जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद आरिफ चंदेल
झुंझुनूं : पशु विज्ञान केंद्र, झुंझुनूं के प्रभारी अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि केंद्र परिसर में बकरी पालन एव प्रबंधन विषय पर पशुपालक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया । प्रभारी अधिकारी ने बताया कि बैंक ऑफ़ बडोदा के (RSETI) आर एस ई टी आई केंद्र में प्रशिक्षण ले रहे पशुपालकों ने भाग लिया एवं केंद्र के डॉ अरविंद कुमार ने पशुपालकों को बताया कि बकरी के दूध में कैल्शियम, पोटेशियम, प्रोटीन और विटामिन-डी होते है जो कि मानव शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। अधिकांशतः लोग गाय या भैंस का दूध पसंद करते हैं लेकिन बकरी का दूध भी अपने आप में बहुत ही विशेषता लिए हुए है एवं सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह इम्यून सिस्टम व उपापचयता को बढ़ाने के साथ ही डेंगू बिमारी में भी यह काफी प्रभावी है। बकरी का दूध गाय के दूध की तुलना में आसानी से पचता है ।
टीकाकरण तथा कृमिनाशक दवा के प्रयोग करने तथा आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक से बकरी पालन करने तथा बकरियों में होने वाली विभिन्न संक्रामक बीमारियों जैसे फडकिया, पीपीआर, खुरपका मुहपका व पॉक्स के कारण, लक्षण, बचाव एवम उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी तथा बकरियों में परजीवी नियंत्रण पर व्याख्यान दिया l बकरी के दूध की गुणवता मनुष्य मातृ के दुध की गुणवता के बराबर मानी गई हैं बकरी आधारित एकीकृत व कृषि प्रणाली पर जोर दिया जिसमें बकरी पालन के साथ में मुर्गी पालन, मछली पालन, केंचुआ खाद जैविक फल साग सब्जी व सहजन पेड़ के लगाना शामिल बताया और नए पशुपालकों को बकरी पालन व्यवसाय वर्ष के सितंबर के शुरुआत में फरवरी के अंत में चालू करना ज्यादा उचित रहता है पशुपालकों को राजस्थान में पाई जाने वाली बकरी की मुख्य नस्ल जैसे कि सोजत, जमुनापारी, बीटल, मारवाड़ी, सिरोही आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी तथा आवास प्रबंधन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आवास हमेशा पूर्व से पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए जिससे सर्दी के मौसम में अधिक से अधिक धूप फार्म में आ सके जिससे गीलापन दूर हो व आवास की दीवारों की चुने से पुताई करनी चाहिए तथा आवास की लंबाई पशुपालक अपने हिसाब से रख सकता है लेकिन चौड़ाई 12 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए व आवास हमेशा हवादार होना चाहिए