नेता प्रतिपक्ष की प्रतिष्ठा को धूमिल करता राहुल गांधी का नफरत भरा भाषण
नेता प्रतिपक्ष की प्रतिष्ठा को धूमिल करता राहुल गांधी का नफरत भरा भाषण

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद संसद में पहला भाषण नफरत व कटुता से भरा हुआ था । राहुल गांधी की नफरत का अदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश में जो खुद को हिन्दू बताते हैं वे हिंसक और नफरती है । नेता प्रतिपक्ष के रूप में लोकसभा में उनके पहले संबोधन में देश आशा कर रहा था कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में उल्लेखित मुद्दों को लेकर तार्किक व विस्तृत विचार रखेगे । लेकिन अपने चिर परिचित अंदाज में हिन्दुओं के प्रति जहर उगला । राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा में मोहब्बत की दुकान सजाए बैठे थे लेकिन उस दुकान में मोहब्बत के उत्पादों के पीछे नफरत के उत्पाद छिपा कर रखे हुए थे जिनका उन्होंने सार्वजनिक रूप से दिखावा कर दिया । शायद उनके दिमाग का फितूर है कि हिन्दुओं को गाली देने से उनके वोट बैक में इजाफा होगा । राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष के पद की गरिमा पर कुठाराघात ही नहीं किया बल्कि अपनी संकीर्ण मानसिकता का परिचय भी दे दिया । क्या ऐसा अपरिपक्व व्यक्ति प्रधानमंत्री पद के लायक है ? यह ज्वलंत प्रश्न देश के आवाम की आंखों के आगे तैरने लगा कि ऐसे विघटनकारी नेता के हाथ में यदि देश की बागडोर आती है तो निश्चित रूप से देश में अफरातफरी का माहौल पैदा कर देंगे ।
उनका यह ज़हरीला भाषण किस संदर्भ में था इसका जबाब तो राहुल गांधी ही दे सकते है लेकिन यह देश की विघटनकारी ताकतों का हौसला बढ़ाने वाला भाषण था इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिये । लोकसभा चुनावों में संविधान को नष्ट करने की दुहाई दे रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के संविधान को खत्म कर देगे । यह कितना हास्यास्पद है कि जिस राजनीतिक दल ने संविधान को रफ कापी बना दिया व आपातकाल में संविधान का गला घौटने का काम किया उसके मुंह से संविधान बचाने की बात बेमानी लगती है । दरअसल राहुल गांधी लगातार हासिए पर आ रही कांग्रेस को लेकर बौखला गये है और उनके मानसिक संतुलन बिगड़ने का एक मुख्य कारण यह भी था कि अपनी सामंतवादी सोच के चलते देश की सता अपनी बपौती समझते थे । देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सता की चाबी देश के आवाम के हाथ में है शायद राहुल गांधी यह भूल गए थे ।
राहुल गांधी को सनातन धर्म के बारे में ज्ञान ही नहीं है । जो सनातन धर्म के मानने वाले पेड़ व पक्षियों तक की रक्षा करना अपना नैतिक कर्तव्य समझते हैं उनको हिंसक कहना सनातन धर्म का भी अपमान है । इसके लिए प्रत्येक सनातनी के समक्ष यह ज्वलंत प्रश्न है कि क्या ऐसे व्यक्ति को सता सौंपी जा सकती है जिसके दिमाग में सनातन विरोधी कीड़ा घर किए बैठा है । राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष पद की गरिमा पर कुठाराघात तो किया ही है बल्कि देश की संसदीय परम्पराओं को भी नुकसान पहुंचाया है । राहुल गांधी को शायद यह भान नहीं कि नफरत के उत्पाद इस सनातनी संस्कृति वाले देश में नहीं बिकेंगे ।