ककराना में दादोजी महाराज की समाधि स्थल पर सत्संग के साथ हुआ भंडारा आयोजित
आज भी बिना दीपक के आती है दादोजी महाराज की ज्योति

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : भरत सिंह कटारिया
ककराना : राजस्थान प्राचीनकाल से ही संत महात्माओं, शूरवीरों और वीरांगनाओं की स्थली रहा है। जिसमें समय-समय पर अनेक संत महात्माओं ने प्राणी मात्र को धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश प्रदान किया है। ऐसे ही संतों में ककराना गांव में कबीर पंथी संत दादोजी महाराज ने जन्म लिया था। जिनकी समाधियां ककराना गांव में बनी हुई है जो तकरीबन 550 वर्ष पुरानी है। प्रतिवर्ष जेष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी को दादोजी महाराज की समाधि पर रात्रि सत्संग एवं द्वादशी को भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें हजारों लोगों ने प्रसादी पाई। मंगूराम गोठवाल व हीरालाल गोठवाल ने बताया कि सत्संग में हरीराम एंड पार्टी सीलपुर ने भजनों की रंगारंग प्रस्तुतियां दी। सुबह महाआरती के पश्चात दादोजी महाराज को प्रसाद का भोग लगाया गया । भंडारे का प्रसाद वितरित किया गया।
भक्त शीलाराम गोठवाल द्वारा इस आश्रम में पूजा अर्चना की जाती है। आज भी दादोजी महाराज की ज्योति बिना दीपक के आती है। इस वर्ष ओंकारमल गोठवाल, मांगूराम गोठवाल, हनुमान गोठवाल द्वारा सत्संग और भंडारे का संपूर्ण खर्च उठाया गया। उन्होंने बताया कि दादोजी महाराज की समाधि स्थल पर द्वादशी को ककराना गांव के सर्व समाज के लोगों का प्रतिघर से बना हुआ प्रसाद इकट्ठा करके दादाजी महाराज के भोग लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता है। 550 वर्ष पूर्व ककराना गांव में मेघवाल जाति के गोठवाल कुल में दादोजी महाराज ने जन्म लिया था। दादोजी महाराज और उनके छोटे भाई दोनों ही तपस्वी थे। उनका एक पालतू कुत्ता भी था जो उनके साथ रहता था।
ककराना की ढाणी ढेढावाली में दोनों भाइयों ने जीवित समाधि ली थी। पूर्वजों की किंवदंती के अनुसार उनके समाधि लेने के बाद उनका पालतू कुत्ता भी 3 दिन तक समाधि स्थल पर बैठा रहा फिर अचानक दादाजी महाराज की शक्ति से धरती फटी और कुत्ता भी उसमें जीवित समा गया। यहां तीन समाधियां बनी हुई है। जिनकी रोजाना पूजा अर्चना की जाती है। जो श्रद्धालु सच्चे मन से दादोजी महाराज से मन्नत मांगता है उनकी हर मुराद पूरी होती है। दादोजी महाराज की समाधि पर मत्था टेकने से बड़ी से बड़ी असाध्य बीमारी में भी आराम मिलता है। दादोजी महाराज के समाधि स्थल पर ककराना, गढला, चंवरा,नेवरी सहित आसपास के दर्जनों गांवों के श्रद्धालु आस्था रखते हैं और कार्यक्रम में हर्षोल्लास के साथ भाग लेते हैं। दादोजी महाराज एक परोपकारी संत रहे थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज सेवा में लगाया व कबीर पंथी ज्ञान का प्रचार प्रसार किया। उनके द्वारा सर्व समाज को संदेश दिया गया था कि आप सभी लोग नेकी एवं ईमानदारी के साथ सत्य के मार्ग पर चलो आपको कभी भी जीवन में किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। दादोजी महाराज ने मेघवाल समाज को आशीर्वाद दिया था कि आपके समाज में कभी आगजनी एवं सर्पदंश की घटना नहीं होगी।
कार्यक्रम के दौरान मांगूराम गोठवाल, हीरालाल गिरदावर, पूरणमल गोरा, मेघराज गोठवाल, वरिष्ठ अध्यापक राजेंद्र गोरा, व्याख्याता सत्यपाल गोठवाल, रणवीर तूनवाल, नरेंद्र गोठवाल, गणपत लाल गोठवाल, बनवारी लाल, सेडूराम, सहायक लेखाधिकारी विजयपाल, सोहनलाल गोठवाल, अध्यापक ओमप्रकाश गोठवाल, पूर्व सरपंच रामजीलाल गोठवाल, श्रीराम महरानियां, गिरवर सैन, जेपी महरानियां हीरवाना सहित हजारों की संख्या में पुरुष एवं महिला श्रद्धालु मौजूद रहे।