कपास की फसल में गुलाबी सुंडी नियंत्रण व प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा
कपास की फसल में गुलाबी सुंडी नियंत्रण व प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा

चूरू : आत्मा सभागार, कृषि उपज मंडी परिसर, चूरू में फसल कपास उत्पादन प्रबंधन हेतु जिला स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन डॉ. एस.एस. शेखावत, अतिरिक्त निदेशक कृषि (विस्तार), बीकानेर खंड बीकानेर की अध्यक्षता में किया गया। कार्यशाला में कपास की फसल में गुलाबी सुंडी नियंत्रण व प्रबंधन के साथ कीट व्याधि एवं शस्य कियाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यशाला में डॉ एसएस शेखावत ने कहा कि गुलाबी सुंडी नियंत्रण की जानकारी किसानों तक समय पर पहुंचाने व प्रभावी नियंत्रण हेतु विभाग पहले से सतर्क हो गया है। डॉ. जगदेव सिंह, सयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार), जिला परिषद चूरू ने गुलाबी सुंडी की समय पर पहचान के लिए बुवाई के 40 से 50 दिन पश्चात फसल में फेरोमोन ट्रेप लगाने व इनमें 5 से 8 पतंगे प्रति ट्रेप लगातार तीन दिन तक आने पर समुचित नियंत्रण की सलाह दी। बीटी कपास बीज उत्पादक कंपनियों को गुलाबी सुंडी नियंत्रण के लिए किसानों के खेतों पर पांच फेरोमोन ट्रेप प्रति हैक्टेयर लगाने के लिए निर्देशित किया गया।
डॉ. एचएल देसवाल, विभागाध्यक्ष कीट विज्ञान विभाग, स्वामी केशवानन्द कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर ने बताया कि कपास की फसल में सही समय पर गुलाबी सुंडी नियंत्रण के लिए किसान 100 फूलों में से पांच से दस फूल गुलाब की तरह (रोजेट फूल) पाये जाने पर कीटनाशक आदि का छिड़काव करें। डॉ. मुकेश शर्मा, कृषि वैज्ञानिक, केवीके सरदारशहर ने कपास की फसल में रोग नियंत्रण व प्रबंधन के बारे में बताया। डॉ. शौकत अली, कृषि वैज्ञानिक, केवीके चांदगोठी ने कपास की फसल में विभिन्न शस्य कियाओं की जानकारी दी। दीपक कपिला, उप निदेशक, कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा, चूरू नें गुलाबी सुंडी नियंत्रण के लिए पुरानी कपास फसल के अवशेष जलाकर नष्ट करने व जिनिंग मिलों की मॉनिटरिंग व मिलों में फेरोमोन ट्रेप लगाने की सलाह दी।
कार्यशाला में कुलदीप शर्मा, सहायक निदेशक, कृषि विस्तार, चूरू, गोविन्द सिंह राठौड़, सहायक निदेशक कृषि (विस्तार), सुजानगढ़, नगेन्द्र नायक, प्रमोद कुमार व विजय पुरी, कृषि अधिकारी, जिले के सहायक कृषि अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षक, जनप्रतिनिधिगण व प्रगतिशील किसानों सहित लगभग 120 प्रतिभागियों ने भाग लिया।