राजेन्द्र शर्मा झेरलीवालाम, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
डाक्टर किरोड़ीमल मीणा की आदत में शुमार है कि मिडिया में सुर्खियां बटोरते रहते हैं । धरना प्रदर्शन को लेकर डाक्टर मीणा बहुत चर्चा में रहे हैं । लेकिन अब उनका मंत्री पद से इस्तीफा देना चर्चा में है । विदित हो टौंक सवाईमाधोपुर , दौसा व करौली संसदीय सीट पर उनका प्रभाव है इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विश्वास दिलाया था कि लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों ही विजयी होंगे । यदि तीनों सीट नहीं जीता पाया तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा । तीनों संसदीय क्षेत्रो से भाजपा की हार हुई इसलिए मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं । डाक्टर मीणा यही नहीं रूके बल्कि मतदाताओं पर धोखा देने का आरोप लगाया। उनका मानना है कि जनता ने उनको धोखा दिया है । ईमेल से इस्तीफा भेजने के साथ ही मुख्यमंत्री भजनलाल से व्यक्तिगत रूप से मिलकर इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया है । बतौर कृषि मंत्री विधानसभा की कार्यवाही मैं सम्मिलित न होने के साथ मंत्री पद की सभी सुविधाओं का त्याग कर देंगे । उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की तारीफ करते हुए उन्हें सौम्य स्वभाव वाला व्यक्ति बताया ।
अब उनके इस्तीफे के कारणों का पोस्टमार्टम करें तो यह किसी अच्छे राजनेता गुण नहीं जो जनादेश का अपमान करे । प्रजातांत्रिक व्यवस्था में जनता का आशीर्वाद सर्वोपरि होता है और जिसको यह आशीर्वाद मिलता है वहीं विजयी होता है । उनको खुद मनन करना चाहिए कि वह कौन से कारक थे जिससे जनता उनसे नाराज़ हुई और भाजपा को जीत नहीं मिली । देखा जाए तो राजनेता ही जनता को धोखा देते रहे हैं । चुनाव के समय बड़े बड़े वादो का सब्जबाग दिखाकर वोट हासिल कर लेते है और जनता ठगी सी पांच साल उसको भुगतती रहती है । इसलिए जनता ने उनको धोखा दिया यह बयान उन लाखो मतदाताओं का अपमान है । इसका मतलब तो यही हुआ कि जो मतदाता डाक्टर किरोड़ीमल मीणा को या उनके कहने पर वोट नहीं करता वह धोखेबाज हैं ।
इस इस्तीफे को दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो डाक्टर किरोड़ीमल मीणा राजस्थान में भाजपा के वरिष्ठ नेता होने के साथ ही राजस्थान की बागडौर अपने हाथों में मिलने की हसरत पाले हुए थे । वह कमान भजनलाल शर्मा को मिलने से डाक्टर मीणा आहत थे इसमें संदेह नहीं होना चाहिए । तत्पश्चात मंत्रिमंडल में भी बढ़िया विभाग को लेकर भी आशावान थे किन्तु दोनो ही हसरतों पर पानी फिर जाने से आहत किरोड़ीमल मीणा आहत होने के साथ ही असहज महसूस कर रहे थे । उनका इस्तीफे को एक दबाव की राजनीति के रूप में भी देखा जा सकता है । लेकिन शायद डाक्टर किरोड़ीमल मीणा भूल गये कि भाजपा में मोदी शाह का युग है इस जोड़ी ने कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही हांसिए पर ला दिया तो उनकी बिसात ही क्या है । कुल मिलाकर यह इस्तीफा कोरा सियासी ड्रामे के अलावा कुछ भी नही है ।