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भिवाड़ी की युवती, नागौर का युवक NEET के डमी कैंडिडेट:दोस्त के लिए मेडिकल स्टूडेंट ने बनाया डमी, युवती बोली- घर में पैसे की तंगी


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भिवाड़ी की युवती, नागौर का युवक NEET के डमी कैंडिडेट:दोस्त के लिए मेडिकल स्टूडेंट ने बनाया डमी, युवती बोली- घर में पैसे की तंगी

भिवाड़ी की युवती, नागौर का युवक NEET के डमी कैंडिडेट:दोस्त के लिए मेडिकल स्टूडेंट ने बनाया डमी, युवती बोली- घर में पैसे की तंगी

जयपुर : राजस्थान के झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के कुछ छात्र NEET में पेपर सॉल्वर गैंग के लिए डमी कैंडिडेट का काम कर रहे थे। ये दूसरों की जगह एग्जाम देने सेंटर पर पहुंचे थे। एक मेडिकल स्टूडेंट को दिल्ली के एग्जाम सेंटर से गिरफ्तार किया गया था। उससे पूछताछ में उसके एक साथी का भी नाम सामने आया। उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल दोनों बेल पर हैं और कॉलेज में ही हैं।

इसी तरह नवी मुंबई पुलिस ने भी झालावाड़ मेडिकल कॉलेज की ही एक छात्रा को डमी कैंडिडेट बनकर एग्जाम देते पकड़ा। उससे हुई पूछताछ में एक दूसरे स्टूडेंट का नाम सामने आने के बाद नवी मुंबई पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया था। फिलहाल ये सभी मामले दिल्ली पुलिस और मुंबई पुलिस ने CBI को ट्रांसफर कर दिए गए है। आगे की जांच अब सीबीआई की स्पेशल टीम कर रही है।

NEET में डमी कैंडिडेट का मामला सामने आने के बाद झालावाड़ मेडिकल कॉलेज विवादों में आ गया है।
NEET में डमी कैंडिडेट का मामला सामने आने के बाद झालावाड़ मेडिकल कॉलेज विवादों में आ गया है।

15 दिन पहले कॉलेज प्रबंधन से मांगी थी जानकारी
शुक्रवार को ये मामला गरमाने के बाद मेडिकल कॉलेज झालावाड़ के असिस्टेंट प्रोफेसर (एकेडेमिक) डॉ. मयंक जैन ने बताया था कि 15 दिन पहले दिल्ली पुलिस जांच टीम ने कॉलेज प्रबंधन से 8 स्टूडेंट्स के बारे में जानकारी मांगी थी। हमें छात्रों के नाम बताए गए थे। ये सभी छात्र झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के थे। पूछताछ के बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया था। 8 छात्रों की बाद में जमानत हो गई थी।

इसके अलावा 2 छात्रों से मुंबई की टीम ने पहले पूछताछ की, फिर उन्हें गिरफ्तार कर ले गए। अभी दोनों छात्र मुंबई क्राइम ब्रांच की कस्टडी में हैं। किसी भी छात्र को सेंटर से गिरफ्तार नहीं किया गया है। दिल्ली पुलिस की जांच टीम को हमने जानकारी दी तो स्टूडेंट्स से पूछताछ की गई थी। उधर, बताया जा रहा है कि इन छात्रों पर 15-15 लाख रुपए लेकर डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा देने का आरोप है। इनमें कुछ छात्राएं भी शामिल हैं।

मेडिकल कॉलेज झालावाड़ के असिस्टेंट प्रोफेसर (एकेडेमिक) डॉ. मयंक जैन ने दावा किया कि किसी स्टूडेंट को सेंटर से गिरफ्तार नहीं किया था।
मेडिकल कॉलेज झालावाड़ के असिस्टेंट प्रोफेसर (एकेडेमिक) डॉ. मयंक जैन ने दावा किया कि किसी स्टूडेंट को सेंटर से गिरफ्तार नहीं किया था।

झूठा निकला कॉलेज प्रबंधन का दावा
हमारे मीडिया कर्मी ने इस मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि कॉलेज प्रबंधन का ये दावा पूरी तरह से झूठा है कि उनका कोई स्टूडेंट सेंटर पर एग्जाम देते नहीं पकड़ा गया।

दिल्ली और मुंबई पुलिस दोनों ने ही कॉलेज के एक-एक मेडिकल स्टूडेंट को सेंटर पर ही पकड़ा था। दोनों स्टूडेंट बायोमेट्रिक प्रोसेस के दौरान पकड़े गए थे। इनकी गिरफ्तारी के बाद ही पूछताछ में ये खुलासा हो पाया था कि इनके साथ कुछ दूसरे स्टूडेंट भी इस गिरोह का हिस्सा हैं।

डमी कैंडिडेट बनकर एग्जाम देने पहुंचा नागौर का स्टूडेंट
हमारे मीडिया कर्मी ने पूरे मामले को लेकर दिल्ली पुलिस के साउथ वेस्ट DCP रोहित मीणा से बात की। उन्होंने बताया कि वसंत कुंज नॉर्थ थाने पर 2 युवकों के खिलाफ NEET में डमी कैंडिडेट बन एग्जाम देने का मामला दर्ज किया गया था।

नागौर (राजस्थान) जिले के मेड़ता सिटी का रहने वाला भगवान सिंह दिल्ली में एक स्कूल में डमी कैंडिडेट के रूप में एग्जाम (NEET) देने पहुंचा था। बायोमेट्रिक जांच में पकड़े जाने पर सेंटर पर्यवेक्षक ने उसके खिलाफ केस दर्ज कराया था। वह सुनील देवकीया नाम के अभ्यर्थी की जगह एग्जाम देने आया था।

भगवान सिंह से हुई पूछताछ में पता चला कि वह झालावाड़ मेडिकल कॉलेज का स्टूडेंट है। इसी मेडिकल कॉलेज के एक स्टूडेंट अशोक विश्नोई ने मीडिएटर बन उसे डमी कैंडिडेट बनने के लिए तैयार किया था। इसके बाद अशोक विश्नोई को भी गिरफ्तार किया गया था। वो बाड़मेर जिले के चैनपुरा गांव का रहने वाला है।

6 अन्य स्टूडेंट्स की भूमिका भी संदिग्ध
वसंतकुंज नॉर्थ (दिल्ली) थाने के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर ऋषिकांत मिश्रा ने बताया- गिरफ्तारी के दौरान भगवान सिंह और अशोक विश्नोई से हुई पूछताछ में झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के 6 और स्टूडेंट्स की भूमिका भी संदिग्ध मिली।

मेडिकल कॉलेज को इन सभी के नाम भेजकर जानकारी मांगी गई। वहीं इनसे पूछताछ भी की गई है। भगवान सिंह और अशोक विश्नोई को पटियाला हाउस कोर्ट से बेल मिल गई है। शुक्रवार को ही इस केस को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया है।

3-4 बार में नहीं क्लियर हुआ नीट
इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर ऋषिकांत मिश्रा ने बताया कि प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन के दौरान हुई पूछताछ में अशोक विश्नोई ने बताया था कि सुनील देवकीया उसका दोस्त है। पिछले 3-4 बार से उसका नीट एग्जाम क्लियर नहीं हो रहा था। इसे लेकर उसने इस बार के नीट में अपने ही कॉलेज के स्टूडेंट भगवान सिंह को सुनील की जगह एग्जाम देने को तैयार किया था। फिलहाल दोनों के बीच कोई फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन सामने नहीं आया है। वहीं इसके लिए क्या डील हुई थी, इसका भी खुलासा उसने नहीं किया है।

हमारे मीडिया कर्मी से बोला आरोपी- कॉलेज आधी-अधूरी जानकारी दे रहा
हमारे मीडिया कर्मी ने पूरे मामले को लेकर बाड़मेर के चैनपुरा में रहने वाले आरोपी स्टूडेंट अशोक विश्नोई से भी बात की। फिलहाल वो झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में ही है। उसने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन आधी-अधूरी जानकारी मीडिया में दे रहा है। हकीकत में भगवान सिंह को दिल्ली पुलिस ने एग्जाम सेंटर पर डमी कैंडिडेट के तौर पर पकड़ा था। वह भी बाद में बेल पर छूट गया था। अभी वह यहीं कॉलेज में ही है। उसने बाद में वहां हुई पूछताछ में उस (अशोक विश्नोई) समेत 7 स्टूडेंट्स का नाम दिल्ली पुलिस के सामने लिया था।

इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम जांच करने झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में पहुंची थी। यहां दिल्ली पुलिस ने उस (अशोक विश्नोई) समेत सभी 7 स्टूडेंट्स से पूछताछ की थी। इसके बाद पुलिस यहां से चली गई थी। यही मामला था, जिसे अब बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है।

हमारे मीडिया कर्मी ने अशोक से उसकी गिरफ्तारी और जमानत को लेकर सवाल किए तो उसने दावा किया कि न उसे गिरफ्तार किया गया था और न ही उसने बेल ली है। हालांकि उसने भगवान सिंह की गिरफ्तारी की पुष्टि की और ये भी बताया कि भगवान सिंह ने पुलिस के सामने उसका नाम लिया था।

भिवाड़ी की छात्रा डमी कैंडिडेट बनकर दे रही थी एग्जाम

दूसरे मामले में नवी मुंबई CBD बेलापुर पुलिस स्टेशन के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर लोखंडे ने हमारे मीडिया कर्मी को बताया कि 5 मई को DY पाटिल यूनिवर्सिटी के सेंटर पर NEET में डमी कैंडिडेट का मामला सामने आया था। इस मामले में राजस्थान के भिवाड़ी की 20 साल की सेकेंड ईयर MBBS स्टूडेंट निशिका यादव पर जलगांव की रहने वाली परीक्षार्थी के बदले परीक्षा में बैठने पर FIR दर्ज की गई थी।

परीक्षा केंद्र पर आधार नंबर और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन किया गया तो निशिका की जानकारी से मैच नहीं हो रही थी। शुरुआत में सेंटर इंचार्ज को लगा शायद कुछ टेक्निकल खराबी के चलते ऐसा हुआ हो। इंचार्ज ने उसे परीक्षा देने की इजाजत दे दी थी।

एग्जाम खत्म होने के बाद निशिका का दोबारा से बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन किया गया। इस बार भी डिटेल मैच नहीं हुई। सख्ती से पूछताछ में निशिका ने कबूल कर लिया कि वो जलगांव में रहने वाली एक स्टूडेंट के बदले परीक्षा देने आई है।

एग्जाम सेंटर के बाहर था दूसरा साथी
निशिका ने पुलिस के सामने खुलासा किया था कि वो राजस्थान के झालावाड़ मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट है। उसके पिता की नौकरी चली गई थी। उसके परिवार को पैसों की सख्त जरूरत थी। इस वजह से उसने यह कदम उठाया। उसे लेकर एक दूसरा स्टूडेंट राजस्थान से नवी मुंबई आया था, जो परीक्षा केंद्र के बाहर ही उसका इंतजार कर रहा था।

जब पुलिस की एग्जाम सेंटर पर हलचल देखी तो वह वहां से भाग गया। इस मामले में पुलिस ने तब उसे गिरफ्तार नहीं किया था, लेकिन मामला दर्ज कर लिया था। इसके बाद हाल ही में मुंबई पुलिस राजस्थान से निशिका यादव और एक दूसरे स्टूडेंट को गिरफ्तार करके ले गई थी।

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