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नाना रिटायर्ड फौजी, मां पुलिसकर्मी:बेटी नेवी में सब लेफ्टिनेंट बनीं; बोलीं- सेना में जाने का सपना पूरा हुआ


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नाना रिटायर्ड फौजी, मां पुलिसकर्मी:बेटी नेवी में सब लेफ्टिनेंट बनीं; बोलीं- सेना में जाने का सपना पूरा हुआ

नाना रिटायर्ड फौजी, मां पुलिसकर्मी:बेटी नेवी में सब लेफ्टिनेंट बनीं; बोलीं- सेना में जाने का सपना पूरा हुआ

सीकर : सीकर की निवासी 23 साल की पारुल धायल भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट बनी हैं। एक साल की ट्रेनिंग करने के बाद 25 मई 2024 को भारतीय नौसेना अकादमी में सब लेफ्टिनेंट के पद उनका कमीशन हुआ है। कमीशन होने के बाद उन्हें एयर ट्रैफिक कंट्रोल ATC कैडर में नियुक्त किया है। पारुल बताती है कि अपने नाना इंद्राज सिंह और मां सरोज से मोटिवेट होकर वह इस मुकाम तक पहुंची है। पारुल बताती है कि उन्होंने अपनी स्कूलिंग जयपुर में रहकर पूरी की।

हमेशा से मन था कि सेना में नौकरी करनी है। इसलिए 9वीं क्लास में पढ़ाई के दौरान एनसीसी जॉइन कर ली। इसके बाद इलेक्ट्रिकल ब्रांच से बीटेक किया। साल 2021 में आरडीसी कैंप करके राजधानी दिल्ली में आयोजित हुए गणतंत्र दिवस समारोह में भी हिस्सा लिया।

पारुल ने बताया कि मां सरोज धायल और नाना इंद्राज सिंह से प्रेरित होकर आज वह इस मुकाम तक पहुंची है।
पारुल ने बताया कि मां सरोज धायल और नाना इंद्राज सिंह से प्रेरित होकर आज वह इस मुकाम तक पहुंची है।

पारुल बताती है कि वह एनसीसी में सी सर्टिफिकेट होल्डर हैं। यह सर्टिफिकेट मिलने वालों को देश की तीनों ही सेनाओं में डायरेक्ट इंटरव्यू के जरिए नौकरी पाने का मौका मिलता है। जयपुर में रहकर ही पारुल ने इसके लिए तैयारी शुरू की। और जब फाइनल रिजल्ट जारी हुआ तो उसमें पारुल का चयन नेवी में सब लेफ्टिनेंट के पद पर हो गया।

पारुल बताती है कि सेना में जाने के लिए तैयारी करने के दौरान ही सोशल मीडिया यूज करना बंद कर दिया। यहां तक कि मोबाइल भी एकदम कम समय के लिए चलाती। कल जब पासिंग आउट परेड हुई तो पारुल ने प्लाटून कमांडर के तौर पर अपनी प्लाटून का नेतृत्व किया। ट्रेनिंग के दौरान उसने दो बार क्रॉस कंट्री चैम्पियनशिप में दौड़ प्रतियोगिता में दो गोल्ड मेडल भी जीते हैं।

पारुल की मां पुलिस इंस्पेक्टर सरोज धायल वर्तमान में PHQ जयपुर में अपनी सेवाएं दे रही है। सरोज कहती है कि पिता फौज में थे तो अनुशासन हमेशा से आदत थी। इसलिए पुलिस में रहने के दौरान भी बेटी और बेटी की पढ़ाई को पूरा समय दिया।

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