जयपुर : मोदी मंत्रिमंडल में राजस्थान के 4 मंत्रियों को जगह मिलने के बाद अब प्रदेश में संगठन के स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव में राज्य में संगठन की कमजोर रणनीति, गुटबाजी और गलत टिकट के बंटवारे के कारण भाजपा यहां 14 सीटों पर ही सिमट गई थी, जबकि 2014 और 2019 में सभी 25 की 25 सीटें भाजपा ने जीती थीं।
केंद्रीय स्तर पर अब यह फैसला लगभग लिया जा चुका है कि प्रदेश अध्यक्ष बदलेंगे और संगठन के अंदर भी बड़े बदलाव किए जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत सबसे आगे चल रहे हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए आगे किया गया है।
शाह ने राज्य के नेताओं से बात की
नए अध्यक्ष और संगठन में बदलाव को लेकर दिल्ली में अमित शाह ने राज्य के नेताओं से बातचीत की है। उनसे नाम मांगे हैं। रविवार को राजस्थान के सभी बड़े नेता दिल्ली में शपथ ग्रहण समाराेह के लिए उपस्थित थे, सूत्र बताते हैं इस दौरान भाजपा नेताओं से अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने व्यक्तिगत बातचीत की है। इसी चर्चा में राजेंद्र गहलोत का नाम तेजी उभरा है। उनके पक्ष में जातीय समीकरण भी हैं और वे किसी गुट के भी नहीं माने जाते हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ भी उनके अच्छे रिश्ते हैं।
- प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को बदलने के पीछे राजस्थान में बीजेपी का कमजोर प्रदर्शन तो है ही, जातीय संतुलन की दृष्टि से भी रणनीति बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ब्राह्मण हैं और सीपी जोशी भी। ऐसी भी खबरें हैं कि संगठन में नए और अनुभवी चेहरों का संतुलन होगा।
जिला संगठन में भी बदलाव की तैयारी, पॉलिटिकल नियुक्तियों काे रफ्तार मिलेगी
पीएम माेदी की शपथ और मंत्रिमंडल गठन के बाद राजस्थान भाजपा में भी बड़ा बदलाव देखने काे मिलेगा। लाेकसभा चुनाव में भाजपा की परफाॅर्मेंस कमजाेर रही है और बिखराव देखने काे मिला है। लाेकसभा चुनाव में प्रदेशाध्यक्ष सीपी जाेशी खुद के संसदीय क्षेत्र से ज्यादा बाहर नहीं निकल सके थे।
प्रभारी और संगठन महामंत्री चुनावी तस्वीर में ही नहीं थे। लंबे समय से प्रदेश संगठन महामंत्री का पद भी खाली है जबकि प्रभारी की जगह सह प्रभारी ने काम देखा। पिछले लाेकसभा चुनाव की तुलना में वाेट प्रतिशत करीब 10 प्रतिशत तक घटा है। ऐसे में अब तय है कि राजस्थान में भाजपा प्रदेश संगठन में प्रदेशाध्यक्ष, प्रभारी, प्रदेश संगठन महामंत्री आदि प्रमुख पदाें पर नए चेहरे दिख सकते हैं।
जिलाें में भी संगठन में बदलाव देखने काे मिलना तय है। संगठन में बदलाव के अलावा भजनलाल सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों की भी रफ्तार बढ़ना तय है। इसमें पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं के अलावा सामाजिक समीकरण भी साधे जाएंगे।
हाड़ाैती से काेई नहीं; फिलहाल दुष्यंत बाहर, बिरला की भूमिका भी तय होगी
प्रदेश के सबसे वरिष्ठ पांच बार के सांसद दुष्यंत सिंह काे इस बार भी माेदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी। दुष्यंत लगातार 2004 से झालावाड़ा लाेकसभा सीट से बड़े मार्जिनाें से जीत रहे हैं। मंत्रिमंडल के गठन से पूर्व दुष्यंत काे मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा था लेकिन इस बार भी भाजपा के सियासी गणित पर वाे फिट नहीं बैठ सके हैं।
सांसद दुष्यंत सिंह के अलावा लाेकसभा स्पीकर रहे ओम बिरला काे भी फिलहाल कुछ नहीं मिला है। उन्हें क्या नई जिम्मेदारी मिलेगी या नहीं। इसकाे लेकर सियासी चर्चाएं हैं लेकिन हाड़ाैती काे अब तक कुछ नहीं मिलना चर्चाओं में है।