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सुख और दुख खुद के कर्म से ही तय होता है इसके लिए दूसरा दोषी नहीं होता : दिनेशगिरी


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सुख और दुख खुद के कर्म से ही तय होता है इसके लिए दूसरा दोषी नहीं होता : दिनेशगिरी

सुख और दुख खुद के कर्म से ही तय होता है इसके लिए दूसरा दोषी नहीं होता : दिनेशगिरी

झुंझुनूं : फतेहपुर की बुद्धगिरी मंडी के पीठाधीश्वर दिनेशगिरी महाराज ने कहा कि हर व्यक्ति खुद के कर्म के लिए स्वयं ही जिम्मेदार होता है और उसके खुद के कर्म ही उसके जीवन के सुख और दुख तय करते हैं। इसमें दूसरा कोई जिम्मेदार नहीं होता। बुधवार को शहर में जगन्नाथपुरी में चल रही रामकथा के विश्राम दिवस पर प्रवचन में दिनेशगिरी महाराज ने ये बात कही। उन्होंने रावण कुल के विनाश का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण महान ज्ञानी था और लेकिन उसको खुद के ज्ञान का अहंकार हो गया।

जिसके कारण से उसे सही और गलत का अंतर स्पष्ट नहीं हो पाया। उसके गलत व अनुचित कर्म के कारण ही उसके समस्त कुल का नाश हो गया। इसी तरह हर मनुष्य को अपने कर्मों के बारे में चिंतन करना चाहिए कि वो श्रीराम के कर्मों पर चलेगा या नहीं। महाराज ने वर्तमान में श्रेय लेने की होड को गलत बताते हुए कहा कि माता सीता का पता लगाने के लिए हनुमानजी लंका में गए और वहां से माता सीता को सूचना लेकर आए। इसके बाद भी उन्होंने इसका श्रेय संपूर्ण वानर जाति को दिया। मानव को श्रेय और बड़ा बनने की होड छोड़नी चाहिए। इससे कल्याण होगा।

रामकथा के दौरान रैवासा पीठाधीश्वर संत राघवाचार्य महाराज, राममूर्तिदास महरौली, विनोद सिंघानिया, मनीष अग्रवाल, राजेश गुप्ता, महेन्द्र टांक, ओमप्रकाश शर्मा, संजय शुक्ला, वशिष्ठ शर्मा, राजाराम सुरोलिया, यजमान परिवार के फतेहचंद, मोतीलाल, विनोद, रतन, राजकुमार, सुरेश तिवाड़ी, रामसिंह कुमावत, शिवचरण हलवाई, जिला संघचालक मानसिंह, जिला प्रचारक अक्षय, नगर प्रचारक माधव समेत अन्य मौजूद रहे।

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