जैसी जगह ट्रांसफर, वैसा वेतन में इजाफा… राजस्थान का चिकित्सा विभाग ला सकता है नया तरीका
Rajasthan Health Department New Tranfer Policy : नई संभावित तबादला नीति के तहत दूर दराज के जिलों में पोस्टिंग लेकर काम करने वाले चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ के वेतन में 5 से 15 फीसदी बेसिक पे को बढ़ाने की सिफारिश की जा सकती है। फिलहाल तो यह प्रस्ताव पूरी तरह नहीं बना है लेकिन कहा जा रहा है कि हफ्ते भर के भीतर इसे तैयार कर सीएम तक पहुंचा दिया जाएगा। ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार के इस लुभावने प्रस्ताव पर वरिष्ठ चिकित्सक और पैरा मेडिकल स्टाफ पर क्या असर नजर आता है।
जयपुर : चुनावों की आचार संहिता हटने के बाद अब राजस्थान में जल्दी ही तबादलों का दौर शुरू होने वाला है और इस बार तबादलों में नवाचार भी नजर आएगा। दरअसल राज्य के चिकित्सा विभाग की तरफ से एक नई तबादला नीति पर काम किया जा रहा है जो कि सबको चौंका अभी सकती है। इसके तहत दूर दराज के जिलों में पोस्टिंग लेकर काम करने वाले चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ के वेतन में 5 से 15 फीसदी बेसिक पे को बढ़ाने की सिफारिश की जा सकती है। यानी शहरी इलाकों में चिकित्सकों को जो वेतन दिया जा रहा है, ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग लेकर सेवाएं देने वाले समान ग्रेड वाले चिकित्सकों का वेतन अधिक होगा।
नई नीति की यह होगी वजह
दरअसल सत्ता में आने के साथ ही सरकार ने कर्मचारियों के बीच असंतोष को दूर करने के लिए सभी विभागों के प्रमुख से नई तबादला नीति का ड्राफ्ट बनाकर देने को कहा था। चिकित्सा विभाग ने सबसे पहले नवाचार करने की ठानी है। आम लोगों से सीधा जुड़ा होने वाला महकमा होने के चलते इस विभाग पर सरकार का बड़ा फोकस भी है। सरकार को सुझाव दिया जा रहा है कि राजस्थान के दूर दराज वाले अभावग्रस्त इलाकों में पोस्टिंग लेने वाले चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों के बेसिक पे के साथ प्रमोशन को आकर्षक बनाया जाएगा।
सिफारिशी ट्रांसफर रुकेगा
सरकार खुद भी अच्छी तरह से जानती है कि ज्यादातर मेडिकल स्टाफ दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों खासकर आदिवासी और रेगिस्तानी इलाकों में पोस्टिंग ही नहीं लेना चाहते। यदि उनका ट्रांसफर कर भी दिया जाता है की कुछ वक्त काम करने के बाद किसी मंत्री या अधिकारी की सिफारिश लगवाकर फिर से शहरी इलाकों में आ जाते हैं। इसकी बड़ी वजह शहरी इलाकों में तमाम तरह की सुविधाओं के साथ साइड में होने वाली अतिरिक्त कमाई भी है। ये चिकित्सक अपने और अपने परिवार के बच्चों की पढ़ाई जैसी बातों को ध्यान में रखते हुए भी ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग लेने से कतराते हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा सुविधाें लोगों को नहीं मिल रही हैं। सरकार को लगता है कि आकर्षक वेतन-प्रमोशन पैकेज से सिफारिशी पोस्टिंग रुकेंगी।
राज्य के 19 जिले अभावग्रस्त
जिन जिलों में सरकारी कर्मचारी पोस्टिंग ही नहीं लेना चाहते ऐसे 19 जिलों की पहचान की गई है। विभाग की ओर से बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, चुरू, नागौर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद ,नागौर और फलोदी जैसे कुल 19 अभावग्रस्त जिलों और यहां के ग्रामीण अस्पतालों व बड़े स्वास्थ्य केंद्रों की पहचान भी कर ली गई है। ज्यादातर चिकित्सक यहां पोस्टिंग ही नहीं लेना चाहते। सरकार और अधिकारियों के पास जितने भी ट्रांसफर के आवेदन आते हैं वे अपने हिसाब से अलग अलग कारण बताकर जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, भीलवाडा, और अजमेर जैसे बड़े शहरों में ही पोस्टिंग चाहते हैं।
ऐसा हो सकता है नया नियम
राजस्थान में बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और गंगानगर के ग्रामीण इलाकों के साथ मेवाड़-वागड़ के आदिवासी इलाकों में स्वेच्छा से पोस्टिंग लेकर कम से कम दो साल काम करने वाले चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ के बेसिक-पे में 5 से 15 फीसदी तक का इजाफा किया जाएगा। सबसे ज्यादा 15 फीसदी का बेसिक-पे के इजाफे वाले केटेगरी में वरिष्ठ चिकित्सकों को रखा जाएगा। जबकि पैरा मेडिकल और सामान्य चिकित्सकों के लिए यह 5 से 10 फीसदी तय हो सकता है।
इसलिए नवाचार की जरूरत
इस पूरी कवायद के पीछे की बड़ी वजह यह है कि साल भर पहले तक राजस्थान में महज 33 जिले थे। अगस्त 2023 को तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने 19 नए जिले और 3 नए संभागों का एक साथ गठन कर दिया था। यही नहीं पिछले पांच साल से लगभग सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज भी खुलने शुरू हो गए हैं। लेकिन कई भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और धांधलियों की शिकायत के चलते अटके पड़े होने के कारण इन मेडिकल कॉलेज में स्टाफ और चिकित्सक की कमी चिकित्सा विभाग को भी महसूस होने लगी है। समझा जाना मुश्किल नहीं है कि ऐसे में ग्रामीण इलाकों के चिकित्सालयों की क्या हालत होगी।