क्या भाजपा अध्यक्ष की चेतावनी आगामी उपचुनाव में कारगर साबित होगी ?
क्या भाजपा अध्यक्ष की चेतावनी आगामी उपचुनाव में कारगर साबित होगी ?

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
झुंझुनूं : विधायक विजेन्द्र ओला के सांसद चुने जाने के बाद झुंझुनूं में उपचुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई है। बरसात होने के बावजूद चुनावी पारा चढ़ा हुआ है । विधायकी को लेकर भाजपा नेताओं में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति हो रही है । झुंझुनूं की राजनीति को लेकर जो लेकर जो अंदेशा था उसको लेकर आज जयपुर में जिले के पदाधिकारियों व भावी विधायक के उम्मीदवारों की बैठक हुई। सूत्रों के अनुसार भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो भी बागी उम्मीदवार पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ काम करेगा व चुनाव लड़ेगा उसके लिए पार्टी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जायेंगे । यह उन नेताओं के लिए नसीहत थी जो पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ पिछले दो चुनावों में खड़े होकर भाजपा को हराने का काम किया था । वैसे जिले की राजनीति आयाराम गया राम के लिए कुख्यात रही है। संगठन में अन्य दलों से आये नेताओ को तब्बजो देकर निवर्तमान अध्यक्ष ने पदों की बंदरबाट करके संगठन को जीर्ण-शीर्ण करने का काम किया है । लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार ने तो सार्वजनिक तौर पर बयान देकर पार्टी की एकजुटता पर प्रश्न खड़े किए थे। क्या शुभकरण चौधरी के उस बयान को प्रदेश नेतृत्व ने गंभीरता से लिया ? यदि लिया होता तो उन नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की गई जिन्होंने पार्टी के खिलाफ जाकर काम किया था।
विदित हो त्रिकोणीय मुकाबले में यह सीट भाजपा के हाथों से खिसक जाती है। प्रदेश नेतृत्व को इस बात को लेकर भी गंभीरता से सोचना होगा कि टिकट वितरण में सोशल इंजीनियरिंग का विशेष ध्यान दिया जाए। एक जाति विशेष को तब्बजो देने से पार्टी के परम्परागत वोट भी खिसक कर विरोधी खेमे में चले जाते हैं। इसका स्पष्ट उदाहरण पिछले चार चुनावी परिणाम से देखकर लगाया जा सकता है। अब यह तो आने वाला समय ही निर्धारित करेगा कि भाजपा अध्यक्ष की चेतावनी कितनी कारगर साबित होती है। इस चेतावनी पर नेताओं की महत्वाकांक्षा हावी रहती है या पार्टी हित सर्वोपरि रहेंगे ।