बिजनेसमैन पति का सिर काटकर गैस पर जलाया:धड़ कुएं और सिर नदी में फेंका, लाश की आंख ने पुलिस को पहुंचाया हत्यारी पत्नी तक
बिजनेसमैन पति का सिर काटकर गैस पर जलाया:धड़ कुएं और सिर नदी में फेंका, लाश की आंख ने पुलिस को पहुंचाया हत्यारी पत्नी तक
21 साल पुराना केस। पुलिस को टुकड़ों में एक लाश मिली। धड़ कुएं में था और सिर नदी से बरामद हुआ। सिर पूरी तरह जला हुआ था। पहले युवक की हत्या की गई और उसके बाद सिर काटकर उसे गैस के बर्नर पर रखकर जला दिया, ताकि शिनाख्त न हो सके। इस घिनौने हत्याकांड को अंजाम दिया खुद मृतक की पत्नी ने। हत्यारी पत्नी बेफिक्र थी कि इतनी सफाई से सबूत मिटाए हैं कि पुलिस उस तक कभी नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन सिर जलाने के बाद भी पति की एक आंख ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
पढ़िए पूरी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…
‘हेलो सर! जसवंतपुरा गांव के बाहरी क्षेत्र में बनास नदी के किनारे सूखे तल पर किसी आदमी का जला हुआ और कटा हुआ सिर पड़ा है।’
‘गांव के बाहर बजरंग नाम के व्यक्ति के कुएं में एक पोटली तैर रही है। कुएं से बदबू आ रही है। आरा की नीमड़ी की तरफ पुलिया के पास खून से सने कपडे़ भी पड़े हैं।’
21 साल पहले 28 अप्रैल 2003 के दिन राजस्थान के अजमेर जिले के सावर पुलिस स्टेशन में एक इसी तरह का फोन कॉल आया। पुलिस हैरान थी। सूचना देने वाले का नाम-पता पूछते, इससे पहले ही उसने फोन काट दिया। तत्कालीन सावर SHO सुरेंद्र सिंह तुरंत टीम लेकर मौके पर पहुंचे। नदी के सूखे तल पर पिलर नंबर 11 पर जला हुआ सिर मिला। साथ ही एक जूट का थैला, एक प्लास्टिक का थैला भी मिला, जिस पर खून लगा हुआ था।
खून से सना शर्ट, तकिया कवर मिले
बनास नदी से दो किलोमीटर दूर सावर की ओर आरा की नीमड़ी नामक स्थान पर जांच में पुलिस को पूरी बांह की शर्ट, तकिया-कवर, प्लास्टिक का टेबल-कवर और दो प्लास्टिक के कट्टे मिले। सभी खून से सने थे। इसके बाद पुलिस जसवंतपुरा गांव में बजरंग नाम के व्यक्ति के कुएं पर गई। कुएं में गठरी तैरती दिखाई दी, जिसे रस्सी और लोहे के हुक से ग्रामीणों की मदद से बाहर निकाला। बाहर निकाला तो देखा कि दो चादरें आपस में बंधी हुई थीं, जिनमें एक व्यक्ति का नग्न शव था। शव जगह-जगह से जला हुआ था और सिर कटा हुआ था। आंतें बाहर निकली हुई थीं और शव से बदबू आ रही थी।
लाश की एक आंख से मिला सुराग
अब तक ये बात साफ हो गई थी कि किसी शख्स की हत्या कर पहचान छिपाने के मकसद से शव को काटकर और जलाकर अलग-लग जगह पर फेंका गया है। पुलिस ने शव के सिर व धड़ को सावर हॉस्पिटल की मोर्चरी में भिजवाया और शिनाख्त के काफी प्रयास किए। शिनाख्त न होने पर कुछ समय बाद अंतिम संस्कार कर दिया। हालांकि इससे पहले पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर्स ने पुलिस को बताया कि मृतक की लेफ्ट आंख के नीचे एक स्टील का तार लगा था, यानी उसकी पहले कोई मेजर सर्जरी हुई थी। स्टील का ये तार ही पुलिस के लिए इस केस की इन्वेस्टिगेशन में सबसे अहम कड़ी साबित हुआ।
किशनगढ़ में लापता था एक मार्बल कारोबारी
एक तरफ पुलिस ने सिर कटी लाश का केस अनसुलझी पहेली बना हुआ था। वहीं दूसरी तरफ एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी वाले किशनगढ़ शहर में बड़े मार्बल कारोबारी भवानीशंकर शर्मा अचानक लापता हो गए। भवानीशंकर शर्मा अपने गोडाउन पर नहीं आ रहे थे। उनकी जगह उसकी पत्नी निधि शर्मा अचानक गोडाउन पर आने लग गई थी। भवानी शंकर किशनगढ़ का ही रहने वाला था और अपने माता-पिता से अलग पत्नी और बच्चों के साथ किशनगढ़ में दूसरे घर में रहता था। पत्नी के प्रेशर के बाद वो माता-पिता से अलग रहने लगा था, लेकिन अक्सर उनसे मिलने चला जाता था। वो जब भी वहां जाता तो निधि उससे लड़ाई-झगड़ा करती थी।
पिता ने तलाश की, लेकिन बेटे का नहीं चला पता
भवानी शंकर के पिता दुर्गाप्रसाद की कई दिनों से अपने बेटे से बात नहीं हुई थी और न ही उसके बारे में उन्हें कुछ पता था। इस बीच दुर्गाप्रसाद को पता चला कि आज कल मार्बल गोडाउन पर उनके बेटे की जगह उसकी पत्नी निधि आ रही है तो वो और टेंशन में आ गए। उन्हें ये भी पता चला कि निधि रोजाना मार्बल गोडाउन पर बिकने वाले संगमरमर का पेमेंट भी हाथों हाथ खुद ही ले जाती है। ये सब सुनते ही उन्हें बेटे को लेकर चिंता होने लग गई। उन्होंने पहले बेटे भवानी शंकर के घर फोन लगाया तो पता चला कि निधि गोडाउन में है। उन्होंने निधि को गोडाउन में कॉल लगाया और भवानी के बारे में पूछा। इस पर निधि ने उन्हें कहा कि गोडाउन में आ जाओ। वो नहीं गए और दूसरे लोगों से भवानी को लेकर पड़ताल की, लेकिन कुछ पता नहीं चला।
अखबार की सूचना से बढ़ गया शक
इस बीच 4 मई 2003 को दुर्गाप्रसाद जब अखबार पढ़ रहे थे तो उन्हें एक सूचना लिखी दिखी- ‘सावर पुलिस को एक व्यक्ति का जला हुआ सिर मिला है। जिसकी लेफ्ट आंख के नीचे स्टील का तार लगा हुआ था। वहीं मृतक की दाहिनी कलाई पर एक मोली का धागा भी बंधा था।’ ये सब पढ़ते ही दुर्गाप्रसाद के हाथ-पांव सुन्न हो गए। क्योंकि उनके बेटे भवानीशंकर के भी लेफ्ट आंख के नीचे इसी तरह का स्टील का तार लगा हुआ था।
दरअसल, भवानी शंकर का एक एक्सीडेंट हो गया था। इसके बाद दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में एक सर्जरी के बाद उसे ये तार लगाया गया था। दुर्गाप्रसाद ने तुरंत अपने तीन बेटों, दामाद अरुण कुमार बोहरा और भवानी शंकर की पत्नी निधि को फोन किया और अखबार में आई सूचना की जानकारी दी। उन्होंने पुलिस थाने जाने के लिए सभी को अपने घर पहुंचने के लिए कहा। सब आ गए, लेकिन निधि नहीं आई, ऐसे में उसे उसके घर से पिकअप किया। निधि ने रवाना होने से पहले अपने घर के सभी कमरों को लॉक किया और उनकी चाबियां भी अपने साथ रख ली थी।
पत्नी रोने लगी तो गहराया पुलिस का शक
जब वो सभी सावर पुलिस स्टेशन पहुंचे तो दुर्गाप्रसाद ने पुलिस को बताया कि उनका बेटा भवानीशंकर शर्मा पिछले 8 दिनों से लापता है।पुलिस ने उन्हें बताया कि शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है, लेकिन उसके पास मिले कपड़े और सामान को दिखाया जा सकता है। पुलिस ने जैसे ही खून से सने कपड़ों का थैला निधि और दुर्गाप्रसाद के सामने रखा तो बिना थैले को खोले ही निधि जोर-जोर से चिल्लाने लग गई कि ये कपडे़ भवानीशंकर के ही हैं। तत्कालीन SHO सुरेंद्र सिंह जोधा को उसकी ये हरकत अजीब लगी, लेकिन वो किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले और ज्यादा पुख्ता होना चाहते थे। निधि ने पुलिस को बताया कि खून से सनी शर्ट उसके पति भवानी शंकर की ही है। जो खून से सने तकिया कवर, चादर और टेबल कवर मिले हैं वो भी उनके घर के ही हैं।
तार ने उगला राज़- भवानी शंकर की ही थी लाश
वहीं दुर्गाप्रसाद ने स्टील के तार को देखते ही बता दिया कि ये तार भी उनके बेटे भवानी शंकर को ही लगा हुआ था। एक एक्सीडेंट के बाद गाल की हड्डी और ललाट की हड्डी को जोड़ने के लिए दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में डॉक्टर शिव शंकर साहा ने सर्जरी के बाद लगाया था।
उन्होंने वेरिफाई करवाने के लिए पुलिस की डॉक्टर साहा से बात भी करवा दी। डॉक्टर साहा ने पुलिस को बताया था कि उन्होंने करीब 11 साल पहले ये स्टील का तार भवानी शंकर को सर्जरी के बाद लगाया था। वहीं इस दौरान डॉक्टर साहा ने पुलिस को बताया कि इस तरह का स्टील का तार लगाने के लिए वो देश में एकमात्र स्पेशलिस्ट डॉक्टर है। उन्होंने राजस्थान में अब तक महज 3 ही लोगों को ऐसी सर्जरी कर तार लगाया है। अगर पुलिस चाहे तो वो तीनों पेशेंट की जानकारी उन्हें दे सकते है। पुलिस के लिए अब काफी आसान काम हो गया था। एक-एक कर पुलिस ने भवानीशंकर के अलावा बाकी दोनों पेशेंट को लेकर पता लगाया तो साफ हो गया कि लाश भवानी शंकर की ही थी।
अब ये बात साफ हो गई थी अधजली सिर कटी लाश भवानी शंकर की ही थी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल था- कातिल कौन?
ये खुलासा हो गया था कि जो शव पुलिस को मिला वो किशनगढ़ के बड़े मार्बल कारोबारी भवानी शंकर शर्मा का ही था। हालांकि अब भी सबसे बड़ा सवाल अनसुलझा था- मार्बल कारोबारी का मर्डर किसने और क्यों किया?
पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो परिवार के लोगों ने एक-दूसरे पर ही शक की अंगुली उठाना शुरू कर दिया। मृतक भवानी शंकर की पत्नी निधि ने तो ये तक आरोप लगाया कि उसके ससुराल वाले और उसके ननद-ननदोई उसके पति भवानी शंकर शर्मा की प्रॉपर्टी और कारोबार को हड़पना चाहते थे।
पति पर शक करती थी निधि
पुलिस ने सभी परिजनों से पूछताछ की। परिजनों से पुलिस को पता चला कि भवानीशंकर और निधि शर्मा की मैरिड लाइफ में कुछ भी ठीक नहीं था। दोनों अक्सर लड़ते-झगड़ते थे। निधि भवानीशंकर पर काफी शक करती थी और उसे अपने मां-बाप के पास भी नहीं जाने देती थी। वहीं निधि के भाई और उसके पीहर वालों का दोनों की जिंदगी में काफी दखल हो गया था। ये जानकारी मिलते ही पुलिस का शक निधि और उसके पीहर वालों पर गहरा गया। पुलिस ने पहले मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की लेकिन जब कुछ नहीं निकला तो निधि के सामने ही उसके भाई से सख्ती से पूछताछ की। भाई से सख्ती होते देख निधि जल्दी ही टूट गई और पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
ड्राइवर के साथ मिलकर घर में ही की हत्या
पुलिस के सामने खुलासा हुआ कि निधि ने अपने ड्राइवर और भवानीशंकर के दोस्त अशोक वैष्णव के साथ मिलकर अपने घर में ही पति की हत्या की। निधि ने सबसे पहले भवानीशंकर के ज्यूस में नींद की गोलियां मिलाई और उसे बेहोश कर दिया। इसके बाद अशोक के साथ मिल बेहोश पति की कुल्हाड़ी से वार कर हत्या कर दी। भवानीशंकर के धड़ और सिर को कुल्हाड़ी से काटकर अलग किया। उसके खून को एक जरीकेन में भर लिया। इसके बाद बॉडी को नीचे बेसमेंट में ले गए। वहां बॉडी को जलाने का प्रयास किया लेकिन बॉडी जली नहीं। इसके बाद भवानी के सिर को छत पर ले गए और वहां गैस बर्नर पर रखकर उसे पूरी तरह जला दिया।
पहले नदी में फेंकने वाले थे सिर और धड़
सिर जलाने के बाद उन्हें विश्वास हो गया कि अब कोई शव की शिनाख्त नहीं कर पाएगा। इसके बाद उन्होंने शव के कपड़े उतारकर अलग बैग में रखे। भवानी शंकर का सिर, धड़े और कपड़े कार में डालकर दोनों सावर के जंगलों की तरफ निकल गए। मर्डर वैपन कुल्हाड़ी को एक बबूल की झाड़ी में फेंक दिया। दोनों का प्लान था कि सिर-धड़े और बाकी चीजें वो बनास नदी में फेंक देंगे, लेकिन सामने पुलिस की गश्त की गाड़ी आने से वो घबरा गए। इसके बाद सबसे पहले उन्होंने एक सुनसान कुआं देखकर धड़ उसके फेंक दिया और कपड़े व कटा हुआ सिर अलग-जगह फेंक दिया। खून के जरीकेन को हटूंडी के पास जमीन में दफन कर दिया और लौटकर किशनगढ़ आ गए।
पति पर अवैध संबंधों का शक, हड़पना चाहती थी दौलत
पूछताछ में पुलिस को पता चला कि निधि को शक था कि उसका पति भवानीशंकर अय्याशी करता है। वो फ्लाइट से मुंबई और दिल्ली के नाइट क्लब में जाता है और उसके कई महिलाओं से अवैध संबंध हैं। इतना ही नहीं उसकी भवानीशंकर की प्रॉपर्टी पर भी नजर थी। उसे डर था कि कहीं ये सब उसके सास-ससुर और ननद-नंदोई न छीन लें। वो ये सब बातें अपने भाई और पीहर में भी शेयर करती थी। आखिर में उसके दिमाग में एक खतरनाक प्लान आया।
ड्राइवर को लालच देकर मर्डर में शामिल किया
निधि ने पति की हत्या की साजिश रची। अपने ड्राइवर अशोक वैष्णव को रुपयों और गाड़ी देने का लालच देकर इस मर्डर प्लान में शामिल किया। दरअसल भवानीशंकर ने अशोक वैष्णव को सूमो गाड़ी फाइनेंस की थी। निधि ने अशोक को ये ही लालच दिया कि अगर वो भवानीशंकर को मर्डर में उसका साथ देगा तो उसे फाइनेंस के रुपए नहीं चुकाने पड़ेंगे। इतना ही नहीं वो उसे रुपयों से मालामाल कर देगी। इसी लालच में अशोक ने उसका साथ दिया।
ड्राइवर से अफेयर का भी शक
हालांकि पुलिस जांच में निधि और अशोक के बीच अफेयर का शक भी जताया जा रहा था लेकिन ये पुलिस कभी कोर्ट में साबित नहीं कर पाई। वापस किशनगढ़ लौटने के बाद निधि ने घर में काम करने वाली एक महिला को बुलाकर साफ सफाई भी करवाई। इस दौरान महिला ने फर्श पर खून के धब्बे देख निधि से सवाल किए तो उसने कहा कि ये खून नहीं कलर है।
भवानीशंकर की डायरी ने उगले कई राज
भवानीशंकर को डायरी लिखने का भी शौक था। पुलिस को उसके घर की तलाशी के दौरान ये डायरी मिली। इसके पन्नों में भवानीशंकर ने निधि को लेकर कई खुलासे किए…
15 मई 2002, पेज 134
‘सुबह से ही निधि तलाक के लिए जोर दे रही है। मैंने मना किया तो वो घर से जाने लग गई। मैंने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने मुझ पर पलटवार भी किया।’ ‘मैंने उसे दिखाने के लिए कोर्ट के नंबर लिए और फोन भी लगाया। मुझे पता था कि कोर्ट में दोपहर एक बजे तक ही काम होता है तो मैंने जान बूझकर टाइम जाया किया।’
‘दोपहर एक बजे हम दोनों कोर्ट पहुंचे तब तक कोर्ट बंद हो गया था। उसने वकील के पास चलने की जिद की। हम वकील के पास गए और तलाक के पेपर रेडी करने को कहा। वकील ने हम दोनों को खूब समझाया।’ ‘इसके बाद निधि मोटरसाइकिल से जयपुर के लिए रवाना हो गई। मैंने उसे खूब ढूंढ़ा पर उसका कोई पता नहीं चला।’ ‘घर पहुंचा तो पता चला कि उसने बाहर चाय बनाने वाली महिला को कहा था कि दोनों बच्चों को घर के अंदर बंद करके गेट लगा देना। इसके बाद वो रात में 11 बजे घर लौटी थी।’
20 मई 2002, पेज 139
‘निधि ने मुझसे पूछा कि मैंने उसके व्यवहार और स्वभाव को लेकर उसके घर वालों को क्यों बताया है। उसने मुझे कहा कि तुम मेरी इमेज खराब कर रहे हो।’ ‘उसने मुझे धमकी दी कि या तो मैंने अपनी कम्पनी बंद कर दूं और अपने स्टाफ को बाहर निकाल दूं। नहीं तो वो मेरे खिलाफ झूठा पुलिस केस दर्ज करवाएगी।’ ‘मैंने उससे रिक्वेस्ट की लेकिन वो नहीं मानी। उसने कहा कि स्टाफ को तो निकालना ही पडे़गा। वो मेरे लिए और बच्चों के लिए खाना भी नहीं बनाती है।’ ‘कुचामन में उसके पीहर वालों को ये बाते बताता हूं तो निधि धमकाती है। उसके पीहर वाले भी ध्यान नहीं देते हैं। वो दिन भर घर से गायब रहती है और रात में लेट आती है।’
4 जून 2002, पेज 154
‘मुझे डर है कि मुझे खाने में जहर दिया जा रहा है। पता नहीं वो मेरे खाने में क्या मिलाती है, आजकल मेरी जीभ लड़खड़ाने लग गई है।’ ‘मैंन उसे दाल खाने को कहा तो निधि ने वो दाल नहीं खाई, उल्टी उसे बाहर गिरा दी। इससे मेरा शक और गहरा गया है।’
दो बेटे, प्रॉपर्टी को लेकर विवाद
निधि और भवानीशंकर के दोनों बेटे हैं कैप्टन और पंछी उर्फ संस्कार है। पिता की हत्या और मां के जेल जाने के बाद रिश्तेदारों ने ही उन्हें पाला। 30 जुलाई 2004 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश केकड़ी द्वारा निधि शर्मा और अशोक वैष्णव को भवानी शंकर शर्मा की हत्या का दोषी करार दिया गया। दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन वहां भी ये सजा बरकरार रही। अब सजा पूरी होने के बाद निधि ने दूसरी जगह अपना घर बसा लिया है। दोनों बच्चों कैप्टन और पंछी उर्फ संस्कार के साथ निधि का अभी भी प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा है।