जयपुर : राजस्थान के एक थाने में चम्मच चोरी के केस से लेकर करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। यहां कुछ केस 50 पैसे से लेकर एक रुपए की चोरी तक के दर्ज किए गए हैं। ये जयपुर का कोतवाली थाना है। यहां 1926 में पहली एफआईआर दर्ज की गई थी। जो उर्दू में लिखी गई थी। आज भी ये एफआईआर जयपुर के छोटी चोपड़ पर स्थित कोतवाली थाने में रखी है।
एडिश्नल डीसीपी बजरंग सिंह ने बताया- ब्रिटिश शासन में 1926 में राजस्थान के जयपुर में पहला थाना कोतवाली बनाया गया था। जयपुर का कोतवाली थाना एक मात्र ऐसा है, जिसमें चम्मच-पेन, एक रुपए चोरी की FIR की जाती थी। जांच के बाद क्रिमिनल को पकड़कर जेल भेजा जाता था। अब यहां करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले दर्ज होते हैं। यहां अब तक की सारी FIR को थाने के रिकॉर्ड रुम में संजोकर रखा गया है। सबसे पुरानी FIR को कुछ सेकेंड में निकलवा कर देखा जा सकता है। हालांकि उसके शब्द इतने हल्के पड़ गए हैं कि उसे पढ़ा नहीं जा सकता।
ब्रिटिश शासन में उर्दू में लिखी जाती थी FIR
बजरंग सिंह ने बताया- साल 1926 से लेकर 1940 तक की सभी FIR उर्दू भाषा में दर्ज की गई है। उस समय किसी भी भाषा में शिकायत लेकर आने वाले परिवादी की उर्दू भाषा में ही FIR दर्ज की जाती थी। साल 1940 के बाद थाने में अंग्रेजी भाषा में भी FIR दर्ज की जाने लगी। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उसके बाद हिंदी भाषा में FIR दर्ज होने लगी।
यहां रिकॉर्ड रुम में तमाम FIR को बेहत खूबसूरती से संजोकर रखा गया है। उर्दू भाषा में लिखे सारे रिकॉर्ड के हर पन्ने को संरक्षित करते हुए लेमिनेशन करवाकर फाइल में रखा गया है। उर्दू में लिखे रिकॉर्ड में न केवल शिकायतें दर्ज हैं, बल्कि आमजन से जुड़ी हुई चीजें भी हैं।
500 से अधिक रजिस्टर में रिकॉर्ड
बजरंग सिंह ने बताया- शुरुआती दौर में ज्यादातर अनाज, पालू जानवर, पेन-चम्मच आदि चोरी की शिकायतें उर्दू में दर्ज की जाती थी। जो आज स्वर्णिम इतिहास का अभिन्न अंग है। साल 1926 से लेकर 2009 तक का पूरा रिकॉर्ड 500 से अधिक हरे और लाल रंग के रजिस्टर में संजोकर सुरक्षित रखा गया है। इसके बाद पेन से लिख कर FIR काटने के बाद कम्प्यूटर सिस्टम में चढ़ाई जाने लगी।
रिकॉर्ड एकत्रित करने में लगा समय
बजरंग सिंह ने बताया- कोतवाली थाने का रिकॉर्ड रूम पहले अन्य थानों की तरह धूल भरा होता था। लाल कपड़ों में लिपटी हुई फाइल और डॉक्यूमेंट के बंडल से अटा पड़ा था। कोतवाली थाने के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए साल 2012 में पुलिस अफसरों ने इसकी सुध ली। साल 2012 में रिकॉर्ड खंगालना शुरू किया गया। रजिस्टरों को बांधकर रखने में कई दिन लग गए।
रिकॉर्ड को क्रम वाइज कर रखना एक चुनौती थी। अगस्त-2013 में रिकॉर्ड एकत्रित करने का काम पूरा हुआ। सबसे पुराना पुलिस स्टेशन इतिहास का एक दुर्लभ हिस्सा है। कोतवाली थाने के चमकदार रोशनी वाले रिकॉर्ड रुम में आजादी से पहले के दौर की रोजमर्रा जिदंगियों की झलकियां हैं।