[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

नहर एक आस बनी दर्द भरा अहसास


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

नहर एक आस बनी दर्द भरा अहसास

नहर एक आस बनी दर्द भरा अहसास

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

झुंझुनूं : शेखावाटी के गिरते जल स्तर व झुंझुनूं जिला पानी को लेकर डार्क जोन घोषित हो चुका है फिर भी राजनीतिक दलों के नेता आवाम को खुली आंखों से नहर का सपना दिखाते आ रहे हैं ।‌ झुंझुनूं के किसानों व आवाम के मुंह से एक ही बात सुनने को मिलती थी कि खेती को बचाने व पीने के पानी की उपलब्धता के लिए नहर एक आस । लेकिन राजनीतिक दलों की अकर्मण्यता व इसको लेकर लोगों को बरगलाने से बाज न आना अब नहर एक आस बनी दर्द का अहसास । नहर एक आस जब जुबान पर आता है तो बंजर होती भूमि , कम होता पशुधन व टैकरो पर पानी लेने वालों की भीड़ के चित्र आंखों के सामने तैरने लगते हैं और इन नेताओं की जुबान की नहर शीघ्र आयेगी सीधी आवाम की भावनाओं को आत्म हत्या करने को मजबूर कर देती है ।

जैसे ही राजस्थान में डबल इंजन सरकार बनी उसके सामने लोकसभा चुनावों की चुनौती थी व शेखावाटी के लोगों के लिए नहर एक ज्वलंत मुद्दा था । जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए राजस्थान सरकार व हरियाणा सरकार ने फरवरी माह में यमुना जल समझोता आनन फानन किया । उस ओएमयू में स्पष्ट उल्लेख था कि चार महीने में डीपीआर तैयार हो जानी चाहिए । इसके बाद शुरू हुआ नेताओं के अभिनंदनों का दौर इसमे हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भी अभिनंदन व चुनावी सभाओं में जल समझोता शेखावाटी के लिए मील का पत्थर बताया । खैर लोकसभा चुनाव हुए व शेखावाटी में भाजपा का सूपड़ा साफ हुआ यह भाजपा के लिए खतरे की घंटी थी । अब राजस्थान के मुख्यमंत्री का ताजा बयान आया कि आगामी चार महीनों में इस परियोजना को लेकर डीपीआर बनाने के सख्त निर्देश दे दिये है । यानी जो ओएमयू में लिखा था वह झूठ था तब बाकी शर्तों पर शेखावाटी का आवाम कैसे विश्वास करें कि ओएमयू की बाकी शर्तें भी मान्य होगी ।

हरियाणा में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के परिणाम को लेकर चर्चा करें कि यदि हरियाणा में सता परिवर्तन होता है तो क्या यह समझौता यथार्थ के धरातल पर उतरेगा या उस समझौते व डीपीआर का भी वही हश्र होगा जो पहले हुआ था । हरियाणा की राजनीतिक पटल पर नहर के पानी का विशेष महत्व होता है व इस मुद्दे पर सरकारें भी पलटती रही है ।

इसी परिपेक्ष्य में यदि पिलानी विधानसभा को लेकर पीने के पानी की भंयकर किल्लत पर चर्चा करें तो देखेंगे कि पानी की समस्या के कारण पिलानी से लोगों का पलायन शुरू होने की खबरें सुनने को मिलती है । परन्तु स्थानीय नेता व प्रशासन शायद इस बात से अनभिज्ञ तो नहीं पर जान बूझकर आंखें बंद किए हुए है और पूरजोर से वादा कर रहे हैं कि आगामी चार महीने बाद नहर का पानी आ जाएगा ।

यदि स्थानीय नेता इस ज्वलंत मुद्दे को लेकर संवेदनशील है तो उनको डबल इंजन सरकार पर दबाव बना कर पिलानी विधानसभा क्षेत्र को कुंभाराम लिफ्ट परियोजना के लिए प्रयास करने चाहिए ।

Related Articles