हत्या के 12 दिन बाद भी पीड़ित परिवार को सरकार से राहत नहीं
हत्या के 12 दिन बाद भी पीड़ित परिवार को सरकार से राहत नहीं

सूरजगढ़ : बलौदा में शराब माफियाओं द्वारा दलित युवक रामेश्वर वाल्मीकि को बेरहमी से पीट पीटकर हत्या किए जाने से अकेली रही उसकी बूढ़ी मां का रो रो कर बुरा हाल हो रहा है। रामेश्वर वाल्मीकि की बूढ़ी मां राधा देवी प्रशासन व सरकार से हाथ जोड़कर यही अरदास लगा रही है कि उसके लाल को मारने वाले हत्यारों को फांसी की सजा दी जाए और उसे सहारा।
इस बूढ़ी मां का गांव में रामेश्वर ही एक मात्र सहारा था। रामेश्वर के दो बड़े भाई हैं। जिनमें कालूराम कोटपूतली और सुल्तान सीकर रहता है। गांव में मां के पास केवल रामेश्वर ही रहता था। वह गांव की गोशाला में मजदूरी करता और जागरण वगैरह में ढोलक बजाकर अपना व मां का गुजारा चला रहा था। लेकिन बदमाशों ने रामेश्वर की हत्या कर बूढ़ी मां के सहारे को छीन लिया। अपने लाल के खोने के गम में डूबी राधा से जब कोई मिलने आता है तो वह एक बात बोलती है कि मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस मेरे लाल को मारने वालों को फांसी दे दो बाबूजी… मेरे लाल ने तो किसी का कुछ बिगड़ा भी नहीं, उसे बदमाशों ने क्यों मार दिया। यह कहते कहते फिर से रोने लगती है। पास ही बैठे उसके बड़े बेटे कालूराम ने कहा कि उन्होंने सरकार से हत्यारों को फांसी देने, परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है।
दूसरी जगह से शराब खरीद कर पीने की मामूली सी बात पर दबंगों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी : गांव में शराब ठेका चलाने वाले बदमाशों ने 14 मई को रामेश्वर बाल्मीकि व जेठूराम नायक का अपहरण कर शराब रखने वाली हवेली में ले गए। जहां रामेश्वर की बेरहमी से उल्टा लटकाकर डंडों से पीट पीटकर हत्या कर दी थी। जिसका घटना के सात दिन बाद वीडियो भी वायरल हुआ था। इस मामले में पुलिस आठ जनों को गिरफ्तार व एक नाबालिग को निरुद्ध कर चुकी है। वहीं मृतक रामेश्वर वा ल्मीकि के भाई कालूराम व रामेश्वर के साथ अपहृत हुए जेठूराम नायक का कहना है कि इस घटना में गांव का सुभाष बावरिया भी शामिल था, जिसे पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है। रामेश्वर के घर की हालत काफी दयनीय है। घर में दो मां बेटे रहते थे। बेटा रामेश्वर मजदूरी करके मां का व खुद का पेट पाल रहा था। उसकी हत्या के बाद घर में आमदनी का जरिया भी खत्म हो गया। बूढ़ी मां के सामने खाने-पीने की भी समस्या खड़ी हो गई। परिजनों व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की है। वहीं परिजनों ने बताया कि उनकी हालत जानने अभी तक सरकार का कोई प्रतिनिधि या बड़ा अधिकारी नहीं आया है।
शुक्रवार को एसडीएम दयानंद रुयल व तहसीलदार चंद्रशेखर यादव आए थे। जिन्होंने जनसहयोग से तीन बोरी गेहूं, पांच किलो चीनी, एक किलो चाय आदि दिलवाए। सरकार से मिलने वाली मदद शीघ्र ही दिलवाने का आश्वासन दिया। साथ आए चिकित्सक ने राधा देवी का मेडिकल चेकअप कर दवा दी। बलौदा के इस पीड़ित परिवार से मिलकर ढांढ़स बंधाने के लिए अब तक कई जनप्रतिनिधि पहुंचे हैं। पिलानी विधायक पितराम सिंह काला, सूरजगढ़ के पूर्व विधायक सुभाष पूनिया, प्रधान बलवान सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष दिनेश सुंडा, भाजपा जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी, पूर्व पंसस रतन सिंह चौहान, पूर्व सरपंच नरेश कुमार, घनश्याम सिंह, गोशाला अध्यक्ष पाबूदान सिंह, मानसिंह सहारण, भीम आर्मी के जितेंद्र सिंह, दादरी गो रक्षा दल के अमित कुमार आदि ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। बलौदा की गोशाला कमेटी ने 21 हजार रुपए, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुंडा ने 11 हजार, विधायक काला ने 5100, गांव के दलीप सिंह ने 5100, मनेंद्र सिंह, शेर सिंह, मुकेश सिंह व सत्यनारायण शर्मा मास्टर ने 21-21 सौ रुपए से पीड़ित परिवार का सहयोग किया है।