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8वें दिन भी सड़कों से नहीं उठा कचरा:प्रशासन और सफाईकर्मियों से दूसरी भी वार्ता विफल, आज हेरिटेज मुख्यालय पर सभा


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8वें दिन भी सड़कों से नहीं उठा कचरा:प्रशासन और सफाईकर्मियों से दूसरी भी वार्ता विफल, आज हेरिटेज मुख्यालय पर सभा

सफाई कर्मचारी टोलियों में घूम-घूमकर रुकवा रहे हूपर

जयपुर : सफाई कर्मचारी भर्ती में मस्टररोल और वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता पर अड़े सफाई कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर 8वें दिन बुधवार को भी हड़ताल पर डटे रहे। दूसरी ओर, शाम 4 बजे सफाई यूनियन और प्रशासन के बीच हुई दूसरी बार भी वार्ता विफल हो गई।

वार्ता में डीएलबी निदेशक सुरेश ओला और सफाई कर्मचारी संगठनों के 35 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शामिल रहा। इससे पहले 24 जुलाई को भी यूनियन और प्रशासन के बचा वार्ता विफल हो चुकी है। वार्ता विफल होने पर सफाई कर्मचारी संगठनों ने गुरुवार दोपहर 12 बजे हेरिटेज मुख्यालय पर सभा रखी है।

उधर, हड़ताल के दौरान कर्मचारी और वाल्मीकि समाज के लोग टोलियां बनाकर शहर में घूमते और हूपर रुकवाते नजर आए। आदर्श नगर, जोन सिविल लाइंस, मुरलीपुरा और विद्याधर नगर जोन में प्रभात फेरी भी निकाली गई।

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते घरों और बाजारों से भी कचरा नहीं उठ सका। बड़ी संख्या में गैराज से ही हूपर निकले ही नहीं। परकोटे के बाजारों और सड़कों में जगह-जगह कचरे के ढेर नजर आए जो दिन में बारिश होने से बदबू मारते रहे।

शहर के 550 में से सिर्फ 100 हूपर ने ही दोनों नगर निगम क्षेत्र में करीब 350 टन ही कचरा उठाया, जबकि आमतौर पर शहर में प्रतिदिन 1350 टन कचरा उठता है। ऐसे में आठ दिनों से 8000 मैट्रिक टन से ज्यादा कचरा शहर में ही बिखरा रहा। बतादें कि शहर में कार्यरत 8000 कर्मचारियों में से वाल्मीकि समाज के 5800 कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं, जबकि गैर वाल्मीकि समाज के 2200 कर्मचारी काम कर रहे हैं।

गैराज शाखा कर्मी 12 घंटे कर रहे काम

सफाई कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि नगरीय निकायों में 2018 में भर्ती हुए सफाई कर्मचारी कार्यालय में बैठकर बाबूगीरी कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें मूल कार्य में लगाया जाए और जो वाल्मीकि समाज इस कार्य में जुटा हुआ है, उन्हें सफाई कर्मचारी भर्ती में प्राथमिकता दी जाए। दूसरी ओर, निगम अधिकारियों की मानें तो सड़क किनारे अस्थाई कचरा डिपो बढ़ गए हैं, लेकिन उन्हें हटाने के लिए गैराज शाखा के संसाधन लगाए गए हैं।

गैराज शाखा के कर्मचारी 8 के बजाय 12 घंटे काम कर रहे हैं। जबकि, स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की तैयारी को देखने के लिए दिल्ली की टीम कभी भी जयपुर आ सकती है। ऐसे में बीते कुछ महीने से निगम प्रशासन ने रैंक सुधारने के लिए जो भी प्रयास किए हैं, उन पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा है।

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