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धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करते पांखडी


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करते पांखडी

धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करते पांखडी

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

झुंझुनूं : धर्म की आड़ में पांखड का खेल कोई नया नही है । इन पाखंडियों के तार भी कहीं न कहीं सियासत से जुड़े रहने के कारण मौज करते रहते हैं । आशाराम हो या राम रहीम हो उनके भी लाखों अनुयाई थे लेकिन उनकी करतूतों का उजागर होना ही सलाखों के पीछे जाने का कारण बनी । निर्मल बाबा के नाम से भी दरबार लगता था और वह भी कृपा कहा अटकी हुई है बता देता था । इसी क्रम में एक कथित बाबा सूरजपाल सिंह उर्फ नारायण सरकार हरि उर्फ भोलेबाबा का नाम आता है ।‌ सूरजपाल सिंह पुलिस की नौकरी छोड़कर करीब 1990 में इस धंधे को अफनाया । इसने अपना साम्राज्य इतना बढ़ा लिया कि करीब तीस बीघा जमीन मे इसका आश्रम है और अथाह संपत्ति का मालिक बन बैठा । भोले-भाले लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर इसने फिल्मी स्टाइल में सत्संग करना शुरु कर दिया । सूट बूट टाई व पैरों में जूते पहनकर सिंहासन पर साथ में अपनी पत्नी को बैठाकर सत्संग करने लगा । क्योंकि उसको पता था कि यह उन धार्मिक भावनाओं वाला देश है जहां एक अफवाह के उपर गणेश जी की प्रतिमा के आगे दूध लेकर लाईन लगाए खड़े थे कि गणेश‌ जी की मूर्ती दूध पीती है तो सूरजपाल इससे पीछे क्यों रहता ।

खुद को भोलेबाबा का अवतार कहने वाले को इस दुर्घटना का आभास नहीं हुआ क्योंकि भोलेबाबा तो त्रिकाल दर्शी थे । सूत्रों की मानें तो‌ इस कथित बाबा पर पहले भी एफआईआर दर्ज हो चुकी है । इसके अनुयाईयो में कम पढ़े लिखे लोगो की संख्या ज्यादा है ।

हाथरस हादसे से यह संकेत मिलते हैं कि आखिर प्रशासन ने किस आधार पर इसको लोगों की भीड़ इकठ्ठा करने की इजाजत दी । राजनितिक दल के नेताओं को चाहिए कि अपने सियासत के स्वार्थ सिद्धी को लेकर इनके बचाव करने से बाज आए । क्योंकि सियासत के वरदहस्त बिना इन बाबाओं का पनपना संभव नहीं है जिसका उदाहरण राम रहीम व आशाराम है । आमजन को भी इस बात को लेकर सोचना होगा कि जो भगवान का अवतार बताते हैं तो जगह जगह क्यों घूम रहे हैं । अर्थ इकठ्ठा करना ही इनका मुख्य उद्देश्य होता है । धन अर्जित कर निश्चित रुप से खुद की समस्यायों का निराकरण कर ही लेते हैं ।

हाथरस में सैकड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे । इसको लेकर सरकार को चाहिए कि इसकी उच्च स्तरीय जांच करके जो अधिकारी इसमें संलिप्त हैं उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए व सरकार यह सुनिश्चित करें कि ऐसे कथित बाबाओं के सत्संग पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जो लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हैं ।

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