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राजनीतिक दलों ने हमें जातियों में बांटा:विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री बोले- हिंदू समाज को बचाना जरूरी, राष्ट्रीयता का भाव जरूरी


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राजनीतिक दलों ने हमें जातियों में बांटा:विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री बोले- हिंदू समाज को बचाना जरूरी, राष्ट्रीयता का भाव जरूरी

राजनीतिक दलों ने हमें जातियों में बांटा:विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री बोले- हिंदू समाज को बचाना जरूरी, राष्ट्रीयता का भाव जरूरी

कोटा : प्राचीन समय में हमारे देश में वर्ण व्यवस्था थी, जो व्यक्ति जो काम करता था, वह उसी जाति का होता था। धीरे-धीरे देश के राजनीतिक दलों ने हमें जातियों में बांट दिया। राजनीति हिंदू समाज के लिए विघटनकारी है। वर्तमान समय में हमारी कुटुंब व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रही है। यह बात विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री बजरंगलाल बागडा ने कोटा में कही।

वे विश्व हिंदू परिषद की स्थापना के 60 साल पूरे होने पर प्रखंड स्तर पर आयोजित षष्ठी पर्व में शामिल होने कोटा आए। उन्होंने कहा- बांग्लादेश के हालात से सबक लेना चाहिए। बांग्लादेश में विशेष समुदाय पर हो रहे अत्याचार पर मानवाधिकार आयोग ने चुप्पी साध रखी है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन मानवाधिकार आयोग ने चुप्पी साध रखी है।

हिंदुओं को संगठित करने के उद्देश्य से विहिप का गठन
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा- संगठन ने अपने स्तर पर विरोध किया है। समुदाय विशेष की रक्षा की पहल विहिप ने की है। विहिप का गठन हिंदुओं को संगठित करने के उद्देश्य से हुआ है। यह समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के लिए यह आपातकाल है। हमें अपनी जाति व संप्रदाय भूलकर अपने अंदर राष्ट्रीयता का भाव पैदा करना पड़ेगा। राष्ट्रीयता की कमी के कारण ही देश के शूरवीर योद्धाओं को हार का सामना देखना पड़ा।

सभी राजा उस वक्त एकजुट रहते तो मुगल साम्राज्य की भारत में स्थापना नहीं होती। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 20 सालों तक हिंदू हित की बात करने वाला कोई संगठन नहीं था। आर्य समाज व हिंदू महासभा जैसे संगठन कमजोर होते जा रहे थे। ऐसे समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोग से विश्व हिंदू परिषद का 1964 में गठन किया गया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू कभी हिंसा में विश्वास नहीं करता है। उन्होंने कहा कि विहिप चाहता है कि किसी भी तरह का विवाद हिंदू मुस्लिम समाज के बीच न हो। विवादों से किसी भी समाज का भला नहीं होता।

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