अनिवार्य सेवानिवृत्त आसान नहीं, सीएस के आदेश के खिलाफ खुलकर सामने आए कर्मचारी, विरोध की दी चेतावनी
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के बीच मुख्य सचिव सुधांश पंत का अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश से संबंधित आदेश अब विवादों में आ गया है। राजस्थान के कर्मचारी संगठन खुलकर इस आदेश के विरोध में आ गए हैं।

जयपुर : मुख्य सचिव सुधांश पंत के अनिवार्य सेवानिवृत्ति वाले आदेश ने कर्मचारी संगठनों और सरकार को आमने-सामने ला खड़ा किया है। राजस्थान के कर्मचारी संगठन अब इस आदेश के विरोध में खुलकर आए गए हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि मुख्य सचिव सहित राज्य सरकार के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों ने राज्य कर्मचारियों को डराने धमकाने तथा प्रताड़ित करने और कर्मचारी, सरकारी विभागों, सरकारी विद्यालयों व चिकित्सालयों को बदनाम करने का अभियान चला रखा है। इसी क्रम में 24 मई को कार्मिक विभाग द्वारा जारी मुख्य सचिव के अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश से कर्मचारियों में आतंक पैदा करने की कोशिश की गई है।
कर्मचारी बाले सरकार आमजन को कामगारों के खिलाफ भड़का रही
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष महावीर शर्मा का कहना है कि सरकार कर्मचारियों में आतंक पैदा करना चाहती है और आमजन को कामगारों के खिलाफ भड़काना चाहती है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सरकार के मंत्री ही नहीं बल्कि सत्ताधारी दल के अनेक नेता भी लगातार कर्मचारियों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। अब तो मुख्यमंत्री ने भी अपने साक्षात्कार में अनिवार्य सेवा निवृत्ति नियम के अनुसार कार्रवाई करने का कहकर कर्मचारियों के डर को बढ़ाने और उन्हें पस्त करने की कोशिश की है। राज्य कर्मचारी सरकार के इस अनुचित व्यवहार से हतप्रभ, आहत और आक्रोशित है।
सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की चेतावनी
महासंघ का कहना है कि सरकार अपनी कर्मचारी विरोधी नीतियों से बाज नहीं आई और कर्मचारियों के खिलाफ जारी अनुचित अभियान को नहीं रोका गया तो राज्य का कर्मचारी अपनी मान मर्यादा तथा न्याय के लिए न केवल सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर जाएगा बल्कि सरकार के साजिशपूर्ण कदमों की पोल खोलने के लिए आम जन के बीच भी जाएंगे।
सरकार करना चाहती है निजीकरण
महासंघ के महामंत्री महावीर सिहाग ने बताया कि सरकार शिक्षा, चिकित्सा तथा जनसेवा की सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण करना चाहती है और सरकारी विभागों का आकार घटाना चाहती है। इन जन विरोधी कार्यो को अंजाम देने के लिए कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है ताकि कर्मचारी संगठित रूप से विरोध नहीं कर सके। कर्मचारी भी आमजन है और “बांटो तथा राज करो” नीति के तहत सरकार आम जन को आपस में बांट देना चाहती है, आपस में टकराना चाहती है। यदि सरकार इसमें सफल हो गई तो जन सामान्य एक तरफ इन सेवाओं से वंचित हो जाएंगे, ऊंची कीमत पर निजी क्षेत्र से यह सेवाएं खरीदनी पड़ेगी और दूसरी तरफ राज्य में लाखों पद समाप्त करके रोजगार के अवसर खत्म कर दिए जाएंगे।