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नुआ की कायमखानी (मुस्लिम)बेटी कर्नल इशरत अहमद ने देशसेवा में रचा इतिहास


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नुआ की कायमखानी (मुस्लिम)बेटी कर्नल इशरत अहमद ने देशसेवा में रचा इतिहास

नुआ की कायमखानी (मुस्लिम)बेटी कर्नल इशरत अहमद ने देशसेवा में रचा इतिहास

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अंसार मुज़्तर

झुंझुनूं : नुआ के गौरवशाली इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा जब मरहूम कर्नल जकी अहमद व शमीम बानो की बेटी कर्नल इशरत अहमद ने भारतीय सेना की एक बड़ी डिवीज़न ऑर्डनेन्स यूनिट की कमांड संभाली यह जानकारी देते हुवे नुआ निवासी जनहित एकता समिति अध्यक्ष जाकिर झुंझुनुवाला ने बताया कि कायमखानी इतिहास के पहले ब्रिगेडियर साकिब हुसैन की छोटी बहन इशरत अहमद राजस्थान के पहले बैच की महिला कर्नल है जिन्होंने आर्मी की एक बड़ी यूनिट की कमांड संभाली हैं। इनके पिता कर्नल जकी अहमद पुत्र अब्दुल समद खान, आर्मी एजुकेशन कोर में थे और 1971 में नुआ गांव के पहले डायरेक्ट कमीशन लेने वाले अफसर बने 1995 में बीकानेर रहते हुए उनका देहांत हो गया था।

बड़े भाई साकिब हुसैन व पिता से प्रेरित होकर इशरत ने भारतीय सेना को ही अपना कैरियर चुना बहन को हौशला देते रहे और 2001 में इशरत ओट चेन्नई से कमीशन हो कर आर्मी ऑफिसर बन गयी. उनकी जी-जान मेहनत के कारण उनको पहले एक Ammunition कंपनी और अब एक डिवीज़न ऑर्डनेन्स यूनिट की कमान मिली,जो अपने आप मे सहरानीय है.उन्होंने साबित कर दिया के भारत की बेटियां किसी भी मैदान में बेटों से काम नही हैं।

इशरत अहमद के परिवार में राजस्थान के पहले मुस्लिम आईजी लियाक़त अली रहे है एवं इनके चाचा अशफ़ाक हुसैन व जाकिर हुसैन कलेक्टर रहे है एवं भाई शाहीन अली सीनियर आरएएस हैं व बहन फरहा हुसैन आईएफएस, फरहा के पति कमरजवां चौधरी सीकर कलेक्टर हैं एव बहन कायनात खान जयपुर सचिवालय में विधि रचनाकार हैं चाचा रफीक खान शफ़ीक़ खान व हमीद खान भी सरकारी ऑफिसर से रिटायर्ड हुवे हैं,इशरत अहमद के नाना भी भारतीय सेना में कप्तान से रिटायर्ड हुवे हैं

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