बजरी माफिया पी गया काटली नदी को, अब यहां चारों ओर सिर्फ ऐसे गड्ढे
बजरी माफिया पी गया काटली नदी को, अब यहां चारों ओर सिर्फ ऐसे गड्ढे

नीमकाथाना : शेखावाटी की लाइफ लाइन रही काटली नदी अवैध खनन से दम तोड़ चुकी है। बजरी के लालच में खनन माफिया ने इसका सीना छलनी कर डाला है। फोटो में नजर आ रहे ये गहरे गड्ढे काटली के सीने के जख्म हैं। जबसे काटली सूखी है, तब से नदी के बहाव क्षेत्र के आसपास के झुंझुनूं, सीकर और नीमकाथाना इलाके के बड़े हिस्से में भूजल 1000 से 1200 तक नीचे जा पहुंचा है। चूरू भी प्रभावित हुआ है। काटली नदी का कैचमेंट एरिया 746 वर्ग किलोमीटर है। काटली नदी सीकर के गिदाला गांव से शुरू होकर अरावली क्षेत्र के बहुत बड़े भूभाग से गुजरते हुए चूरू जिले के राजगढ़ तक बहती है। इस नदी के बेसिन में कई छोटी नदियां दोहान, डोंगर, चन्द्रावती, लोहार्गल की नदी, बूढ़ी नाला, सुख नदी (सिंघाना नदी) और सहाबी आदि भी शामिल हैं। काटली नदी के निर्जीव होने से पूरे क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर बहुत नीचे गिरता जा रहा है तथा इस क्षेत्र में बसने वाली आबादी का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पूरे क्षेत्र को पानी के संकट से बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए काटली नदी को बचाना आवश्यक है, ताकि क्षेत्र के लोगों का भविष्य सुरक्षित हो सके। काटली नदी का उद्गम स्थल खंडेला की पहाड़ियां हैं। जब नदी बहती थी तो जल स्तर ऊपर था। खेती भी अच्छी होती थी। जल स्तर पाताल में चला गया है। खेती करना भी मुश्किल हो गया है। नदी में 1995-96 के बाद 2018 में पानी आया था। नदी गणेश्वर, खंडेला, गुहाला, बाघोली, मणकसास, पचलंगी, पापड़ा, पौंख, ककराणा, दीपपुरा, मैनपुरा, नोरंगपुरा, नाटास, हांसलसर, गोवला, भड़ौंदा खुर्द, इस्लामपुर, चनाना, सोलाना, सुल्ताना, बागर व सुलखणिया।