[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

चूरू : इस दीवार पर कभी दौड़ते थे घोड़े, निर्माण में चांदी की करनी व बारिश का पानी लिया था काम


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
आर्टिकलराजस्थानराज्य

चूरू : इस दीवार पर कभी दौड़ते थे घोड़े, निर्माण में चांदी की करनी व बारिश का पानी लिया था काम

इस दीवार पर कभी दौड़ते थे घोड़े, निर्माण में चांदी की करनी व बारिश का पानी लिया था काम

चूरू : मरूस्थल का हिस्सा चूरू जिला अपने आप में कई रोचक इतिहास और विरासत समेटे हुए हैं। जिला मुख्यालय के निकटवर्ती रतननगर कस्बे में चाइना दीवार जैसी एक दीवार आज भी मौजूद है। दीवार का निर्माण करीब 160 वर्ष पूर्व यहां के तत्कालीन सेठ नंदराम केडिया ने कस्बे की सुरक्षा के लिए करवाया था। यह दीवार सुरक्षा के साथ वास्तु कला व स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है। उस समय गांव की रक्षा करने वाले घोड़ों पर दीवार पर दौडक़र कस्बे की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया करते थे। दिलचस्प बात तो ये है कि दीवार के निर्माण में चांदी की करनी (औजार) और बारिश के पानी का उपयोग किया गया था। हालांकि आज यह दीवार पहले जैसी स्थिति में नहीं है, फिर भी इसमें पूरा इतिहास व उस दौर की यादें आज भी सुरक्षित हैं। इधर कस्बे के लोगों का कहना है कि इस प्राचीन धरोहर को संरक्षण की दरकार है।

कन्या के हाथों रखी दीवार की नींव

लोहिया कॉलेज के प्रोफेसर डॉ केसी सोनी बताते हैं कि दीवार का पाया कन्या गंगाबाई के हाथों से भरा गया ( नीव रखी गई) था। करीब 160 वर्ष पूर्व दीवार के मुहूर्त में उस वक्त 379 चांदी के रुपए पहले दिन खर्च हुए थे। नंदराम केडिया जिन्होंने रतननगर को बसाया था और रतननगर की सुरक्षा के लिए इस दीवार का निर्माण करवाया था।

निर्माण पर एक लाख 7 हजार रुपए खर्च
दीवार का निर्माण चांदी की करनी और बारिश के पानी से किया गया था। उस वक्त गांव में 7 तालाब थे उसी से हुआ। इसके निर्माण पर एक लाख सात हजार रुपए खर्च हुए थे। इसके साथ एक मंदिर और एक कुएं का निर्माण हुआ था। यह दीवार सवा कोस के घेरे की थी, आसान भाषा मे समझें तो चार किलोमीटर की। अभी वर्तमान में पश्चिम दिशा में 400 मीटर के करीब अवशेष बचे हैं । हाल ही में इसकी विधायक कोटे से 10 लाख खर्च कर मरम्मत करवाई गई है।

दीवार के चारों कोने पर हैं बुर्ज
दीवार के चारों कोने पर चार बुर्ज बनाए गए है। इन चारों बुर्ज के नाम वास्तु के हिसाब से रखे गए। पश्चिम और दक्षिण बुर्ज का नाम भैरव बुर्ज, दक्षिण पूर्व में बुर्ज का नाम केसरिया बुर्ज,उतर पूर्व में बुर्ज का नाम शनि बुर्ज,उत्तर पश्चिम में बुर्ज का नाम भोमिया बुर्ज है। सभी बुर्ज में तोप रहती और दिन में दो बार सलामी दी जाती थी। कस्बे की सुरक्षा के लिए बनाई इस किलेनुमा दीवार में चार दरवाजे रखे गए। इसके चारों दरवाजों के नाम भी उसके हिसाब से रखे गए हैं। पहले दरवाजे का नाम चूरू दरवाजा, दूसरा रामगढ की तरफ ढांढण दरवाजा,पूर्व दिशा में बिसाऊ दरवाजा व पश्चिम दिशा में गणगौरी दरवाजा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *