गैंगरेप कर भट्ठी में जलाने के बाद फावड़े से काटा:तालाब में फेंकी थी बच्ची की आधी लाश, जांच टीम के सामने थे तीन सवाल
गैंगरेप कर भट्ठी में जलाने के बाद फावड़े से काटा:तालाब में फेंकी थी बच्ची की आधी लाश, जांच टीम के सामने थे तीन सवाल

14 साल की बच्ची को गैंगरेप कर जिंदा जलाने वाले दोनों हत्यारों (कालू और कान्हा) को फांसी सुना दी गई है। लेकिन इन दोनों को सजा तक पहुंचाना पुलिस और एफएसएल टीम के लिए आसान नहीं था। जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ी तीन सवाल खड़े हो गए।
- क्या पीड़िता को भट्ठी में जलाया गया?
- क्या पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ?
- क्या भट्ठी में जलाते वक्त पीड़िता जिंदा थी?
एफएसएल की टीम ने इन्हीं तीनों पॉइंट से अपनी जांच की शुरुआत की। जांच में पता चला कि पीड़िता को भट्ठी में जलाने के बाद अधजले शव को वापस बाहर निकाला गया। शव को फावड़े से काटा गया। फिर तालाब में फेंक दिया गया। इन सबूतों से एफएसएल की टीम ने हत्यारों को सजा दिलाई। जयपुर में एफएसएल डायरेक्टर अजय शर्मा ने तीनों चैलेंज हल करने की कहानी मीडिया को बताई।
आगे एफएसएल डायरेक्टर अजय शर्मा की जुबानी जानिए कैसे तीनों सवालों के जवाब सबूत के रूप में जुटाए…

अजय शर्मा ने बताया- एफएसएल के इतिहास में यह बहुत जघन्य अपराध था। जब इस घटना का पता चला तो सबसे पहले मोबाइल यूनिट मौके पर भेजी गई। उस टीम ने सुबह तक अपना काम किया। उनकी रिपोर्ट के आधार पर एक स्पेशल टीम बनाई गई। इसमें मैं और हमारी टीम के बेस्ट ऑफिसर मौके के लिए रवाना हो गए। कोटड़ी में क्राइम सीन पर हम दो दिन बाद पहुंचे। सबसे पहले हम लोगों ने साइंटिफिक सबूत एकत्रित किए।
जिस दिन हम लोग मौके पर पहुंचे। उस दौरान भट्ठीमें मौजूद पूरी राख को बाहर निकलवाया गया। हमारे सामने पहला चैलेंज था कि क्या भट्ठीमें पीड़ित को जलाया गया है। उसके सबूत हमें मिले। दूसरा चैलेंज था क्या पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ है। तीसरा जब पीड़िता को जलाया गया, उस समय वह जिंदा थी या नहीं। इन तीन पॉइंट पर एफएसएल टीम ने जांच करना शुरू किया।

पहला चैलेंज- क्या पीड़िता को भट्ठी में जलाया गया
अजय शर्मा ने बताया- सबसे पहले काम शुरू किया कि क्या पीड़िता को भट्ठीमें जलाया गया। इसके लिए पूरे क्राइम सीन को एफएसएल की टीम ने सर्च किया। टीम ने भट्ठीको सर्च किया तो मानव हड्डियां मिलीं। उन हड्डियों को उसी समय सीज कराया गया, जिससे पता चल सके की यह हड्डियां पीड़िता की हैं या नहीं। लैब भिजवा कर इसका डीएनए चेक करवाया गया।
जिस भट्ठी में नाबालिग को जलाया गया था। वहां पर हत्यारों ने नाबालिग के शरीर के फावड़े से दो टुकड़े किए थे। पीड़िता के शरीर का दूसरा हिस्सा जो जला नहीं था। उसे आधा किलोमीटर दूर तालाब में फेंक दिया गया था। उसे भी रिकवर कर डीएनए प्रोफाइलिंग कराई गई।
ऐसे मिली सफलता : अजय शर्मा ने बताया- पहले चैलेंज की डीएनए रिपोर्ट तैयार की गई तो पता चला कि भट्ठी में मानव हड्डियां हैं। जो पीड़िता की हैं। साथ ही पता चला कि जो हिस्सा तालाब में आधा कटा हुआ मिला। वह भी पीड़िता का ही है। पीड़िता के माता-पिता से डीएनए लेकर हड्डियों से मिले डीएनए की जांच कराई गई।

दूसरा चैलेंज- क्या पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ
अजय शर्मा ने बताया- फिर दूसरे पॉइंट पर जांच की। क्या पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ। इसकी जांच करने के लिए पीड़िता के शरीर का कोई हिस्सा और कपड़ा टीम के सामने नहीं था। इस पर एफएसएल ने स्पेशल तरीके से जांच करते हुए दोनों आरोपियों पर जांच केन्द्रित कर दी। दोनों आरोपियों के प्राइवेट पार्ट (पिनाइल स्वैब और क्यूबिक स्वैब) से सबूत जुटाए गए। क्योंकि सम्भावना थी कि उस पर पीड़िता के शरीर का कोई पदार्थ लगा होगा।
ऐसे मिली सफलता: अजय शर्मा ने बताया- एफएसएल को सबसे बड़ी सफलता तब मिली जब आरोपियों के प्राइवेट पार्ट से लिए गए सबूत (पिनाइल स्वैब और क्यूबिक स्वैब) से विक्टिम का डीएनए मिल गया। इससे साबित हो गया कि इन दोनों ने नाबालिग से गैंगरेप किया।
भट्ठी में मिले नाबालिग के एक हाथ के कई हिस्से।
तीसरा चैलेंज- क्या भट्ठी में जलाते वक्त पीड़िता जिंदा थी
अजय शर्मा ने बताया- तीसरा पॉइंट था कि पीड़िता को भट्ठी में जलाया गया, तब क्या पीड़िता जिंदा थी। इसके लिए सभी सबूतों को अजमेर लैब भेजा गया। लैब में हमारी टीम ने 5 दिन तक लगातार डीएनए पर काम किया।
ऐसे मिली सफलता: अजय शर्मा ने बताया- रिपोर्ट में बच्ची के फेफड़ों से कार्बन मोनोऑक्साइड के अंश मिले। इससे पता चलता है कि जब बच्ची को जलाया गया उस दौरान वह जिंदा थी।

10 दिन में सभी रिपोर्ट दे दी
अजय शर्मा ने बताया- तीनों चैलेंज पूरे होने के बाद जांच अधिकारी को सबसे पहले डीएनए रिपोर्ट दी गई। कुल 10 दिन में एफएसएल ने सभी रिपोर्ट दे दी।

आरोपी के प्राइवेट पार्ट की जांच का जेहन में कैसे आया
अजय शर्मा ने बताया- हमारे फोरेंसिक साइंस में एक प्रिंसिपल होता है कि पीड़ित और अपराधी के बीच कई चीजें एक्सचेंज होती हैं। उस दौरान हमारे साइंटिस्ट ने डिसाइड कर लिया था कि हमारे पास पीड़िता नहीं है। हमारे पास उम्मीद केवल दोनों आरोपियों से थी। उनसे कुछ ना कुछ जरूर मिलेगा। इसलिए दोनों आरोपियों की जांच की गई।