गुप्त नवरात्री स्पेशल : गुप्त नवरात्र के दौरान इन बातों का रखें खास ध्यान, यहां जानें पूजा विधि
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की गुप्त तरीके से पूजा होती है। इस साल यह पर्व 6 जुलाई दिन शनिवार से शुरू हो रहा है। ऐसे में इस दिन से जुड़ी हुई कुछ खास बातों और नियमों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं -

गुप्त नवरात्री स्पेशल : सनातन धर्म में गुप्त नवरात्र का पर्व बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की गुप्त पूजा होती है। इस साल यह पर्व 6 जुलाई दिन शनिवार से शुरू हो रहा है।
गुप्त नवरात्री शुरू, धन की कमी को दूर करने के लिए करें यह उपाय…

श्री जलाराम बापा महागायत्री ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पं.अभिमन्यु पाराशर ने बताया कि गुप्त नवरात्रि पर्व में माँ दुर्गा जी के दस महाविद्या के सरूप में आराधना की जाती है, समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए माँ की गुप्त रूप से साधना होती है, वर्ष में 2 गुप्त नवरात्रि आती है जिनमे साधक तंत्रिक पूजन से भी माँ भगवती की आराधना करके प्रशन्न करते है, कुछ वैदिक अनुष्ठान से यह कार्य भी लाभदायक रहते हैं जैसे…
पति प्राप्ति के लिये मन्त्र-
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि !
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:!!
यह मंत्र दुर्गा सप्तशती का संपुटित पाठ किसी योग्य ब्राहमण से करवाऐ माता से प्रार्थना करें हे माँ मै आपकी शरण में आ गयी मुझे शीघ्र अति शीघ्र सौभाग्य की प्राप्ति हो और मेरी मनोकामना शीघ्र पुरी हो माँ भगवती कि कृपा से अवश्य सफलता प्राप्त होगी।
पत्नी प्राप्ति के मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम.!!
माँ दुर्गा सप्तशती का संपुटित पाठ किसी योग्य ब्राह्मण से करवाऐ आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी.!!
शत्रु पर विजय ओर शांति प्राप्ति के लिए
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्.!!
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिएः
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय..!!
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान के साथ घटस्थापन किया जाता है, वहीं आषाढ़ महीने के गुप्त नवरात्रि की घट स्थापन का शुभ मुहूर्त 06 जुलाई सुबह 05 बजकर 11मिनट से लेकर 07 बजकर 26 मिनट तक कर सकते हैं, इस मुहूर्त में कलश स्थापन नहीं कर पाते हैं तो सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक करना चाहिए, इन दो मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभ रहने वाला है।
गुप्त नवरात्रि में देवी मां की विशेष कृपा पाने के लिए यदि कोई विशेष पूजा-अनुष्ठन करते हैं, तो इस बार दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ कर इन देवियों की कृपा जरूर प्राप्त करें।
दस महाविद्या साधना, आध्यात्मिक उत्थान और ज्ञान के लिए सबसे शक्तिशाली कवच है। तंत्र में, देवी-शक्ति की पूजा को विद्या कहा जाता है। दिव्य माँ की पूजा दस ब्रह्मांडीय व्यक्तित्वों, दस महाविद्या के रूप में की जाती है। यहाँ दास का अर्थ है दस और “महाविद्या”, संस्कृत शब्दों महा और विद्या की जड़ से आती है जिसमें महा का अर्थ है महान और विद्या का अर्थ है शिक्षा जिसके परिणामस्वरूप समझ और ज्ञान का प्रसार, ज्ञानवर्धक निर्वाण होता है।
इन विद्याओं की सफल साधना साधक को कई वरदान देती है। तांत्रिक-योगी जो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखता है और सकारात्मक रूप से इच्छुक होता है, वह लोगों का मार्गदर्शन करने और मानव जाति के लाभ के लिए वरदानों का उपयोग करता है। महाविद्याओं को तांत्रिक प्रकृति का माना जाता है।
10 महाविद्या में देवी के प्रमुख रूपों का वर्णन किया गया है :
- काली : ब्रह्म का परम रूप, “काल का भक्षण”, करने बाली मां।
- तारा : मार्गदर्शक और रक्षक के रूप में देवी, या जो बचाती हैं। जो मोक्ष देने वाला परम ज्ञान प्रदान करती हैं । मां तारा को नील सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है।
- षोडशी या ललिता त्रिपुरसुंदरी : वह देवी जो “तीनों लोकों में सुन्दर” है; “तांत्रिक पार्वती” या “मोक्ष मुक्ता” प्रदान करने बाली मां।
- भुवनेश्वरी : विश्व माता के रूप में देवी, या जिनका शरीर ब्रह्मांड है।
- त्रिपुर भैरवी : त्रिपुर भैरवी साधना से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुरक्षा प्राप्त होने लगती है और समस्त बाधाये समाप्त हो जाती हैं। इस साधना के माध्यम से साधक पूर्ण क्षमतावान एवं वेगवान बन सकता है।
- छिन्नमस्ता देवी : स्वयं सिर कटी देवी । यह विरोधाभासों की देवी हैं। यह देवी दोनों पहलुओं का प्रतीक हैं, जीवन देने वाली और जीवन लेने वाली।
- धूमावती : विधवा देवी, या मृत्यु की देवी।
- बगलामुखी : शत्रुओं को नष्ट करने वाली देवी।
- मातंगी : ललिता की प्रधानमंत्री; “तांत्रिक सरस्वती”।
- कमला : कमल देवी; “तांत्रिक लक्ष्मी”।
दस महाविद्या की साधना योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए।
आषाढ़ गुप्त नवरात्र पर करें ये उपाय
गुप्त नवरात्र के पहले दिन साफ लाल कपड़े में अक्षत और कुछ कौड़ी बांधकर घर की तिजोरी में या फिर जहां भी आप धन रखते हो वहां पर रख दें. इसके बाद गुप्त नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक उसकी पूजा करें. फिर व्रत के आखिरी दिन उसे अपने घर के आंगन की जमीन में दबा दें. इस उपाय को करने से आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है.
गुप्त नवरात्रि 2024 पूजा विधि
- भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- घर और पूजा मंदिर को अच्छी तरह से साफ कर लें।
- इस शुभ दिन पर लाल रंग के पारंपरिक कपड़े धारण करें।
- पूजा घर में एक वेदी स्थापित करें।
- देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और उनके समक्ष शुद्ध देसी घी का दीया जलाएं।
- मां दुर्गा की प्रतिमा को सजाएं।
- मां को लाल फूलों की माला अर्पित करें।
- कुमकुम का तिलक लगाएं।
- शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
- विधि अनुसार कलश की स्थापना करें।
- हलवा-पूड़ी और चना का भोग लगाएं।
- मां का आह्वान वैदिक मंत्रों से करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- मां दुर्गा की आरती के साथ पूजा को पूर्ण करें।
- अंत में घर के सभी सदस्यों में प्रसाद का वितरण करें।
इन बातों का विशेष ध्यान दें
गुप्त नवरात्र का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दौरान उपवास रखते हैं उन्हें कई सारे नियमों का पालन करना चाहिए, वरना देवी के प्रकोप का सामना करना पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि व्रतियों को पूरे नौ दिनों तक कहीं दूसरे स्थान पर ठहरने की मनाही होती है।