जोधपुर : मोटिवेशनल गुरु अवध ओझा ने कहा- लोग बीएसएनएल की बजाय प्राइवेट कंपनी का नेटवर्क लेना पसंद करते हैं। ठीक ऐसा ही हाल सरकारी अस्पतालों और स्कूलों का है। जिस किसी के पास थोड़ा भी पैसा है वह सरकारी हॉस्पिटल और सरकारी स्कूल से दूर ही रहता है। वह वहां जाना नहीं चाहता।
बच्चों की पर्सनैलिटी पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा। सवाल करना नहीं सिखाया जा रहा। सभी चतुर रामलिंगम कॉन्सेप्ट पर पढ़ा रहे हैं। थ्री इडियट्स वाले रेंचो के मॉडल पर कोई नहीं पढ़ा रहा। कोटा में भगत सिंह सोसाइटी बनाई जानी चाहिए, जो बच्चों की मेंटल हेल्थ की केयर करे।
सवाल – 10वीं पास करते ही करियर को लेकर चिंता रहती है, क्या सुझाव देंगे?
अवध ओझा– मिडिल क्लास परिवार बच्चों के भविष्य को लेकर बहुत डरते हैं। उसी डर से यह कुप्रथा पैदा हुई है। लेकिन, अब डरने की जरूरत नहीं। अब बहुत सारे स्कोप के रास्ते खुल गए हैं। मैं आपको कहता हूं, अपने बच्चों को उनकी तरह जीने दें। सिर्फ मार्गदर्शन करें। आप सबके बच्चे कुछ न कुछ बहुत अच्छा करेंगे।
सवाल– बच्चों को तनाव से बाहर कैसे निकालें?
अवध ओझा– तनाव से निकालने का सबसे प्यारा तरीका यह है कि पेरेंट्स व टीचर उसके बौद्धिक व शारीरिक विकास पर ज्यादा ध्यान दें। उसके भविष्य के गोल को लेकर ज्यादा फिक्र न करें। आज आपका बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत है तो उसका भविष्य बहुत अच्छा होगा। भविष्य को लेकर डराएं नहीं, तभी वह तनाव से बाहर निकलेगा।
सवाल – कोटा जैसे शहर में स्टूडेंट सुसाइड कर रहे हैं। स्टूडेंट में तनाव बढ़ता रहा तो कोचिंग का क्या होगा?
अवध ओझा– अगर तनाव बढ़ता रहा तो रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाएगी तुरंत… और मैं तो यह कहता हूं हर कोचिंग को जैसे मैंने भगतसिंह सोसायटी बनाई है। ऐसे हर कोचिंग को सोसाइटी बनानी चाहिए। जब हम इनसे इतना पैसा ले रहे हैं तो एक काउंसिलिंग सेल बनाएं। जिस भी बच्चे को साइकोलाॅजी प्रॉब्लम होती है चाहे वह आईएएस, नीट या किसी का भी हो वह उस सेल में जाकर अपनी बात कह सके।
सवाल- अभी जो एजुकेशन सिस्टम है, उसमें क्या खामियां हैं?
अवध ओझा– यह थ्री इडियट्स का रेंचो मॉडल पर नहीं पढ़ाते, यह बच्चों को सोचना नहीं सिखाते, सवाल करना नहीं सिखाते, यह बच्चों की पर्सनैलिटी पर ध्यान नहीं देते। यह सभी चतुर रामलिंगम मॉडल पढ़ाते हैं। सबसे ज्यादा नम्बर लाओ। अच्छी नौकरी पाओ। विदेश जाओ और पैसा कमाओ। बस यही तुम्हारा जीवन है। जब तक शिक्षा रेंचो मॉडल पर बेस्ड नहीं होगी तब तक मानसिक विकास नहीं होगा। अब रेंचो एक साइंटिस्ट है, लेकिन उसका लगाव बच्चों को पढ़ाने का है तो वह पढ़ा रहा है। यह पर्सनैलिटी में शामिल हो जाएगा तो देश में शिक्षा उन्नति करेगी।
सवाल – क्या कारण है सरकारी व प्राइवेट स्कूल में कॉम्पिटिशन बढ़ रहा है?
अवध ओझा– जैसे लोग बीएसएनएल की बजाए एयरटेल व जीओ को प्राथमिकता दे रहे हैं, बस वही हाल सरकारी स्कूल व हॉस्पिटल का भारत में है। मुझे नहीं लगता किसी के पास थोड़ा पैसा हो और वह सरकारी हॉस्पिटल जाए या बच्चों को सरकारी स्कूल भेजे। जब तक यह चीज नहीं सुधरेगी समाजवाद का इस देश में कोई मतलब नहीं है।
सवाल– गांव के अंतिम छोर का स्टूडेंट आईएएस बनने का सपना देखता है, वह कैसे पूरा होगा?
अवध ओझा– अब तो बहुत रास्ते हैं। ऐसे-ऐसे ऑनलाइन कोर्स हैं, जो 10 से 15 हजार में हैं। पहले यह था कि आप को दिल्ली जाना है डेढ़-दो लाख फीस देनी है। मैं बच्चों से यहीं कहूंगा कि आप बाहर मत जाओ। आप बढ़िया सा ऑनलाइन कोर्स लो, आपके घर में ज्यादा पैसा नहीं है तो ऑनलाइन क्लास को प्राथमिकता दीजिए। अपने गांव और शहर में रहकर पढ़िए।