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शेखावाटी के भामाशाहो का समाजिक सरोकार से मोह भ़ंग


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शेखावाटी के भामाशाहो का समाजिक सरोकार से मोह भ़ंग

शेखावाटी के भामाशाहो का समाजिक सरोकार से मोह भ़ंग

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

शेखावाटी के भामाशाहों का सामाजिक सरोकारों को लेकर स्वर्णिम इतिहास रहा है। उन्होंने समाज के हर वर्ग, जाति को अपना परिवार समझ कर स्कूल, कालेज, अस्पताल, कुंए बावड़ी व धर्मशालाओ का निर्माण करवाया। गौशालाओं का निर्माण व भरपूर आर्थिक सहयोग देना उनका गौवंश के लिए सेवा व समर्पण भाव को इंगित करने वाला धार्मिक काम था। उन्होंने सार्वजनिक शब्द की सार्थकता को जीवंत रखते हुए जो भी निर्माण करवाए समाज को ही समर्पित किए। प्रवासी होने के बावजूद भी चाहे कर्मभूमि मुम्बई, कलकत्ता, मद्रास, आसाम, हैदराबाद आदि हो लेकिन उनके हृदय में जन्मभूमि को लेकर कार्य करवाने की इच्छा प्रबल रही। यह भी देखा गया कि शेखावाटी के मारवाड़ी समाज के भामाशाह जहां भी रहे अपने सामाजिक सरोकार के कार्यों की अमिट छाप छोड़ी। शेखावाटी की उनकी हवेलिया जो पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। उनके निर्माण व हर तरह की कारीगरी आज भी पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने को मजबूर कर देती है।

लेकिन समय के साथ इन भामाशाहों का अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम कम हो गया। धर्मशालाओं का स्थान अब बड़े बड़े गेस्ट हाउस, मैरिज गार्डन ने ले लिया । स्कूल कालेजों को या तो बंद कर दिया अपितु उनका व्यवसायीकरण कर दिया। अब उनकी डिक्शनरी में सामाजिक सरोकार जैसे शब्द का कोई स्थान नहीं रहा। पुरातत्व व पौराणिक हवेलियां प्रशासन की मिली भगत से भूमाफियाओं द्वारा खुर्दबुर्द कर दी गई । जहां वे हवेलियां कभी शेखावाटी का सौन्दर्य व शान हुआ करती थी वहां अवैध निर्माण जैसे बड़े बडे माल खड़े हैं। जो अस्पताल कभी आम आदमी की सुविधाओं के लिए बनवाए गये थे उनका व्यापारीकरण हो गया। जिन स्कूलों में कभी आम आदमी के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे उनकी जगह अब कान्वेंट स्कूलों ने ले ली। गौशाला की आड़ में गौवंश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ होने लगा । गौशाला को भी व्यापार की दृष्टि से देखा जाने लगा। जिन्होंने कभी अपने पूर्वजों के नाम को अमर करने के लिए सार्वजनिक संस्थाओं का निर्माण करवाया था उनसे उनका मोह भंग हो गया।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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