉर्डर पर 16 जुलाई(गुरुवार) को सरुपे का तला में बीएसएफ पोस्ट पर दो रेतीले टीलों के बीच में से सिंगल लाइन तारबंदी करीब 20-25 फीट काट दी गई थी। शाम को पेट्रोलिंग के दौरान बीएसएफ जवानों और अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली। जिसके बाद बीएसएफ ने निगरानी बढ़ा दी थी। शुक्रवार की शाम पाकिस्तान की तरफ से 250 से अधिक बकरियां भारत की सीमा में घुस गई। जिन्हें मौके पर मौजूद बीएसएफ के जवानों ने अपने कब्जे में ले लिया।

43 दिनों से भारतीय सेना कर रही देखभाल
बकरियों को भारतीय सीमा में आए करीब 43 दिन हो गए। जब तक उन पर पाकिस्तान की ओर से दावा नहीं किया जाए, अथवा बीएसएफ स्थानीय स्तर पर किसी संस्था को उन्हें नहीं सौंप दें, तब तक बकरियों की देखभाल सेना द्वारा ही की जाएगी। इसके कारण सेना ने करीब 6 जवानों को उनकी देखभाल के लिए लगाया है, जो बकरियों के खाने-पीने का ध्यान रखते है। देखभाल के लिए ग्रामीणों का भी सहयोग लिया जा रहा है। हालांकि बारिश होने के कारण क्षेत्र में फिलहाल चारे-पानी की अच्छी व्यवस्था है।

कलेक्टर बोले- चिट्ठी मिली है, विधिक परीक्षण ले रहे है
जिला कलेक्टर निशांत ने बताया- बकरियों के संबंध में बीएसएफ की ओर से चिट्ठी मिली है। निस्तारण को लेकर विधिक परीक्षण करवाया जा रहा है। हालांकि फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तान ने फिलहाल बकरियां लेने से इनकार किया है। साथ ही चरवाहे के मालिक की जानकारी भी नहीं दी है। तारबंदी कटने का कारण भी अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है।

राजस्थान में बॉर्डर पर 1070 किलोमीटर लंबी तारबंदी
राजस्थान में भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 1070 किलोमीटर लगती है। इसमें बाड़मेर की 270, जैसलमेर की 470 किलोमीटर है। शेष बीकानेर और श्रीगंगानगर से लगती हुई सीमा है। राजस्थान में इस तारबंदी के ज्यादातर इलाके रतीले धोरों में है, जहां बीएसएफ की ओर से निगरानी रखी जाती है।

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