सीकर : राजस्थान चिकित्सा शिक्षा सोसायटी (राजमेस) में पहले से कार्यरत मेडिकल टीचर्स को डाइंग कैडर घोषित करने के विरोध में डॉक्टरों ने सीकर के श्रीकल्याण हॉस्पिटल के ट्रोमा सेंटर के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। डॉक्टरों ने राजस्थान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए राजस्थान सर्विस रूल्स लागू करने की मांग की।
प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों व मेडिकल टीचर्स ने कहा- वे राजमेस में साल 2017 से कार्यरत हैं और उसके अधीन ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कोरोनाकाल में भी काम को बखूबी किया था। अभी राजस्थान सरकार ने उन्हें डाइंग कैडर में शामिल कर दिया जो बहुत बड़ा अन्याय है। डॉक्टरों की मांग है कि उन पर सर्विस रूल्स लागू किया जाए ताकि ग्रुप-1 के डॉक्टर शिक्षकों के समान ही वेतन और अन्य सुविधाएं ले सकें।
डॉक्टरों ने कहा- यदि प्रदेश सरकार उनकी मांगों पर कोई फैसला नहीं लेती है तो आगामी दिनों में राजमेस के अधीन आने वाले 17 मेडिकल कॉलेज के 700 से अधिक मेडिकल चिकित्सक और अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे और सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करेंगे। जिसकी शुरुआत आज से हो चुकी है। डॉक्टरों की इस हड़ताल और प्रदर्शन का असर मरीजों पर भी पड़ेगा इसलिए सरकार को समय रहते डॉक्टरों की समस्याओं की ओर ध्यान देना चाहिए।
ये सभी कॉलेज राजमेस के अधीन
राजस्थान में 17 मेडिकल कॉलेज राजमेस के अधीन आते हैं, जिसमें चित्तौड़गढ़, बूंदी, श्रीगंगानगर, डूंगरपुर, अलवर, करौली, धोलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बाड़मेर, चूरू, दौसा, हनुमानगढ़, पाली, सीकर, झालावाड़ व सिरोही जिले के मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। इन सभी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स डाइंग कैडर हटाने की मांग कर रहे हैं।
समझे क्या है पूरा मामला?
गहलोत सरकार ने बजट में ऐलान करने के बाद राजमेस में राज्य सेवा नियमों की घोषणा की थी। लेकिन हाल ही में जारी किए गए एक नए आदेश में इन सभी चिकित्सकों को डाइंग कैडर घोषित कर दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि 1 अगस्त 2024 के बाद जो भी नई भर्तियां होंगी उन्हें बढ़ा हुआ वेतन समेत अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। अब पुराने चिकित्सक इसका विरोध कर रहे हैं और नियमों को उन पर भी लागू करने के विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।